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लोकसभा के साथ नहीं, बाद में ही होंगे विधानसभा चुनाव!

10:26 AM Jan 09, 2024 IST
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 जनवरी
हरियाणा विधानसभा के चुनाव लोकसभा के साथ होने की संभावनाएं लगातार कम हो रही हैं। राज्य सरकार और भाजपा संगठन लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव करवाने के पक्ष में है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व की ओर से अभी तक हरी झंडी नहीं मिली है। केंद्र की ओर से किसी तरह के संकेत नहीं मिलने के चलते अब सरकार और संगठन ने मिलकर पूरा फोकस लोकसभा चुनावों पर करने का मन बना लिया है।
बेशक, इस दौरान सितंबर-अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियां भी पार्टी साथ ही करती रहेगी।
राज्य यूनिट को यह लगता है कि अगर केंद्र की ओर से साथ चुनावों का कोई इशारा होता है तो किसी तरह की दिक्कत नहीं आनी चाहिए। इस लिहाज से दोनों मोर्चों पर भाजपा साथ काम करेगी। लेकिन फिलहाल अधिक फोकस लोकसभा पर ही रहने वाला है। इसी माह में लोकसभा क्षेत्रवार चुनावी कार्यालयों की शुरुआत हो सकती है।
लोकसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर हरियाणा प्रवास के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर चुके हैं। वहीं पार्टी हाईकमान ने राज्यवार वरिष्ठ नेताओं की ड्यूटी लगाई है ताकि ग्राउंड से फीडबैक जुटाया जा सके। इसी कड़ी में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वैजयंत पांडा ने भी विगत दिवस पंचकूला में प्रदेश कोर ग्रुप के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की। इन बैठकों में भी लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव करवाए जाने का मुद्दा उठा।
सूत्रों का कहना है कि इन दोनों ही बैठकों में नड्डा और पांडा ने भी पार्टी नेताओं को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि एक साथ चुनाव संभव नहीं हैं। अलबत्ता प्रदेश इकाई को लोकसभा के लिए चुनावी कार्यालय खोलने को कहा गया है। मौजूदा के मौजूदा सांसदों में से अधिकांश की राय भी यही है कि दोनों चुनाव अलग-अलग होने चाहिएं।
सीएम मनोहर लाल खुद भी कई बार कह चुके हैं कि वे समय पूर्व चुनाव करवाने को तैयार हैं। बशर्ते चुनाव आयोग और केंद्र सरकार की ओर से इस संदर्भ में कोई इशारा मिले।

एजेंसियां कर रही सर्वे :
बताते हैं कि हरियाणा में लोकसभा की सभी दस सीटों को लेकर केंद्र की एजेंसियों द्वारा सर्वे भी करवाया जा रहा है। पूर्व में भी ग्राउंड की रियल्टी जानी जा चुकी है।
तीन राज्यों – मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के बाद हालात बदले हैं। ऐसे में अब नये सिरे से सर्वे करवाया जा रहा है ताकि नये समीकरणों के हिसाब से ग्राउंड की सच्चाई पता लग सके।
यह सर्वे केंद्र की ओर से कई स्तर पर करवाया जा रहा है। इतना ही नहीं, संघ की ओर से भी हरियाणा की सीटों को लेकर अपना फीडबैक पार्टी को दिया जाएगा।

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अलग चुनाव का यह भी बड़ा कारण

सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व को यह अच्छे से पता है – अगर दोनों चुनाव एक साथ करवाए जाएंगे तो विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार अपने ही प्रचार में व्यस्त रहेंगे। उनके पास लोकसभा प्रत्याशियों के लिए काम करने का वक्त ही नहीं होगा। ऐसे में एक साथ चुनाव करवाने में जितना फायदा हो सकता है, उतनी ही संभावना नुकसान होने की भी है। पार्टी हाईकमान के एजेंडे में भी फिलहाल नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनाना प्राथमिकता है। लोकसभा नतीजों के बाद विधानसभा के चुनावों में पार्टी को किसी तरह की परेशानी नहीं।

समय पूर्व चुनाव की संभावना

इतना जरूर है कि हरियाणा में विधानसभा के चुनाव इस बार समय से पूर्व भी हो सकते हैं। पार्टी से जुड़े रणनीतिकारों का मानना है कि लोकसभा चुनावों में जीत के बाद प्रदेश में भाजपा के लिए माहौल और भी अच्छा बनेगा। ऐसी स्थिति में प्रदेश में विधानसभा के चुनाव अक्तूबर की बजाय इससे पहले अगस्त-सितंबर में करवाने का निर्णय लिया जा सकता है। 2009 में जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की दूसरी बार सरकार बनी तो उस समय हरियाणा की हुड्डा सरकार ने भी विधानसभा को भंग करके करीब छह महीने पूर्व चुनाव करवा लिए थे।

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