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बुआ के बेटे भूपेंद्र हुड्डा अब बीरेंद्र सिंह के निशाने पर

10:05 AM May 09, 2024 IST
बुआ के बेटे भूपेंद्र हुड्डा अब बीरेंद्र सिंह के निशाने पर
भूपेंद्र हुड्डा, बीरेंद्र सिंह
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* 2005 में आयी थी दोनों दिग्गज नेताओं के रिश्तों में खटास
* बृजेंद्र सिंह की टिकट कटने के बाद बीच की खाई हुई और गहरी
* भूपेंद्र हुड्डा से 2005 में सीएम पद की लड़ाई में हार गए थे बीरेंद्र सिंह

जसमेर मलिक/हमारे प्रतिनिधि
जींद, 8 मई
राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता, यह बात इन दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के आपसी संबंधों के मामले में एकदम सही साबित हो रही है। बीरेंद्र सिंह और भूपेंद्र हुड्डा आपस में मामा-फूफी के हैं। इनके इस खून के रिश्ते पर राजनीति भारी पड़ रही है। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के मामा के बेटे बीरेंद्र सिंह इन दिनों अपनी बुआ के बेटे पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे।
पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह 2004 के लोकसभा चुनाव तक एक दूसरे के पारिवारिक और राजनीतिक रूप से काफी नजदीक थे। यह वह दौर था, जब 1991 में बीरेंद्र सिंह ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नाते रोहतक से कांग्रेस की लोकसभा टिकट के लिए भूपेंद्र हुड्डा के नाम की सिफारिश की थी। उस समय बीरेंद्र सिंह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बहुत नजदीक थे। हुड्डा और बीरेंद्र सिंह के बीच की यह राजनीतिक दोस्ती और पारिवारिक संबंध 2004 के लोकसभा चुनाव तक बेहद मजबूत रहे।
इन दोनों के ने कंधे से कंधा मिलाकर तब पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला और उनकी इनेलो पार्टी के खिलाफ जींद से लेकर रोहतक और पूरे प्रदेश में मजबूत लड़ाई लड़ी थी। हुड्डा और बीरेंद्र सिंह के बीच के बेहद मधुर और मजबूत संबंधों में खटास फरवरी 2005 में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद आई। कांग्रेस को फरवरी 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रदेश में 1991 के बाद स्पष्ट बहुमत मिला। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद जब मुख्यमंत्री पद के लिए रेस शुरू हुई तो इस पद की दौड़ में पूर्व सीएम भजनलाल, रोहतक के तत्कालीन कांग्रेसी सांसद भूपेंद्र हुड्डा और जींद के उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस टिकट पर विजयी रहे बीरेंद्र सिंह के बीच मुकाबला हुआ था।
सीएम की कुर्सी की इस लड़ाई में बाजी बीरेंद्र सिंह और भजनलाल जैसे दिग्गज कांग्रेस नेताओं को पछाड़ कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा मार ले गए थे। यहीं से बीरेंद्र सिंह और भूपेंद्र हुड्डा के बीच के राजनीतिक रिश्तों में खटास आई। बीरेंद्र सिंह को 2005 में भूपेंद्र हुड्डा सरकार में केवल वित्त मंत्री के पद से संतोष करना पड़ा। उसके बाद से रिश्ते में एक-दूसरे के भाई लगने वाले इन नेताओं के बीच के संबंध कभी सामान्य नहीं हो पाए। जब बीरेंद्र सिंह प्रदेश की भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री थे, तब भी वह भूपेंद्र हुड्डा पर परोक्ष रूप से हमला बोलने से नहीं चूकते थे।
2009 में भूपेंद्र हुड्डा दूसरी बार प्रदेश के सीएम बन गए, और बीरेंद्र सिंह उचाना कलां से कांग्रेस टिकट पर चुनाव इनेलो के ओमप्रकाश चौटाला के हाथों हार गए थे। यहां से बीरेंद्र सिंह और भूपेंद्र हुड्डा के बीच राजनीतिक पदों में जमीन आसमान का अंतर आ गया। इस दौरान 2014 के लोकसभा चुनाव से लगभग एक साल पहले तत्कालीन मनमोहन सिंह कैबिनेट के विस्तार में बीरेंद्र सिंह, जो उस समय कांग्रेस के राज्य सभा सांसद थे, को मंत्री पद मिलने की चर्चा चली थी, लेकिन वह मंत्री नहीं बन पाए थे। इसके लिए बीरेंद्र सिंह और उनके समर्थकों ने भूपेंद्र हुड्डा को जिम्मेदार माना था, और इसी वजह से बीरेंद्र सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की 40 साल की अपनी राजनीति छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था।

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घर वापसी के बाद फिर बिगड़े संबंध

बीरेंद्र सिंह लगभग 10 साल भाजपा में रहने के बाद अब परिवार समेत कांग्रेसी हो गए हैं। उनके 10 साल बाद कांग्रेस में दोबारा वापस आने के बाद यह समझ जा रहा था कि उनके और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के बीच के संबंध अब सामान्य हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दोनों के बीच के संबंध सामान्य होने की बजाय की हिसार से कांग्रेस की लोकसभा टिकट के मामले में और खराब हो गए। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह हिसार से अपने बेटे निवर्तमान सांसद बृजेंद्र सिंह को कांग्रेस टिकट दिलवाने के लिए मजबूती से पैरवी कर रहे थे। इस मामले में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा रिश्ते में अपने मामा के बेटे बीरेंद्र सिंह पर भारी पड़े और उन्होंने हिसार से कांग्रेस टिकट राजनीतिक रूप से अपने बेहद नजदीकी पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश को दिलवा दी। हिसार से जयप्रकाश को कांग्रेस टिकट मिलने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह रिश्ते में अपनी बुआ के बेटे पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा से बेहद खफा हैं।

हुड्डा का नाम लिए बिना बोला था हमला

पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह कई साल पहले गंभीर रूप से बीमार हो गए थे। लंबी बीमारी के बाद वह स्वस्थ होकर सार्वजनिक जीवन में आए, तो नरवाना के छोटू राम पार्क में उन्होंने यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि उनके पास एक बड़े नेता का फोन उनकी कुशलक्षेम पूछने को लेकर आया था। हकीकत यह थी कि लोग उनके मरने की खबर का इंतजार कर रहे थे। तब यह माना गया था कि बीरेंद्र सिंह का इशारा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की तरफ था।

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