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बहादुरगढ़ के शौर्य ने बढ़ाया मान, देश में 14वां स्थान

09:11 AM Apr 17, 2024 IST
शौर्य अरोड़ा को मिठाई खिलाकर बधाई देते उनके दादा-दादी व परिवार के अन्य सदस्य। -निस
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रोहित विद्यार्थी/ निस
बहादुरगढ़, 16 अप्रैल
सेक्टर-6 के रहने वाले शौर्य अरोड़ा ने सिविल सेवा परीक्षा परिणाम में शानदार सफलता अर्जित कर देशभर में 14वां स्थान हासिल किया है। उनकी इस कामयाबी से परिवार के सदस्य, परिचित व आसपास के लोग काफी उत्साहित हैं। मंगलवार को जैसे ही परीक्षा परिणाम घोषित हुआ तो शौर्य की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर उन्होंने खुशी मनाई। दादा-दादी, माता-पिता ने उन्हें मिठाई खिलाकर बधाई दी।
शौर्य अरोड़ा बहन अंशू, माता आरती, पिता भूषण अरोड़ा और दादा इंद्रजीत लाल, दादी शांति देवी के साथ रहते हैं। शौर्य ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2022 में भी यूपीएससी की परीक्षा दी थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। आईएएस बनने के लिए मेहनत जारी रखी।
शौर्य ने अपनी 10वीं और 12वीं कक्षा की पढ़ाई बाला विद्या मंदिर स्कूल चेन्नई से की। मुंबई आईआईटी से बीटेक की। शौर्य ने बताया कि उन्होंने कभी कोचिंग नहीं ली। परीक्षा अच्छी हुई थी, मगर यह आभास नहीं था कि 14वां रैंक आएगा। उन्होंने बताया कि पिता ने भी 4 बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। अब उन्होंने इस सपने को पूरा किया। मां आरती और पिता साॅफ्टवेयर इंजीनियर रहे हैं। दादा इंद्रजीत अरोड़ा दिल्ली में अध्यापक रहे हैं तो दादी शांति देवी हरियाणा सरकार में अध्यापिका रही हैं।

बचपन के सपने को मेहनत से किया साकार

शिवांश राठी को बधाई देते हुए ग्रामीण और पारिवारिक मित्र। -निस

झज्जर/ बहादुरगढ़, 16 अप्रैल (हप्र/ निस)
बेरी विस क्षेत्र के गांव खरहर के बेटे शिवांश ने एक बार फिर कमाल कर दिया है। दूसरे प्रयास में एसडीएम बनने वाले शिवांश ने इस बार सिविल सेवा परीक्षा में 63वां रैंक हासिल कर आईएएस बनने का अपना सपना पूरा कर लिया है। शिवांश बहादुरगढ़ के सेक्टर-6 में अपने माता-पिता और बहन के साथ रहते हैं। शिवांश बताते हैं कि उन्होंने 9 साल की उम्र से ही आईएएस अफसर बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था। परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने हर रोज 10 घंटे तक पढ़ाई की। पढ़ाई से जब थक जाते थे तो व्यायाम के साथ शिव तांडव स्तोत्रम का पाठ करते थे। शिवांश ने बताया कि शिव तांडव स्तोत्रम से उन्हें ऊर्जा मिलती थी।
शिवांश का कहना है कि सही दिशा में लग्न से मेहनत करने से हर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। शिवांश का कहना है कि आईएएस बनकर वह विकसित भारत के सपने को पूरा करने में योगदान देना चाहता हैं।
शिवांश के पिता रविन्द्र राठी भी सिविल सर्विस में जाना चाहते थे। उन्होंने हरियाणा सिविल सर्विस की परीक्षा भी पास कर ली थी, लेकिन राजनीतिक चक्करों के चलते वो भर्ती पूरी नहीं हो पाई। शिवांश की मां डॉ. सुदेश राजकीय कन्या महाविद्यालय में प्रोफेसर हैं। माता-पिता बताते हैं कि जब भी शिवांश मायूस होता था तो वे उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे। उन्होंने कहा कि शिवांश ने अपने बचपन का सपना पूरा किया है और उन्हें यकीन है कि देश के विकास में वह अहम योगदान देगा। परिजनों के अनुसार शिवांश ईश्वर में आस्था रखता है। परिणाम आने से पहले भी वह मंदिर में पूजा कर रहा था। उनके घर का नाम शिवालय है और छोटी बहन का नाम शिवांगी है, जो यूपीएससी की तैयारी कर रही है। इस बीच, बेरी हलके के विधायक और पूर्व स्पीकर डाॅ. रघुबीर सिंह कादयान ने राठी परिवार को बधाई दी है।

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