Assembly Budget Session 2025 : हरियाणा विधानसभा में टेबल हुई कैग रिपोर्ट, कई खामियां गिनवाई; राजस्व में 15% इजाफा
दिनेश भारद्वाज
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 10 मार्च।
Assembly Budget Session 2025 : हरियाणा में पूर्व की मनोहर सरकार के समय राजस्व प्राप्तियों में बढ़ोतरी हुई है। 2021-22 की अवधि में सरकार ने 15.59 प्रतिशत बढ़ोतरी राजस्व वसूली में की। हालांकि बिक्री कर, राज्य उत्पाद शुल्क, स्टॉम्प शुल्क व जमीनों के रजिस्ट्रेशन के लिए तय फीस के कुछ मामलों में खामियों के चलते सरकार को इस अवधि के दौरान एक हजार 103 करोड़ रुपये से अधिक की हानि भी हुई है। हरियाणा के प्रधान महालेखाकार द्वारा सोमवार को विधानसभा में कैग की रिपोर्ट पेश की गई।
कैग रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 के दौरान 67 हजार 561 करोड़ रुपये की तुलना में 2021-22 के लिए सरकार की कुल प्राप्तियां 78 हजार 91 करोड़ से अधिक रही। यानी सरकार ने 10 हजार 530 करोड़ रुपये यानी 15.58 प्रतिशत से अधिक राजस्व हासिल किया। 9 हजार 722 करोड़ रुपये केंद्रीय करों से हरियाणा के हिस्से का शेयर तथा 7 हजार 598 करोड़ रुपये सहायता अनुदान भी शामिल है।
कैग ने 2021-22 के दौरान बिक्री कर/मूल्य वर्धित कर, राज्य उत्पाद शुल्क, स्टॉम्प शुल्क व पंजीकरण फीस के 104 यूनिटों के 2 हजार 552 मामलों की जांच की। आडिट के बाद रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मामलों में 1 हजार 103 करोड़ 94 लाख रुपये से अधिक की हानि सरकार को हुई। इसे हानि के साथ-साथ कैग रिपोर्ट में कम रिकवरी भी माना है। संबंधित विभागों ने 1077 मामलों में 643 करोड़ रुपये से अधिक की कम वसूली स्वीकार भी की।
कर निर्धारण प्राधिकारियों ने टैक्स का आकलन करते हुए योग्य वस्तुओं की बजाय कर मुक्त बिक्री के रूप में कटौती की अनुमति दी। इस वजह से करीब 5 करोड़ रुपये के कम टैक्स की वसूली हुई। इतना ही नहीं, 4 करोड़ 77 लाख रुपये का ब्याज भी सरकार को नहीं मिला। अधिकारियों ने 36 करोड़ 61 लाख की बजाय 27 करोड़ 97 लाख के टर्नओवर के मामलों का टैक्स निर्धारित किया। इस वजह से भी करीब एक करोड़ की चपत सरकारी खजाने को लगी।
नहीं बनाया गया सिस्टम
कैग रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि आबकारी एवं कराधान विभाग ने वस्तु एवं सेवा कर के भुगतान और रिटर्न फाइलिंग को सत्यापित (वेरिफाई) करने के लिए उचित सिस्टम विकसित नहीं किया। इस वजह से इनपुट टैक्स क्रेडिट का मिलान न होने, निष्पासित देयताओं का मिलान न होने और टर्नओवर का मिलान नहीं होने की वजह से 678 करोड़ 22 लाख रुपये से अधिक की विसंगतियां पाई गईं।
नहीं वसूली 7.46 करोड़ की पेनल्टी
विभाग ने अवैध शराब के लिए अपराधियों से पेनल्टी वसूलने और आबंटियों से लाइसेंस फीस और ब्याज वसूलने की कोशिश ही नहीं की। इसकी वजह से 7 करोड़ 46 लाख रुपये से अधिक की रिकवरी ही नहीं हो पाई। यह चपत सरकार को लगी।
तहसीलों की भूमिका पर सवाल
कैग रिपोर्ट में कई तहसीलों और रेवन्यू अधिकारियों की भूमिका पर अपनी रिपोर्ट सवाल उठाए हैं। स्टॉम्प शुल्क व पंजीकरण फीस की कम वसूली और अन्य अनियमितताओं की वजह से 26 करोड़ रुपये का नुकसान सरकार को हुआ। 50 मामलों में किसानों को सरकार ने स्टॉम्प शुल्क से छूट की अनुमति दी। यह अनुमति मुआवजे से कृषि योग्य भूमि खरीदने के लिए ही दी गई थी। किसानों ने मुआवजे से रिहायशी व कमर्शियल जमीन खरीदी। इससे भी स्टॉम्प व फीस से हानि हुई।