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सियासत की ‘मंडी’ में वजूद की जंग, कांग्रेस-भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर

07:21 AM May 04, 2024 IST
सियासत की ‘मंडी’ में वजूद की जंग  कांग्रेस भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर
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पुरुषोत्तम शर्मा
मंडी, 3 मई
हिमाचल प्रदेश में चार लोकसभा सीटों के साथ-साथ छह विधानसभा सीटों के लिए चुनावी माहौल गर्माया हुआ है। हिमाचल की सियासी बिसात पर सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्ष में बैठी भाजपा वजूद की जंग लड़ रहे हैं। इसके चलते दोनों ही दलों के लिए ये चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गए हैं। राज्यसभा की सीट पर हुए चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री के खिलाफ छह विधायकों की बगावत के चलते कांग्रेस को पहली बार सत्ता में रहते हुए भी राज्यसभा सीट गंवानी पड़ी।
वहीं विधानसभा चुनाव के डेढ़ साल बाद ही सरकार और संगठन के बीच उभरे मतभेदों की वजह से विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस की अंर्तकलह का फायदा उठाने का मौका मिल गया है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सियासत की इस बिसात में राजनीति चालें चल कर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की घेराबंदी करने में लगे हैं। वहीं पर कांग्रेस के छह विधायकों के विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्य घोषित करने के बाद चार लोकसभा सीटों के साथ ही छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के ऐलान के बाद राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। ऐसे में प्रदेश की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव के बजाय छह विधानसभा क्षेत्रों जिसमें मौजूदा मुख्यमंत्री के गृह जिले के सुजानपुर और बड़सर, मंडी संसदीय क्षेत्र के लाहुल-स्पीति, उपमुख्यमंत्री के गृह जिला ऊना के गगरेट और कुटलैहड़ व धर्मशाला का उपचुनाव अहम हो गया है। इन सभी छह विधानसभा सीटों पर गत विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी जीत कर आए थे। मगर ये सभी छह विधायक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कथित अनदेखी के चलते बागी होकर अब भाजपा के पाले में चले गए हैं।
डेढ़ साल पहले जो उम्मीदवार कांग्रेस के चुनाव-चिह्न पर जीते थे। वहीं अब डेढ़ साल के बाद भाजपा के चुनाव-चिह्न पर लोगों के बीच वोट मांग रहे हैं। उन्हें मतदाता किस रूप में स्वीकार करता है यह देखने की बात है। मगर कांग्रेस को इन छह विधानसभा क्षेत्रों में नये प्रत्याशी उतारने में काफी वक्त लग गया है जिसमें से तीन जगह तो प्रत्याशी उतार दिए हैं लेकिन लाहौल, बड़सर और धर्मशाला में अभी भी उम्मीदवार की तलाश ही चल रही है। इस बीच अगर तीन निर्दलियों के इस्तीफे भी हाईकोर्ट ने स्वीकार करने को कहा तो प्रदेश में नौ जगह उपचुनाव होंगे। भाजपा नौ के नौ जगह की उम्मीदवार उतार कर प्रचार तेज कर चुकी है। वहीं कांग्रेस मात्र तीन जगह ही टिकट घोषणा कर सकी है।

मंडी में दोनों दलों की प्रतिष्ठा दांव पर

प्रदेश की सबसे बड़ी मंडी संसदीय सीट पर भाजपा की ओर से बालीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को उतारने से अब यह राजनीतिक रूप से हॉट सीट बन गइ है। जहां पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। कंगना के मुकाबले हिमाचल के ‘राजा’ यानी वीरभद्र सिंह के ‘युवराज’ – विक्रमादित्य सिंह के मैदान में आने से मुकाबला रोचक बन गया है। दोनों के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। जैसे-जैसे चुनाव प्रचार जोर पकड़ता जाएगा मंडी के चुनावी मैदान में इस तरह के जुबानी हमले और तेज हो जाएंगे।

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राजघरानों का मंडी में रहा है वर्चस्व

मंडी संसदीय क्षेत्र अपने शुरूआती दौर से ही रियासती सियासत का गढ़ रहा है। वर्ष 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में मंडी संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनी कपूरथला राजघराने की राजकुमारी अमृतकौर मंडी की पहली सांसद थीं। दोहरी सदस्यता के चलते मंडी के ही गोपी राम भी 1952 में सांसद बने थे। इसके पश्चात मंडी के राजा जोगेंद्र सेन बहादुर 1957 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे।

कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है मंडी

मंडी संसदीय सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। अब तक हुए बीस में से चौदह चुनावों में कांग्रेस ने जीत का परचम फहराया है। 1952 से 1971 तक लगातार पांच बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। देश लागू आपातकाल के बाद 1977 में मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस का वर्चस्व टूटा और जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में गंगा सिंह पहले गैर कांग्रेसी सांसद बनें। इसके बाद कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा ने जीत का परचम फहराया। भाजपा की ओर से तीन बार महेश्वर सिंह और दो बार रामस्वरूप सांसद बनें। मंडी संसदीय सीट से जीते कांग्रेस के प्रत्याशी राजकुमारी अमृत कौर, वीरभद्र सिंह और पंडित सुखराम केंद्र में मंत्री पद पाने में कामयाब रहे हैं जबकि भाजपा को अभी तक यह पद मंडी के लिए नसीब नहीं हुआ है।

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तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके ‘राजा’

हिमाचल की राजनीतिक के दिग्गज राजा वीरभद्र सिंह तीन बार 1971, 1980 और 2009 में मंडी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके अलावा भाजपा के प्रत्याशी रहे कुल्लू राजघराने के महेश्वर सिंह भी तीन बार 1989, 1998, 1999 में मंडी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उसी प्रकार रानी प्रतिभा सिंह भी तीन बार मंडी संसदीय क्षेत्र से जीत दर्ज कर चुकी है। वे 2004, 2013 और 2021 के चुनाव जीत कर सांसद बनीं। वर्तमान में भी मंडी संसदीय क्षेत्र से सांसद है। अब भी कांग्रेस रामपुर राजघराने के 123वें राजा के रूप में विक्रमादित्य सिंह को चुनाव मैदान में उतारने जा रही है। वहीं दूसरी ओर, भाजपा की प्रत्याशी कंगना बॉलीवुड की क्वीन के नाम से मशहूर है। अब यह जंग रोचक होने जा रही है।

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