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सरकारी नौकरी के आकर्षक विकल्प

07:52 AM Sep 26, 2024 IST

नरेंद्र कुमार
देश में सरकारी और गैर-सरकारी नौकरियों में संकट के बावजूद, ई-कॉमर्स क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2023 में भारत के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ने 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार हासिल किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 22 प्रतिशत की वृद्धि है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2030 तक यह आंकड़ा 300 से 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा, क्योंकि वर्तमान में 93 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हैं, जिनमें से 35 करोड़ वयस्क हैं।
ई-कॉमर्स या इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स दरअसल वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री का ऑनलाइन जरिया है। इसमें सभी तरह की चीजों की खरीद और बिक्री शामिल है—ये भौतिक वस्तुएं भी हैं और डिजिटल वस्तुएं भी। साथ ही, इस कारोबार में विभिन्न तरह की सेवाएं भी शामिल हैं। आज की तारीख में देश में खरीद-बिक्री का सबसे बड़ा बाजार ई-मार्केट या दूसरे शब्दों में हमारा मोबाइल और इंटरनेट है। ई-कॉमर्स ने कारोबारियों को बहुत-सी सहूलियतें दी हैं। पहले जहां कारोबार का एक नियमित समय होता था, ई-कॉमर्स ने समय और दूरी की इस बाधा को खत्म कर दिया है। आप 24 घंटे में कभी भी कोई भी वस्तु या सेवा ऑनलाइन माध्यम से खरीद या बेच सकते हैं। पहले ई-कॉमर्स के जरिए कारोबार सिर्फ अपनी वेबसाइट से ही संभव था, लेकिन अब तीसरे पक्ष यानी किसी और की वेबसाइट से भी यह बहुत आसानी से संभव है।
ई-कॉमर्स का हाल के सालों में न केवल धनराशि के स्तर पर विस्तार हुआ है, बल्कि यह कारोबार के तरीके के स्तर पर भी फैला है। पहले जहां शुद्ध रूप से सिर्फ बेचने और खरीदने का काम होता था, अब ई-कॉमर्स के जरिए वो सभी तरह के कारोबार होते हैं, जो पहले सिर्फ ऑफलाइन संभव थे। मसलन, अब ई-कॉमर्स चलते ऑनलाइन नीलामी का कारोबार भी संभव है। पहले यह सीधे अपनी वेबसाइट से ही संभव था; आज यह तरह-तरह के मार्केट एप के जरिए भी हो रहा है। भारत में इसलिए भी ई-कॉमर्स का बेहद भरोसेमंद भविष्य है, क्योंकि सरकार ने भी पॉलिसी के स्तर पर ई-कॉमर्स को पूरी तरह से समर्थन देने का मन बनाया है। मसलन, अब बी2बी ई-कॉमर्स में सौ फीसदी एफडीआई की अनुमति है; पहले इस स्तर पर एफडीआई की अनुमति नहीं थी।
विदेशी ई-कॉमर्स कारोबारी भारत में अपने कारोबार विस्तार का सपना देख रहे थे, लेकिन नीतिगत समस्याओं के चलते यह संभव नहीं था। अब ई-कॉमर्स क्षेत्र के विदेशी कारोबारियों को निवेश की अनुमति है। यही वजह है कि स्वदेशी ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट, एक बिलियन अमेरिकी डॉलर की पूंजी बाजार से उगाहने के लिए तैयार है। इसमें करीब 60 करोड़ अमेरिकी डॉलर की पूंजी का इंतजाम इसकी मूल कंपनी वॉलमार्ट के द्वारा होगा। पहले यह मुश्किल था, लेकिन अब ई-कॉमर्स के मार्केट प्लेस मॉडल में स्वचालित मार्ग के चलते आसानी से कारोबारी सौ फीसदी एफडीआई जुटा सकते हैं।
ई-कॉमर्स में बेरोजगारी की समस्या को इसके जरिए हम अच्छी तरह से नियंत्रित कर सकते हैं। अगर आपने पढ़ाई की है और संचार के क्षेत्र में मोबाइल और इंटरनेट को अच्छी तरह से टैकल कर लेते हैं, तो आज आपको बेरोजगारी की समस्या से जूझने की जरूरत नहीं है। आप न सिर्फ छोटे स्तर से अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं, बल्कि अगर आपमें किसी भी किस्म की स्किल या दक्षता है, तो उसका भी आसानी से कारोबार कर सकते हैं। क्योंकि ई-कॉमर्स में सिर्फ वस्तुओं का ही व्यापार विनिमय नहीं होता, बल्कि बड़े पैमाने पर सेवाओं का भी कारोबार होता है।
आज देश में एक बिलियन डॉलर सालाना से ज्यादा के विभिन्न तरह के ट्यूशन पढ़ाए जाते हैं। भविष्य में करीब 90 प्रतिशत तकनीकी और गैर-तकनीकी शिक्षा ऑनलाइन होगी। डॉक्टरों की कंसल्टेंसी भी 60 प्रतिशत से ज्यादा ऑनलाइन हो जाएगी, विशेषकर जब देश में जी-6 संचार सुविधाएं उपलब्ध होंगी। करिअर के नाम पर अब ज्यादा से ज्यादा लोग बिना किसी की नौकरी किए अपनी ही नौकरी करेंगे, चाहे यह कारोबार के रूप में हो या सेवाओं के रूप में। इसलिए ई-कॉमर्स की यह बूम भारत के युवाओं के भविष्य के लिहाज से शानदार और भरोसा जगाने वाली है।

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