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नीट संसद में संग्राम, सरकार ने कहा- चर्चा को तैयार

07:46 AM Jun 29, 2024 IST
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नयी दिल्ली, 28 जून (एजेंसी)
संसद के दोनों सदनों में शुक्रवार को विपक्षी दलों ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट-यूजी’ में कथित अनियमितताओं को लेकर तत्काल चर्चा की मांग करते हुए जोरदार हंगामा किया। इसके चलते लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं, राज्यसभा में आसन के समक्ष प्रदर्शन से नाराज सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ऐसा आचरण उन लोगों ने किया जिनसे नेतृत्व की अपेक्षा की जाती है। उन्होंने कहा कि इससे दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं हो सकता। इस पर विपक्षी सदस्य सदन से वॉकआउट कर गये।
सदन की कायर्वाही दिनभर के लिए स्थगित होने के बाद शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘सरकार हर तरह की चर्चा को तैयार है, लेकिन सब कुछ नियमों का पालन करते हुए और मर्यादा में रहते हुए होना चाहिए।’ इससे पहले लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा से पहले नीट मामले पर सदन में चर्चा करानी चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के अलावा किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा करने की परंपरा नहीं रही है। स्पीकर ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से सदन चलने देने की अपील करते हुए कहा कि वे अभिभाषण पर चर्चा के दौरान नीट एवं अन्य सभी विषय उठा सकते हैं। कांग्रेस का दावा है कि लोकसभा में राहुल जब बोल रहे थे, तो उनका माइक बंद कर दिया गया। राज्यसभा में हंगामे के बीच कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम अचानक गिरीं और बेहोश हो गईं।
इस बीच, सीबीआई ने झारखंड के हजारीबाग स्थित ओएसिस स्कूल के प्रधानाचार्य एहसानुल हक और उप-प्रधानाचार्य इम्तियाज आलम को गिरफ्तार कर लिया है।

आचरण बेहद पीड़ादायी : धनखड़

राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी और वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक आसन के समक्ष आ गए। यह बेहद पीड़ादायी आचरण है। अधिक पीड़ादायक यह है कि उन्होंने बाहर जाकर गलत बातें कही। लोकतंत्र के इस मंदिर की गरिमा पर आघात पहुंचाया गया।

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प्रधानमंत्री चर्चा नहीं चाहते : राहुल

राहुल गांधी ने एक वीडियो जारी कर कहा, ‘एक त्रासदी हुई है और हर कोई जानता है कि पेपर लीक हुआ। छात्रों के सपनों और आकांक्षाओं को नष्ट कर दिया गया। सभी विपक्षी दलों का सर्वसम्मत निर्णय था कि हमें शांतिपूर्ण चर्चा करनी चाहिए। जब मैंने इस मुद्दे को संसद में उठाया, तो मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी गई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री, जिन्हें चर्चा का नेतृत्व करना चाहिए, वह चर्चा ही नहीं चाहते। हम सरकार से टकराव नहीं चाहते, सिर्फ विचार सदन में रखना चाहते हैं।’

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