साइबर अपराधों का वार
ऑन लाइन सेवाओं के विस्तार ने हमारे जीवन को जितना सुगम व सरल बनाया है, उतना ही खतरा साइबर अपराधों का भी बढ़ा है। दरअसल, देश में साइबर अपराधों पर शिकंजा कसने में देरी और लोगों में जागरूकता की कमी से भी अपराधी अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते हैं। यह खबर परेशान करने वाली है कि देश में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ व हरियाणा में साइबर अपराध की दर सबसे ज्यादा है। बल्कि हरियाणा में मेवात साइबर अपराधों के जरिये वसूली का बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। यह स्थिति कितनी चिंताजनक है कि पिछले तीन साल में वित्तीय धोखाधड़ी में दस हजार तीन सौ नब्बे करोड़ रुपये का चूना लोगों को लगा। कमोबेश साइबर अपराधियों के सुनियोजित गिरोहों द्वारा लोगों के विश्वास के साथ छल करके खून-पसीने की कमाई पर हाथ साफ किया जा रहा है। लोग शातिर अपराधियों के भ्रमजाल में फंस जाते है और उसकी बड़ी कीमत चुकाते हैं। यह समस्या कितना जटिल रूप ले चुकी है कि देश में एक लाख की आबादी पर 129 साइबर अपराध दर्ज किए गए हैं। लेकिन इसकी संख्या राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रति लाख आबादी पर 755, चंडीगढ़ में 432 तथा हरियाणा में 381 है। इन स्थानों पर ज्यादा साइबर क्राइम होने की एक वजह यह भी है कि ऑनलाइन विकल्पों के प्रति जागरूकता के चलते अधिक लोग इन सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। वैसे साइबर क्राइम की छद्म प्रवृत्ति से अनभिज्ञ लोग भी जल्दी अपराधियों के झांसे में फंस जाते हैं। हालांकि, देश की केंद्रीय एजेंसियां लगातार अपराधियों पर नजर रखे हुए हैं और निरंतर इनके खिलाफ अभियान चलाती रहती हैं। मेवात सहित कई राज्यों में साइबर क्राइम के खिलाफ बड़े अभियान चलाए गए हैं। राष्ट्रीय एजेंसियों ने 2.9 लाख फर्जी सिम, 2810 गलत मंशा से चलाए जा रहे यूआरएल और 595 मोबाइल ऐप्स ब्लॉक किए हैं। लेकिन इसके बावजूद कहना कठिन है कि साइबर क्राइम इन कार्रवाइयों से कम हुए हैं।
दरअसल, साइबर अपराधी पुलिस व जांच एजेंसियों की सक्रियता के बावजूद अपनी गतिविधियों को अंजाम देने में कामयाब हो जाते हैं। साइबर अपराधों का दायरा इतना विस्तृत व जटिल है कि पुलिस भी उन पर आसानी से हाथ नहीं डाल सकती। असल में, अपराध की दुनिया में साइबर अपराध की शुरुआत एक नया खतरा है, जिसके लिए हम अपनी पुलिस को पूरी तरह प्रशिक्षित नहीं कर पाए हैं। साथ ही नागरिकों को भी इस भ्रमजाल से बचने के लिये पर्याप्त रूप से जागरूक करने की जरूरत है। वहीं दूसरी ओर अपराध का स्वरूप देखें तो वर्ष 2023 में सभी साइबर अपराधों में 38 फीसदी धोखाधड़ी निवेश से संबंधित थी। इसके बाद ग्राहक सेवा या रिफंड लौटाने के नाम पर जरूरी जानकारी लेकर फ्राड करने अथवा केवाईसी समाप्ति संबंधी झूठी सूचना देकर ठगने के मामले प्रकाश में आए। इतना ही नहीं सेक्सटॉर्शन के जरिये भी धन वसूली के बहुत मामले प्रकाश में आए। इसमें वीडियो कॉल के जरिये लोगों के चित्र को अश्लील दृश्यों से जोड़कर बदनाम करने की धमकी देकर धन वसूला जाता है। यही वजह है कि साइबर विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि अनजान वीडियो कॉल का जवाब न दें। यदि वे कॉल लेते हैं तो सेक्सटॉर्शन के शिकार बन सकते हैं। दरअसल, साइबर विशेषज्ञ बैंकों के साथ काम करके उस गिरोहबंदी को रोकने पर काम कर रहे हैं जिसमें एक खाते से धन हस्तांतरित करके आगे अन्य खातों में भेज दिया जाता है और दूसरे के नाम से निकाल लिया जाता है। देश में साइबर अपराधों का वर्ष 2022 से 2023 में 61 फीसदी की दर से बढ़ना गंभीर चेतावनी है। यह बदलाव है कि इससे पहले वर्ष में यह वृद्धि एक सौ तेरह प्रतिशत थी। यह अच्छी बात है कि वर्ष 2019 में राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल लॉन्च होने के बाद लोगों को राहत मिली है। जिसके चलते साइबर अपराधों में 4.3 लाख नागरिकों के हुए नुकसान में से एक हजार एक सौ सत्ताईस करोड़ रुपये की वसूली की जा सकी है। लोगों को ऐप की अनुमति देते वक्त सावधान रहने की बात कही गई है।