For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

संवेदनाओं की कलात्मक अभिव्यक्ति

11:36 AM Jun 25, 2023 IST
संवेदनाओं की कलात्मक अभिव्यक्ति
Advertisement

सत्यवीर नाहड़िया

दोहा हिंदी साहित्य में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। गागर में सागर भर लेने वाली इस विधा ने हिंदी साहित्य के हर काल में अपनी मौलिक छाप छोड़ी है। दोहा साहित्य में सतसई-सृजन की परंपरा भी बेहद प्राचीन रही है। तेरह-ग्यारह मात्राओं के चार चरण में लिखे जाने वाला यह अर्द्धसम मात्रिक छंद मुट्ठी में आकाश छिपाने की खूबी के लिए चर्चित रहा है। वक्रता तथा मारक क्षमता दोहों को धार देने में केंद्रीय भूमिका निभाती रही हैं। आलोच्य कृति ‘झरते पत्ते शाख से’ एक दोहा सप्तशती है, जिसमें सूक्ष्म मानवीय संवेदनाओं को कलात्मकता से अभिव्यक्त किया गया है। साहित्यकार सुरेश चंद्र ‘सर्वहारा’ द्वारा रचित इस दोहा सतसई में सौ विषयों पर सात सौ दोहों को शामिल किया गया है।

Advertisement

इस दोहा सतसई के विषयों का फलक बेहद विस्तृत है, जिसमें कहीं तीज-त्योहारों के चटक रंग हैं, तो कहीं मानवीय रिश्तों का ताना-बाना है। कहीं सामाजिक विसंगतियों व विद्रूपताओं के मुंह-बोलते शब्द चित्र हैं, तो कहीं सूक्ष्म मानवीय संवेदना का मार्मिक चित्रण है। शीर्षक दोहा देखिए :-

झड़ते पत्ते शाख से, बनने को इतिहास।

Advertisement

देखेंगे अब ये नहीं, जीवन में मधुमास।

समाज व राष्ट्र के समक्ष चुनौतियों के रूप में खड़ी विकराल समस्याओं को रचनाकार ने अपने दोहों का विषय बनाकर नैतिक दायित्व का निर्वाह किया है। जनसंख्या विस्फोट पर एक दोहा देखें : जनसंख्या है देश की, आधी अभी गरीब।/ अच्छे दिन की आस तब, कैसे कहें करीब।

रचनाकार ने सामाजिक तथा सांस्कृतिक अवमूल्यन पर गहन मंथन व मनन के साथ इन दोहों का सृजन किया है। हर विषय पर सात दोहे होने के चलते रचनाकार संबंधित विषय के बहुआयामी पक्षों को रेखांकित करने में सफल रहा है। संग्रह के अधिकांश दोहे कथ्य एवं शिल्प के तौर पर उत्कृष्ट हैं, किंतु कुछ दोहों में सपाट बयानी अखरती है।

पुस्तक : झरते पत्ते शाख से रचनाकार : सुरेश चंद्र ‘सर्वहारा’ प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर पृष्ठ : 110 मूल्य : रु. 200.

Advertisement
Tags :
Advertisement
Advertisement
×