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कांग्रेस उम्मीदवार घोषित होते ही अंबाला में सियासी पारा उछला

07:56 AM Apr 28, 2024 IST
कांग्रेस उम्मीदवार घोषित होते ही अंबाला में सियासी पारा उछला
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जितेंद्र अग्रवाल/हमारे प्रतिनिधि
अम्बाला शहर, 27 अप्रैल
कांग्रेस द्वारा मुलाना विधायक वरुण चौधरी को अम्बाला संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित करने के बाद यहां का राजनीतिक पारा एकाएक बढ़ने लगा है।
अब यह तय हो गया है कि इस बार परंपरागत रूप से फिर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला होने वाला है। कांग्रेस का आम आदमी पार्टी से गठबंधन है। वहीं इनेलो भी अपना उम्मीदवार उतार चुका है। छठे चरण में 25 मई को मतदान होना है।
2019 में यहां से लगातार दूसरी बार सांसद बने स्व़ रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया अपने पति के विजयी रथ को आगे बढ़ाने की कोशिश में जुटी हैं। वे अंबाला सीट पर भाजपा की जीत की हैट्रिक लगाने की जुगत में हैं। वहीं कांग्रेस व आम आदमी पार्टी भाजपा के 400 पार के नारे को अंबाला में बौना साबित करने में जुटी हैं।
इनेलो ने गुरप्रीत सिंह पर दाव खेला है। वरुण मुलाना हरियाणा के पूर्व शिक्षा मंत्री फूलचंद मुलाना के पुत्र हैं। दरअसल, आजादी के बाद हुए 17 लोकसभा चुनाव में अंबाला रिजर्व सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा (पहले जनसंघ गुट) में ही होता रहा है। एक बार बाजी गठबंधन में बसपा के हाथ भी लगी। शेष 16 में 9 बार कांग्रेस व 7 बार भाजपा ने चुनाव जीता है।
अम्बाला लोकसभा सीट पर जीत की हैट्रिक का रिकार्ड आज तक कांग्रेस के रामप्रकाश के नाम है। वे 1984, 1989 और 1991 में लगातार 3 बार विजयी रहे। इस सीट से सर्वाधिक 9 बार चुनाव लड़ने का रिकार्ड भाजपा के सूरजभान के नाम है। कांग्रेस के राम प्रकाश व भाजपा के सूरजभान को 4-4 बार अंबाला से लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। वहीं रतन लाल कटारिया 3 बार यहां से सांसद रहे। कांग्रेस के चुन्नी लाल, कुमारी सैलजा 2-2 बार, सुभद्रा जोशी, टेकचंद व बसपा के अमन कुमार ने 1-1 बार सांसद रहे हैं।
वर्तमान में अंबाला संसदीय सीट 3 जिलों अंबाला, यमुनानगर व पंचकूला तक फैली है। 1962 में आरक्षित चुनाव क्षेत्र घोषित होने के बाद से यह अब तक अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित संसदीय क्षेत्र है।
2019 में भाजपा के टिकट पर निर्वाचित सांसद रतन लाल कटारिया का 18 मई, 2023 को निधन हो गया था। लेकिन उपचुनाव नहीं होने के कारण अंबाला सीट वर्तमान में रिक्त ही पड़ी है। अम्बाला संसदीय क्षेत्र से सबसे ज्यादा 9 बार चुनाव लड़ने का श्रेय बेशक जनसंघ-भाजपा के सूरजभान को है। वहीं केंद्र में 10 साल मंत्री बनने वाली कांग्रेस की कुमारी सैलजा एकमात्र सांसद रही।
भाजपा के सूरजभान लोकसभा में उपाध्यक्ष पद पर रहे। 13 दिन की अटल सरकार में उन्हें कृषि मंत्री रहने का भी सौभाग्य मिला। अभी तक की सर्वाधिक अंतर की जीत भाजपा के रतनलाल कटारिया के नाम है।
2024 के चुनाव में भी मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होने की संभावना है। बसपा, इनेलो, जेजेपी सहित सभी राजनीतिक दलों की स्थिति चुनाव के करीब आते आते स्पष्ट हो पाएगी कि यह अपने बूते चुनाव लड़ेंगे या किसी के साथ गठबंधन करके।

यह है सियासी समीकरण
अंबाला पार्लियामेंट के अंतर्गत अपने वाले नौ विधानसभा हलकों में से पंचकूला में ज्ञानचंद गुप्ता, अंबाला सिटी में असीम गोयल, अंबाला कैंट में अनिल विज, यमुनानगर में घनश्याम दास अरोड़ा और जगाधरी में कंवर पाल गुर्जर भाजपा विधायक हैं। बाकी चार सीटों – कालका में प्रदीप चौधरी, नारायणगढ़ में शैली गुर्जर, सढ़ौरा में रेणु बाला और मुलाना में वरुण चौधरी कांग्रेस के विधायक हैं। इस लिहाज से भी कांटे की टक्कर होनी तय मानी जा रही है।

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