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कलाकारों ने दर्शकों को झूमने पर किया मजबूर

07:37 AM Feb 12, 2024 IST
फरीदाबाद स्थित सूरजकुंड मेले की मुख्य चौपाल पर हरियाणवीं डांस करती महिला कलाकार। -हप्र

राजेश शर्मा/हप्र
फरीदाबाद, 11 फरवरी
गत 2 फरवरी से शुरू हुए 37वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में दूसरा रविवार काे पर्यटकों की भारी भीड़ रही। मुख्य चौपाल एवं छोटी चौपाल पर देशी व विदेशी कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से पर्यटकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
शिल्प मेला में हर कॉर्नर में बीन पार्टियां, डमरू पार्टियां, नगाड़ा पार्टियां, कच्ची घोडी के अलावा अन्य सांस्कृतिक मंडलियां अपने वाद्य यंत्रों से लगातार पर्यटकों का अभिवादन कर रही हैं। इन कलाकारों की धुनों पर लोकल पर्यटक ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी भाषाओं के बंधनों को तोड़कर खूब थिरक रहे हैं। मेला क्षेत्र में विनोदनाथ जैसी 12 बीन पार्टियां नागिन धुनों पर पर्यटकों को खूब नचा रही हैं। इस पार्टी में बीन, ढोल, तुम्बा, चिमटा आदि वाद्य यंत्र प्रयोग किए जा रहे हैं।

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सूरजकुंड मेले में राष्ट्रीय शिल्पकार अवार्डी महावीर सैनी के स्टॉल पर शोभा बढ़ा रहा पीतल पर नक्काशी का सामान। -हप्र

मोहन दलाल ने खूब हंसाये दर्शक

छोटी चौपाल पर दिनभर देशी व विदेशी कलाकार अपनी संस्कृतियों की झलक बिखेरते शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर रहे हैं। दर्शक भी झूमते हुए तालियों की गडगड़ाहट से कलाकारों का हौंसला बढ़ा रहे हैं। इस चौपाल पर आज हरियाणवी नृत्य के अलावा राजस्थानी, असम, महराष्ट्र व विभिन्न विदेशी कलाकारों की प्रस्तुतियों की धूम रही। हास्य कलाकार मोहन दलाल ने भी हरियाणा की जबरदस्त हाजिर जबाबी का परिचय देते हुए दर्शकों को खूब हंसाया।

लुभा रही शिल्पकार महावीर की पीतल पर नक्काशी

37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला में देश-विदेश के शिल्पकार अपनी सर्वश्रेष्ठ कृतियों की ओर पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। मुरादाबाद के राष्ट्रीय शिल्पकार पुरस्कार से सम्मानित महावीर सिंह सैनी पीतल पर नक्काशी की कला पर्यटकों खूब भा रही है। महावीर सैनी को वर्ष 2017 के लिए राष्ट्रीय शिल्पकार अवॉर्ड प्रदान किया गया। वर्तमान में पीतल धातु महंगी होने की वजह से आज कल उन्होंने कांसे पर नक्काशी करना शुरू किया है।महावीर सिंह सैनी मेला परिसर में स्टॉल संख्या.1240 पर पीतल पर नक्काशी की कृतियों को प्रदर्शित कर रहे हैं। उन्होंने हाई स्कूल में पढाई के दौरान ही 1988 में पडोस में पीतल पर नक्काशी की कला को अपनाने की प्रेरणा ली। माता-पिता ने भी उन्हें इस कला को अपनाकर आत्मनिर्भर होने के लिए प्रोत्साहित किया। आज वे 15 सदस्यों के साथ पूजा हैंडीक्राफ्ट्स समूह के माध्यम से पीतल पर नक्काशी की कला को आगे बढ़ा रहे हैं।

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