सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली अपनाकर पानी की बर्बादी को रोकें
हिसार, 30 जनवरी (हप्र)
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय स्थित उद्यान विभाग के सुनियोजित कृषि विकास केंद्र द्वारा ‘सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली’ विषय पर सात दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज के मार्गदर्शन में आयोजित किए गए प्रशिक्षण में 24 किसानों एवं 6 विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग मुख्यातिथि जबकि कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
अनुसंधान निदेशक डॉ राजबीर गर्ग ने बताया कि ‘सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली’ सिंचाई की सर्वोत्तम एवं आधुनिक विधि है।
इस प्रणाली से कम पानी में अधिक क्षेत्र की सिंचाई की जा सकती है। देश के अधिकांश क्षेत्रों में सिंचाई कच्ची नालियों से की जाती है। जिसमें तकरीबन 30 से 40 प्रतिशत पानी रिसाव के कारण बेकार चला जाता है। सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली में पानी की बर्बादी नहीं होती। इस विधि से सिंचाई करने पर 30 से 40 प्रतिशत पानी की बचत होती है। इस विधि से फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता में भी सुधार होता है।
उन्होंने बताया कि सरकार भी ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के मिशन के अंतर्गत फव्वारा व टपका सिंचाई पद्धति को बढ़ावा दे रही है।
डॉ. एसके पाहुजा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में लगभग 200 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसमें से तकरीबन 95 मिलियन हेक्टर भूमि सिंचित है। यह कुल क्षेत्रफल का केवल 48 फीसदी है। ऐसे में 52 फीसदी असिंचित कृषि भूमि में उन्नत कृषि हेतु आवश्यक जल की आपूर्ति कराना भी चुनौतीपूर्ण है।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. प्रिंस ने सभी का धन्यवाद किया जबकि मंच का संचालन डॉ. विकास काम्बोज ने किया। इस अवसर पर डॉ. राजपाल दलाल, डॉ. सुशील शर्मा, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. सतपाल बलौदा, डॉ. आदेश कुमार, डॉ. रवीना सैनी व राजकुमार मौजूद रहे।