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जागरूकता से बच सकते हैं लाखों जीवन

07:14 AM Apr 18, 2024 IST
जागरूकता से बच सकते हैं लाखों जीवन
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भारत डोगरा

दुनिया और देश दोनों स्तर पर दुर्घटनाएं लोगों के दुख-दर्द का एक बहुत बड़ा कारण हैं, फिर चाहे यह सड़क दुर्घटनाएं हों, अग्निकांड हों या अन्य दुर्घटनाएं। दूसरी ओर अनेक अध्ययन यह भी बता रहे हैं कि यदि सही नियोजन व पूरी प्रतिबद्धता से प्रयास किए जाएं तो दुर्घटनाओं की संख्या को काफी तेजी से कम किया जा सकता है।
हाल ही में प्रकाशित एक पुस्तक ‘वाय एक्सीडेंट्स आर रेयरली एक्सीडेंटल’ ने अधिकांश लोगों के जीवन के इस अनुभव को अनेक तथ्यों और प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक का शीर्षक ही बहुत कुछ कह जाता है- कम ‘दुर्घटनाएं’ ही दुर्घटनावश होती हैं। यानी जिसे हम किस्मत का खेल मान बैठे हैं उन दुर्घटनाओं में से अधिकांश पर वास्तव में मनुष्य का नियंत्रण होता है और हम समय रहते कार्यवाही करें तो बहुमूल्य मानव जीवन व संपत्ति की क्षति रोकी जा सकती है। इस पुस्तक के लेखकों मार्क गरस्टीन व माइकेल एल्सबर्ग का कहना है कि बेहतर नियोजन, मेहनत व जोखिम के प्रति चौकन्ने बने रहने से दुर्घटनाओं व उनके दुष्परिणामों को बहुत कम किया जा सकता है। इस पुस्तक में दिए गए अनेक उदाहरणों का आकलन भी यही बताता है कि जहां आरंभिक चेतावनियों पर ध्यान न देकर सुरक्षा को ताक पर रखा गया वहां गंभीर दुर्घटनाएं हुईं जबकि जहां आरंभ में सुरक्षा पर ध्यान दिया गया वहां ‘दुर्घटनाओं’ को टाला जा सका।
दुख-दर्द कम करने का एक बड़ा जरिया है दुर्घटनाओं की संभावनाओं को कम करना। इसके साथ दुर्घटना हो जाने पर जीवन रक्षा की संभावना को मजबूत करना भी जरूरी है। इन दो उपायों से प्रतिवर्ष लाखों जीवन बचाए जा सकते हैं और इससे कहीं अधिक लोगों को बहुत कष्टदायक रूप से घायल होने, दीर्घकालीन शारीरिक-मानसिक क्षति तथा अपंगता से बचाया जा सकता है।
गंभीर दुर्घटना से प्रभावित व्यक्ति ही क्षतिग्रस्त नहीं होते हैं, उनके परिवार के सदस्यों व अन्य नजदीकी व्यक्तियों को भी इस दुर्घटना के कई प्रतिकूल असर भुगतने पड़ते हैं। गहरे दुख-दर्द व सदमे के अतिरिक्त इन विभिन्न व्यक्तियों को प्रायः गंभीर आर्थिक संकट भी झेलना पड़ता है।
दुर्घटनाओं संबंधी समग्र जानकारी अभी किसी एक स्थान पर उपलब्ध तक नहीं है। सबसे अधिक चर्चा में सड़क दुर्घटनाएं हैं। इसके अतिरिक्त यातायात की दुर्घटनाएं लें तो रेल दुर्घटनाएं, नाव दुर्घटनाएं व वायुयान दुर्घटनाएं हैं। अंतिम श्रेणी को छोड़ दें तो शेष सभी दुर्घटनाओं के उपलब्ध आंकड़े वास्तविकता से कम हैं। पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों की रक्षा पर विशेष ध्यान दें क्योंकि दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें इन्हीं की होती हैं।
सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों का जीवन बचाने के लिए पहला घंटा सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। यदि इस दौरान उचित प्राथमिक इलाज देकर दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो लगभग 50 प्रतिशत जीवन बच सकते हैं। पर इसके लिए बहुत कम सुविधाएं देश में उपलब्ध हैं।
यातायात के बाद दूसरे नंबर पर कार्यस्थल पर होने वाली दुर्घटनाएं हैं। इनकी संख्या को कम बनाने के प्रयास प्रायः होते हैं। कार्यस्थल यानी उद्योगों, खदानों, खेत-खलिहान, प्लांटेशन, निर्माण कार्यों, सफाई कार्य आदि में होने वाली बहुत दुर्घटनाओं और उनमें हुई मौतों के सरकारी आंकड़े वास्तविकता से कहीं कम हैं। आवास में होने वाली दुर्घटनाएं सबसे उपेक्षित हैं। इनमें प्रति दुर्घटना चाहे कम क्षति हो पर इन दुर्घटनाआंे की कुल संख्या बहुत अधिक है। चौथे नंबर पर सभी तरह के शिक्षण-प्रशिक्षण स्थानों में होने वाली दुर्घटनाएं हैं। पांचवें स्थान पर ऐसी दुर्घटनाएं हैं जो विशेषकर भीड़ वाले स्थानों पर तीर्थस्थानों, मेलों, उत्सवों, सम्मेलनों व पर्यटन स्थलों पर होती हैं।
अंत में उन दुर्घटनाओं की हमें एक अलग श्रेणी बनानी चाहिए जिनका असर बहुत दूर-दूर तक जा सकता है व देर तक बना रहता है। इस श्रेणी में जहरीली गैस के रिसाव से जुड़ी दुर्घटनाओं व परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की दुर्घटनाओं को रखा जा सकता है जिन पर विशेष ध्यान देने व उच्च स्तर की विशिष्ट तकनीकी उपलब्ध करने की जरूरत है।
इन सभी दुर्घटनाओं के बारे में समग्र विश्वसनीय जानकारी एक स्थान पर उपलब्ध होना जरूरी है क्योंकि ऐसी जानकारी के आधार पर ही दुर्घटनाओं व उनकी जानलेवा क्षमता कम करने के लिए उचित प्रबंधन व नियोजन हो सकता है।
हालांकि विभिन्न तरह की दुर्घटनाओं से बचाव के लिए अलग-अलग तरह के प्रयास जरूरी हैं, पर कुछ सामान्य महत्व के कदम ऐसे हैं जो सब तरह की दुर्घटनाओं की क्षति कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। जीवन के सभी क्षेत्रों में जरूरी सावधानियों व सुरक्षा के नियमों को अपनाने की जागरूकता को बढ़ाना ऐसा ही एक कार्य है। दुर्घटना से घायल जहां भी हो जो भी हों, उन्हें तुरंत जरूरी प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करवाना व सही तौर-तरीकों से अस्पतालों में पहुंचाना एक अन्य महत्वपूर्ण जरूरत है।
सामान्य व विशिष्ट सब तरह की दुर्घटनाओं संबंधी जिम्मेदारियों को आगे बढ़ाने के लिए एक केंद्रीय दुर्घटना प्राधिकरण की जरूरत है जहां एक स्थान पर सभी तरह की दुर्घटनाओं संबंधी प्रबंधन नियोजन, अध्ययन व अनुसंधान समग्र रूप से हो सके। इसके कार्यालय राष्ट्रीय, राज्य व जिला स्तर पर होने चाहिए तथा साथ ही पंचायतों में दुर्घटनाओं संबंधी जागरूकता बढ़ाने के कार्य को महत्व मिलना चाहिए। इसके साथ दुर्घटनाओं व उनकी जानलेवा क्षमता को कम करने के कार्य को विभिन्न स्तरों पर जन-भागीदारी से एक व्यापक जन अभियान का रूप देना चाहिए।

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