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HIV से जंग : PGIMER में विशेषज्ञों ने बताया नया रास्ता, शुरुआती जांच मरीजों की जिंदगी बचाने में साबित हो सकती है कारगर

09:18 PM Feb 20, 2025 IST

विवेक शर्मा
चंडीगढ़, 20 फरवरी

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क्या एचआईवी अब भी लाइलाज है? क्या सही इलाज से मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं? इन्हीं अहम सवालों के जवाब देने के लिए पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन एचआईवी केयर ने "HIV अपडेट 2025" पर सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में ट्राइसिटी के 230 से अधिक डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों ने हिस्सा लिया, जहां विशेषज्ञों ने एचआईवी के नवीनतम उपचार और प्रबंधन पर महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं।

एचआईवी की रोकथाम और इलाज पर विशेषज्ञों की राय

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कार्यक्रम की शुरुआत एचआईवी परीक्षण पर डॉ. सीमा छाबड़ा के सत्र से हुई, जहां उन्होंने बताया कि शुरुआती जांच मरीजों की जिंदगी बचाने में कितना कारगर साबित हो सकती है। डॉ. रविंदर कौर सचदेवा ने एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) पर जोर देते हुए कहा, "अगर मरीज अनुशासन के साथ दवा लेते हैं, तो वायरस को काबू में रखना संभव है।" वहीं, प्रो. अमन शर्मा ने पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PEP) की महत्ता को समझाया, जिससे संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सकता है।

एचआईवी से जुड़ी जटिलताओं पर विशेषज्ञों की चर्चाएं

एचआईवी सिर्फ एक वायरस नहीं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। इस पर विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किए –

फेफड़ों के संक्रमण: डॉ. शंकर नायडू ने बताया कि कैसे टीबी, निमोनिया और अन्य संक्रमणों से मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

त्वचा रोग और जटिलताएं: डॉ. तरुण नारंग ने समझाया कि एचआईवी मरीजों में फंगल संक्रमण क्यों तेजी से फैलता है और इसका प्रभावी इलाज क्या हो सकता है।

मस्तिष्क संक्रमण : प्रो. मनीष मोदी ने एचआईवी से जुड़ी न्यूरोलॉजिकल समस्याओं और उनके उपचार पर प्रकाश डाला।

PGIMER की पहल-मरीजों के लिए नई उम्मीद

कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों और चिकित्सकों के बीच विस्तृत चर्चा हुई, जिससे एचआईवी के इलाज में हो रही नई प्रगति पर रोशनी डाली गई। यह आयोजन केवल एक शैक्षणिक सत्र नहीं, बल्कि एचआईवी के खिलाफ जारी लड़ाई में एक और मजबूत कदम था।

अंत में, विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि सही जानकारी, नियमित जांच और अनुशासित दवा सेवन ही एचआईवी को मात देने का सबसे बड़ा हथियार है। हाई-टी के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ, जहां चिकित्सकों ने इस विषय पर आगे की रणनीतियों पर चर्चा की।

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