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High BP हाई बीपी को टालें पॉजिटिव जीवनचर्या से

04:04 AM Dec 18, 2024 IST
हाईबीपी की नियमित जांच

विभिन्न वजहों के चलते महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर के जोखिमों के प्रति पुरुषों के मुकाबले ज्यादा संवेदनशील हैं। ऐसा शोधों में भी सामने आया है। प्रेग्नेंसी व मेनोपॉज के दौरान उन्हें बीपी आदि की शिकायत होती है और कई मामलों में वह स्थाई बीमारी बन जाती है। जीवनशैली में पॉजिटिव बदलाव और नियमित जांच जैसे कदम उच्च रक्तचाप से बचाव में कारगर हैं।

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मधु सिंह
हाई ब्लडप्रेशर की बीमारी पुरुषों के लिए भी खतरनाक है, लेकिन विभिन्न मेडिकल शोध बताते हैं कि यह रोग पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के लिए कहीं ज्यादा खतरनाक है। शायद यह जानकर बहुत सी महिलाओं को हैरानी भी हो। आखिर इसकी क्या वजह है? सवाल यह भी कि तेजी से बदल रहे हाई ब्लडप्रेशर यानी उच्च रक्तचाप के शिकंजे में कसती भारतीय महिलाएं इससे बचने के लिए आखिर क्या उपाय कर सकती हैं?
ज्यादा जाखिम की वजह
हाई ब्लडप्रेशर महिलाओं के लिए इसलिए ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि इसे नियंत्रित करने में जिन दो हार्मोंस एस्ट्रोजन और पोजेस्ट्रोन की भूमिका होती है, मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ये हार्मोंन्स कम बनते हैं साथ ही इनका स्तर लगातार गिरता है, जिससे हाई ब्लडप्रेशर काफी हद तक अनियंत्रित हो जाता है और फिर यह हृदय रोग का खतरा बन जाता है।
गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएं
कई महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप और प्रि-एक्लेम्पसिया की समस्या पैदा हो जाती है, जिस कारण गर्भ तो संकट में पड़ ही जाता है वहीं कई बार हाई ब्लडप्रेशर की समस्या स्थायी बनकर रह जाती है। जबकि करीब-करीब हर महिला को गर्भावस्था के कारण हाइपरटेंशन से गुजरना पड़ता है। लेकिन 20 से 25 फीसदी महिलाओं में यह समस्या बाद में हमेशा के लिए स्थायी हाई बीपी की समस्या बन जाती है। इसलिए महिलाओं को कभी भी हाई ब्लडप्रेशर के सामान्य से लक्षणों की भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। जबकि कई बार महिलाएं इसे थकावट या तनाव मानकर अनदेखी कर देती हैं।
लापरवाही से नुकसान
विभिन्न अध्ययनों में भारतीय संदर्भ में पाया गया है कि आधे से ज्यादा महिलाओं को हाई ब्लडप्रेशर की समस्या लापरवाही के कारण होती है। क्योंकि महिलाएं अकसर हाई ब्लडप्रेशर और हृदय रोग जैसी बड़ी समस्याओं की सहजता से अनदेखी कर देती हैं। वैसे महिलाओं में विशेषकर मेनोपॉज के बाद जीवन में रुचि न लेने, शारीरिक गतिविधियां में कमी आ जाने और असंतुलित आहार लेने के कारण हाई ब्लडप्रेशर का हमला होता है और यह फिर उन पर अपना शिकंजा कसता जाता है। विभिन्न मेडिकल रिपोर्टों के मुताबिक भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र की 23 से 27 फीसदी महिलाएं हाई ब्लडप्रेशर की शिकार हैं। वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा होगी, क्योंकि आंकड़ा उन महिलाओं की संख्या से बनता है, जो इलाज संबंधी अपनी जांच कराती हैं। जबकि बड़े पैमाने पर महिलाएं हाई ब्लडप्रेशर की समस्याओं को समझ ही नहीं पातीं और इलाज कराने के लिए भी आगे नहीं आतीं। इसलिए भी जानकारों का आकलन है कि देश में हाई ब्लडप्रेशर की समस्या इससे डेढ़ गुनी जरूर होगी। क्योंकि मेनोपॉज के बाद बड़ी तादाद में महिलाएं इस रोग की ओर चली जाती हैं, जबकि उनमें से ज्यादातर यह जानती ही नहीं।
हाई बीपी के खतरे
शहरी जीवनशैली में विशेषकर हाई ब्लडप्रेशर बेहद खतरनाक है। करीब 40 फीसदी से ज्यादा महिलाओं को दिल का दौरा सिर्फ हाई ब्लडप्रेशर के चलते पड़ता है और उनमें बाकी के मुकाबले स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। महिलाओं के लिए हाई ब्लडप्रेशर इसलिए पुरुषों के मुकाबले ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि कई बार महिलाओं के हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से बिल्कुल अलग होते हैं और उसकी वजह यही हाई ब्लडप्रेशर होता है।
किडनी फेल होना
हाई हाई ब्लडप्रेशर की समस्या के चलते 25 फीसदी महिलाओं की किडनी फेल हो जाती है। साथ ही हाई ब्लडप्रेशर 20 फीसदी से ज्यादा महिलाओं की आंखों की रोशनी जाने का कारण बनता है। इसलिए हाई ब्लडप्रेशर को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
रोग के सामान्य लक्षण


शुरुआत में हाई ब्लडप्रेशर के कोई विशेष और स्पष्ट लक्षण नहीं होते। लेकिन लंबे समय तक अनियंत्रित हाई ब्लडप्रेशर के कारण कई लक्षण दिखने लगते हैं जैसे- लगातार सुबह के समय सिरदर्द होना। चक्कर आना और सांस फूलना। छाती में भारीपन महसूस होना। धुंधला या कमजोर दिखना। दिल की धड़कन तेज होना। थकान और सुस्ती। कई बार इनमें से कोई लक्षण भी स्पष्ट रूप से नहीं दिखता और कई बार कई सारे लक्षण एक साथ गड्डमड्ड रहते हैं।
कैसे बचें उच्च रक्तचाप से
जीवनशैली में बदलाव करके हाई बीपी की समस्या से बच सकते हैं। इसके लिए स्वस्थ आहार लें। दिन में पांच ग्राम से ज्यादा नमक कतई न खाएं। अपने खानपान में ज्यादा से ज्यादा ताजे फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज और लो फैट डेरी उत्पादों को शामिल करें। साथ ही तले-भुने भोजन और फास्ट फूड से हर हाल में बचें। इसके अलावा नियमित रूप से कम से कम 30 से 40 मिनट तक एक्सरसाइज करें। योग और मेडिटेशन करें। अपने मोटापे पर नियंत्रण रखें। बीएमआई को बहुत ज्यादा फैलने न दें और शराब व धूम्रपान से हर हाल में बचें।
ऐसे मैनेज करे हाई ब्लडप्रेशर
हाई ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने के लिए प्राणायाम का अभ्यास करें। परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं। नियमित रूप से अपने हाई ब्लडप्रेशर को नापें और अगर बढ़ा हुआ तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। महिलाओं को तो खास तौरपर हर समय और विशेष तौरपर गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से हाई ब्लडप्रेशर को जांचते रहना चाहिए। जरा भी समस्या लगे तो तुरंत इलाज कराना चाहिए, बाद पर नहीं टालना चाहिए। मेनोपॉज के बाद तो खास तौरपर हाई ब्लडप्रेशर का जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि एस्ट्रोजन के कम होने से हाई ब्लडप्रेशर का असर बढ़ता है।

-इ.रि.सें.

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