आर्य समाज ही भारतीय संस्कृति का रक्षक, अनुसरण की जरूरत : अंजली आर्या
मंडी अटेली, 15 नवंबर (निस)
आर्य समाज का दो दिवसीय 79वां वार्षिकोत्सव दौंगड़ा अहीर में बुधवार को समापन हो गया। समापन पर गुरुकुल में पढ़ने वाले बाल ब्रह्मचारियों ने योग की क्रियाएं कर लोगों का मन मोह लिया। इस मौके पर आर्य समाज दौंगड़ा के प्रधान वेदप्रकाश आर्य ने सभी का स्वागत किया।
समारोह में डॉ. सारस्वत मोहन ‘मनीषी’- दिल्ली, विदूषी अंजली आर्या, आचार्य सोमदेव संचालक आर्ष गुरुकुल मलारना राजस्थान, पं. दिनेश पथिक भजनोपदेशक- पंजाब, स्वामी ब्रह्मानंद एकान्ती, रामौतार पुरुषार्थी, ब्रह्मदेव आर्य, भरत सिंह आर्य आदि ने आर्य समाज से जुड़े सिद्धांतों में दर्शन को भजनों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया। आर्य समाज भवन में आर्य महासम्मेलन का शुभारंभ सुबह वैदिक रीति से हवन व यज्ञ भी हुआ। समापन पर आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद के सिद्धांतों को घर-घर पहुंचाने का संकल्प लिया गया। देश की संस्कृति को पश्चिमी सभ्यता से बचाने के लिए युवा पीढ़ी को तैयार करने पर जोर दिया गया। इस मौके पर अंजली आर्य ने कहा कि आर्य समाज ही भारतीय संस्कृति का रक्षक है, परिवर्तन के लिए आर्य समाज के अनुसरण की आवश्यकता है, सभी लोग इसे अमल में लायेंगे तो स्वामी दयानंद के विचार व दर्शन को घर-घर तक पहुंचाया जा सकता है।
इस अवसर पर कार्यकारिणी सदस्य वीर सिंह यादव, आचार्य उजागर सिंह, मोहन मनीषी,निहाल सिंह, बाबूलाल, धर्मवीर सिंह, बिरेंद्र सिंह, भरत सिंह, रामनारायण चिराग, विनित सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।