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सोशल मीडिया के जरिये फैसले प्रभावित करने की हो रही कोशिश

06:02 AM Nov 25, 2024 IST

नयी दिल्ली, 24 नवंबर (एजेंसी)
पूर्व चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि विशेष हित समूहों द्वारा फैसले प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा है और न्यायाधीशों को उनसे सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि आजकल लोग यूट्यूब या किसी अन्य सोशल मीडिया मंच पर देखे गए 20 सेकंड के वीडियो के आधार पर राय बना लेते हैं, जो बहुत बड़ा खतरा है।
पूर्व सीजेआई ने एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा, ‘आज कुछ विशेष हित समूह, दबाव समूह हैं, जो अदालतों की राय और मामलों के नतीजों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रत्येक नागरिक को यह समझने का अधिकार है कि किसी निर्णय का आधार क्या है और अदालत के फैसलों पर अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है। हालांकि जब यह अदालत के निर्णयों से परे चला जाता है और किसी न्यायाधीश को निशाना बनाता है, तो यह मौलिक प्रश्न उठाता है- क्या यह वास्तव में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है?’ उन्होंने कहा, ‘न्यायाधीशों को इस तथ्य के बारे में बहुत सावधान रहना होगा कि वे लगातार विशेष हित समूहों के हमले के अधीन हैं, जो अदालतों में होने वाले निर्णयों को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।’
कॉलेजियम प्रणाली का बचाव करते जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस प्रक्रिया के बारे में बहुत गलतफहमी है, यह बहुत ही सूक्ष्म विश्लेषण वाला और बहुस्तरीय है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में न्यायपालिका की एकमात्र भूमिका है।’
पद छोड़ने के बाद भी समाज जज के रूप में देखता है : यह पूछे जाने पर कि क्या न्यायाधीशों को राजनीति में प्रवेश करना चाहिए, पूर्व सीजेआई ने कहा कि संविधान या कानून में ऐसा करने पर कोई रोक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘समाज आपको सेवानिवृत्ति के बाद भी न्यायाधीश के रूप में देखता है, इसलिए जो काम दूसरे नागरिकों के लिए ठीक है, वह न्यायाधीशों के लिए पद से हटने के बाद भी ठीक नहीं होगा।’ उन्होंने कहा, ‘मुख्य रूप से यह हर न्यायाधीश को तय करना होता है कि सेवानिवृत्ति के बाद उनके द्वारा लिया गया निर्णय उन लोगों पर असर डालेगा या नहीं, जो न्यायाधीश के रूप में उनके द्वारा किए गए काम का मूल्यांकन करते हैं।’

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