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महिलाओं पर अत्याचार अक्षम्य पाप : मोदी

08:26 AM Aug 26, 2024 IST
जलगांव में रविवार को ‘लखपति दीदी’ कार्यक्रम में संवाद के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। -प्रेट्र

जलगांव, 25 अगस्त (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के साथ-साथ उनका सशक्तीकरण राष्ट्र की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उत्तर महाराष्ट्र के जलगांव में ‘लखपति दीदी’ रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार एक अक्षम्य पाप है और दोषी एवं उसका साथ देने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक संस्थाओं को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए, उनकी ओर से किसी भी तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है। मोदी ने कहा, सरकारें बदल सकती हैं, लेकिन समाज और सरकार के रूप में हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी महिलाओं के जीवन और सम्मान की रक्षा करना है।
मोदी ने कहा, ‘मैं अपनी बहनों, बेटियों के दर्द और गुस्से को समझता हूं, चाहे वे किसी भी राज्य की हों।’ प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं पर अत्याचार करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा देने के लिए सरकार लगातार कानूनों को सख्त बना रही है। मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में महिलाओं के लिए जो काम किया है, उतना आजादी के बाद से किसी भी पूर्ववर्ती सरकार ने नहीं किया।
मन की बात में बोले- बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले युवा आयें राजनीति में : मोदी ने ‘मन की बात’ में बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले युवाओं से राजनीति में आने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी समाज के हर क्षेत्र में ऐसे अनेक लोग सामने आए थे, जिनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी। आज हमें विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए एक बार फिर उसी भावना की जरूरत है। मैं अपने सभी युवा साथियों को कहूंगा कि इस अभियान से जरूर जुड़ें। मोदी ने कहा, इस साल मैंने लाल किले से बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक लाख युवाओं को राजनीतिक व्यवस्था से जोड़ने का आह्वान किया है। इस पर जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। इन युवाओं को बस सही मौके और सही मार्गदर्शन की तलाश है।
न्याय के लिए व्यवस्था को नया रूप देना महत्वपूर्ण
जयपुर : प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान हाईकोर्ट के प्लेटिनम जुबली समारोह में कहा कि कानूनों को आसान व स्पष्ट बनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान की गई अपनी ‘धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता’ संबंधी टिप्पणी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका दशकों से इस पर जोर दे रही है। सभी को न्याय दिलाने के लिए व्यवस्था को नया रूप देना और आधुनिक बनाना समान रूप से महत्वपूर्ण है।

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