ऑक्सीजन रूपी अमृत प्रदान करते हैं वट वृक्ष : त्रिवेणी बाबा
भिवानी, 7 जून (हप्र)
बरगद के पेड़ का न केवल वैज्ञानिक, बल्कि आध्यात्मिक तौर पर विशेष महत्व है। ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या वट सावित्री अमावस्या या बरगदाही अमावस्या कहलाती है।
इस दिन सौभाग्यशाली महिलाएं अखंड सौभाग्य पाने के लिए व्रत रखकर वटवृक्ष की पूजा करती हैं। यह बात त्रिवेणी बाबा ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के परिसर में देश की माताओं, बहनों व बेटियों की सुख-समृद्धि के लिए वट वृक्ष का पौधा रोपित करने के बाद कही।
उन्होंने कहा कि वट वृक्ष कार्बन-डाई-ऑक्साइड रूपी विष पीकर ऑक्सीजन रूपी अमृत प्रदान करते हैं। यही वृक्षों का शिवनंद है। वृक्षों के काटे जाने और पर्यावरण असंतुलन के कारण सृष्टि विनाश की ओर बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि इस विनाश को रोकने के लिए काटे गए पेड़ों की तुलना में कम से कम दोगुने पौधों का रोपण करना होगा, ताकि पर्यावरण का संतुलन कायम किया जा सके। इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक पर्यावरण प्रहरी हवलदार लोकराम नेहरा ने सभी माताओं, बहनों व बेटियों से अपील की कि इस वर्ष एक बरगद का पौधा अवश्य लगाएं तथा उसके पेड़ बनने तक देखभाल जरूर करें, ताकि वे अगले वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या पर इसकी पूजा कर सकें।
कार्यक्रम में बोर्ड के एसडीओ विकास श्योराण व शंकर नर्सरी संचालक चंद्रमोहन मुख्य रूप से मौजूद रहे।