पोकरी खेड़ी, कालवन समेत 5 गांवों की ‘बणी’ को मिलेगा नया जीवन
जसमेर मलिक/ हप्र
जींद, 24 अक्तूबर
पुराने दौर में गांवों की पहचान रही बणी (वन) को जींद जिले में वन विभाग ने नया जीवन देना शुरू किया है। इसके तहत जिले के पांच गांवों में वन विभाग ने बणी में पौधरोपण शुरू कर दिया है। अगले साल तक ये पौधे भरपूर वन का रूप ले लेंगे। ग्रामीण क्षेत्र में आज से लगभग 80 साल पहले तक हर गांव में छोटी या बड़ी बणी होती थी। यह गांव के बाहर एक छोटा सा जंगल होता था, जिसमें जाल, नीम, पीपल, जामुन, वट आदि के पेड़ होते थे। इनके पास पानी का एक स्रोत होता था, जिसमें पशुओं से लेकर परिंदे आदि अपनी प्यास बुझाते थे। बाद में गांवों के बाहर की यह बणी आबादी की भेंट चढ़ती चली गई, और इनका नामो-निशान मिटता गया। जींद जिले में कभी 350 से ज्यादा गांव होते थे। इन सभी गांवों में छोटी या बड़ी बणी जरूर होती थी। अब जींद में 300 गांव हैं। इनमें से 100 गांवों में भी बणी नहीं बची हैं।
पांच गांवों में बणी को नया जीवन देने की कवायद
जींद के वन विभाग ने जींद ब्लॉक के पाेकरी खेड़ी और नरवाना के कालवन गांव समेत कुल पांच गांवों में बणी को नया जीवन देने की कवायद शुरू की है। इसके तहत इन पांच गांवों की बणी में वन विभाग ने छायादार पौधे लगाने शुरू किए हैं। योजना को लेकर जींद के वन मंडल अधिकारी रोहतास बिरथल का कहना है कि इन पांच गांवों में बणी में ऐसे फलदार, छायादार पौधे लगाए जाएंगे, जिनकी उम्र काफी ज्यादा होती है। इन पांच गांवों की बणी में अगले साल तक पौधे लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा।
लक्ष्य ग्रुप ने दिखाई राह
प्राचीन बणी को नया जीवन देने के लिए राह जींद में लक्ष्य ग्रुप ने दिखाई है। लक्ष्य ग्रुप के एमडी बलजीत रेढू ने अपने पैतृक गांव बोहतवाला की बणी को नया जीवन दिया। गांव की बनी में उन्होंने फलदार और छायादार पौधे लगाए हैं। उनके बीच लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है।
कभी बणी में चराते थे मवेशियों को
बलजीत रेढू का कहना है कि उनके दादा और परदादा मवेशियों को तालाब में पानी पिलाते और बणी में चराते थे। बाद में गांव की बणी वीरान हुई तो इससे गांव की पुरानी पहचान भी खतरे में पड़ गई। इस पुरानी पहचान को लौटाने और ग्रामीणों को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा और मवेशियों के लिए पेड़ों की ठंडी छाया मुहैया करवाने के लिए उन्होंने गांव की बणी को नया जीवन दिया है।