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सेना की वापसी सबसे अच्छा फैसला : बाइडेन

11:48 AM Sep 02, 2021 IST
सेना की वापसी सबसे अच्छा फैसला   बाइडेन
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वाशिंगटन, 1 सितंबर (एजेंसी)

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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने युद्ध के करीब 20 साल बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी का जोरदार बचाव करते हुए इसे सबसे अच्छा और सही फैसला बताया। बाइडेन ने मंगलवार को देश के नाम संबोधन में कहा कि ऐसा युद्ध लड़ने की कोई वजह नहीं है, जो अमेरिकी लोगों के अहम राष्ट्रीय हितों में न हो। उन्होंने कहा, ‘मैं पूरे दिल से मानता हूं कि यह अमेरिका के लिए सही, विवेकपूर्ण और सबसे अच्छा फैसला है।’

बाइडेन ने कहा कि अफगानिस्तान में असली विकल्प लड़ाई छोड़ने और उसे बढ़ाने के बीच था। उन्होंने कहा, ‘मैं इस युद्ध को हमेशा के लिए बढ़ाना नहीं चाहता था। हमने एक दशक पहले अफगानिस्तान में जो लक्ष्य तय किया था, हम उसमें कामयाब हुए। हम एक और दशक रहे। अब इस युद्ध को खत्म करने का वक्त आ गया था। अफगानिस्तान के बारे में यह फैसला महज उस देश को लेकर नहीं है, यह दूसरे देशों के निर्माण के लिए, प्रमुख सैन्य अभियानों के एक युग की समाप्ति है।’ बाइडेन ने अमेरिका को बिना किसी जमीनी युद्ध में शामिल किए, आईएस जैसे आतंकवादी समूह से पैदा हो रहे खतरे के खिलाफ, अमेरिका की रक्षा करने का संकल्प जताया। बाइडेन ने कहा, अमेरिका नयी चुनौतियों का सामना कर रहा है। चीन के साथ गंभीर प्रतिस्पर्धा है। रूस के साथ कई मोर्चों पर चुनौतियों से निपट रहे हैं।

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अब आर्थिक संकट

अफगानिस्तान में बुधवार को काबुल में एक बैंक के बाहर पैसा लेने के लिए लगी ग्राहकों की लंबी कतार। युद्धग्रस्त यह देश तालिबान के ‘शासन’ और अमेरिका की रवानगी के बाद आर्थिक संकट में घिरता नजर आ रहा है। देश के केंद्रीय बैक के सदस्यों ने अमेरिका और आईएमएफ से आग्रह किया है कि वे तालिबान सरकार को देश के रिजर्व तक सीमित पहुंच दें, नहीं तो आर्थिक भूकंप आना तय है। वैसे इस बात के आसार बहुत कम हैं कि तालिबान को डीए अफगानिस्तान बैंक (डीएबी) की करीब 10 बिलियन डालर की परिसंपत्तियों तक पहुंच मिले, जो अधिकांशत: विदेश में हैं। -एजेंसी

अमेरिका ने ‘शून्य’ हासिल किया : पुतिन

मास्को (एजेंसी) : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में 20 साल लंबी सैन्य उपस्थिति से शून्य हासिल किया है। पुतिन ने बुधवार को कहा, ’20 वर्षों तक, अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में… वहां रहने वाले लोगों को सभ्य बनाने की कोशिश कर रही थी। इसका परिणाम व्यापक त्रासदी, व्यापक नुकसान के रूप में सामने आया… यह नुकसान दोनों को हुआ, ये सब करने वाले अमेरिका को और इससे भी अधिक अफगानिस्तान के निवासियों को। परिणाम, अगर नकारात्मक नहीं तो शून्य है।’ गौर हो कि रूस भी 10 साल तक अफगानिस्तान में युद्ध लड़ चुका है और 1989 में सोवियत सैनिकों की वापसी हुई थी। रूस ने पिछले कुछ वर्षों में मध्यस्थ के रूप में राजनयिक वापसी की है।

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