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अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर हाई कोर्ट ने रखा फैसला सुरक्षित

03:45 PM Jul 17, 2024 IST
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नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा)

Arvind Kejriwal: दिल्ली हाई कोर्ट ने आबकारी नीति मामले में सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती देने और अंतरिम जमानत का अनुरोध करने वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा लिया है।

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केजरीवाल ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि आबकारी ‘घोटाला' मामले में उनकी रिहाई को रोकने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उन्हें गिरफ्तार किया। हाई कोर्ट ने छुट्टी होने के बावजूद मामले की सुनवाई की।

इस दौरान केजरीवाल का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने न केवल सीबीआई की ओर से की गई गिरफ्तारी की आलोचना की बल्कि उन्हें मामले में जमानत पर रिहा करने का भी अनुरोध किया।

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की अदालत के समक्ष आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक का पक्ष रह रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी, ‘‘यह दुर्भाग्य से रिहाई रोकने के लिए की गई गिरफ्तारी है। मेरे पास (ईडी के मामलों में) बहुत ही सख्त प्रावधानों में प्रभावी रिहाई के तीन आदेश हैं... ये आदेश दिखाते हैं कि व्यक्ति रिहाई के लिए अधिकृत है। उसे रिहा किया जाना चाहिए लेकिन उसकी रिहाई न हो यह सुनिश्चित करने के लिए उसे गिरफ्तार किया गया है।''

सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल ‘‘आतंकवादी नहीं थे।'' उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी कानून के तहत नहीं हुई और मुख्यमंत्री जमानत के हकदार हैं।

सीबीआई की ओर पेश हुए अधिवक्ता डी.पी.सिंह ने केजरीवाल द्वारा दाखिल दो याचिकाओं का विरोध किया। मुख्यमंत्री ने एक अर्जी में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है जबकि दूसरी अर्जी में जमानत देने का अनुरोध किया है।

केजरीवाल ने दावा किया है कि उनकी रिहाई को रोकने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है और यह ‘अन्यायपूर्ण' है। केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था जहां पर वह पहले ही प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) द्वारा दर्ज धनशोधन के मामले में न्यायिक हिरासत में थे।

मुख्यमंत्री को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और सुनवाई अदालत ने 20 जून को उन्हें धनशोधन के मामले में जमानत दे दी थी। हालांकि, सुनवाई अदालत के फैसले पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को  मनी लांड्रिंग के मामले में अंतरिम जमानत दी।

विवादास्पद आबकारी नीति को दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा इसे बनाने एवं लागू करने में हुई कथित अनिमियतता एवं भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई को सौंपने के बाद 2022 में रद्द कर दिया गया था। सीबीआई और ईडी के मुताबिक लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से आबकारी नीति में बदलाव कर अनियमितता की गई।

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