प्रदेश में बबूना की खेती से लगेंगे आर्थिकी को पंख
यशपाल कपूर /निस
सोलन,21 जुलाई
बबूना सर्दियों में लगने वाला एक मौसमी फ़ूल है जिसकी व्यावसायिक खेती आजकल काफी प्रचलित हो रही है। हिमाचल प्रदेश में मालाएं इत्यादि अलंकार बनाने के लिए, खुले फूल जो फऱवरी से अप्रैल के बीच खिलें, बबूना के अलावा उपलब्ध नहीं हैं। बबूना या एनुअल क्राइसेंथेमम एक आसानी से लगने वाला फूल है। बबूना का वैज्ञानिक नाम ‘क्राइसेंथेमम कोरोनेरियम’ है जो अब बदल कर ‘ग्लेबियोनिस कोरोनारिया’ हो गया है। नागपुर क्षेत्र में इसे ‘बिज़ली’, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में ‘बबूना’ तथा उत्तरप्रदेश में ‘गेंदी’ के नाम से जाना जाता है। एनुअल क्राइसेंथेमम को ‘गारलैंड क्राइसेंथेमम’ अथवा ‘क्राउन डेज़ी’ या ‘एडिबल क्राइसेंथेमम’ भी कहा जाता है। एनुअल क्राइसेंथेमम की कुछ अन्य स्पीशीज जैसे ‘क्राइसेंथेमम कैरिनैटम’ जिसे ‘ट्राई कलर क्राइसेंथेमम’ तथा ‘क्राइसेंथेमम मल्टिकलर’ (येलो डेज़ी) को प्राय: क्यारियों की सजावट के लिए उपयोग में लाया जाता है। फूलों का उपयोग आम तौर पर माला, वेणी बनाने के लिए किया जाता है और सामाजिक एवं धार्मिक समारोहों के दौरान फूलों की सजावट में भी उपयोग किया जाता है। त्यौहारों तथा समारोहों के दिनों में, पूजा और सजावट के लिए साल भर इन फूलों की निरंतर मांग रहती है। बबूना के पौधे शाकीय, कटी पत्तियों वाले तथा बड़े (60-70 सेंटीमीटर) होते हैं जिन पर पीले, सफेद तथा पीले-सफेद सिंगल या डबल फूल आते हैं।
आसान है बबूना की खेती : वैज्ञानिक
डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के पुष्पोत्पादन एवं भू-सौंदर्य वास्तुकला विभाग की वैज्ञानिक डॉ. भारती कश्यप, डॉ. शिवानी ठाकुर एवं डॉ. एसआर धीमान ने इस पर कार्य किया ताकि पुष्प उत्पादकों की आर्थिकी भी मजबूत हो। बबूना की खेती काफ़ी सरल है तथा यह उन क्षेत्रों में भी आसानी से की जा सकती है जहां भूमि की उर्वरता कम है एवं पानी की कमी है।
3 माह में आने लग जाते हैं फूल
पौधों को अच्छे से तैयार करके एक मीटर चौड़ाई की क्यारियों में 30 से 35 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए। खेत की तैयारी करते समय 5 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर दर से गोबर की खाद मिला दें। रोपाई के लगभग 20-25 दिन बाद पौधे का शीर्षनोचन करें ताकि पौधे में अधिक शाखाएं एवं फूल आएं। बबूना को लगाने के लगभग तीन महीने के अंदर ही फूल आने शुरू हो जाते हैं। प्रत्येक पौधे पर लगभग 100-150 फूल लगते हैं। प्रति वर्ग मीटर 2.5-3.5 किलो फूल प्राप्त हो जाते हैं तथा लगभग एक बीघे से 14-21 क्विंटल फूल प्राप्त किए जा सकते हैं। फूलों को बिना डंडी के तोडक़र गत्ते की अंदर से अखबार लगी पेटियों में डालकर विपणन के लिए मंडी में भेजा जाता है।
ये मिलते हैं दाम.... किसान को 35 रुपए से 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से फूल के दाम प्राप्त हो जाते हैं। बबूना का बीज भी किसान स्वयं बना सकता है लेकिन उसके लिए एक ही किस्म को खेत में लगाना पड़ेगा। फूलों की पत्तियों के झडऩे के लगभग 40 दिन बाद फूलों का बीज पक जाता है जिसे फिर फुनगी सहित काट कर पॉलिथीन शीट पर डाल कर सुखा लिया जाता है। यह बीज का मूल्य 8000 से 10000 रुपए प्रति किलो होता है।