हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड के माध्यम से की गईं नियुक्तियां जांच के घेरे में
चंडीगढ़, 26 नवंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा में हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (एचकेआरएनएल) के तहत अनुबंध के आधार पर की गई नियुक्तियां जांच के घेरे में आ गई हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को हरियाणा के मुख्य सचिव को कोर्ट के निर्णयों के उल्लंघन में ऐसी नियुक्तियां करने के लिए अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया है। जस्टिस हरकेश मनुजा ने जगबीर मलिक द्वारा दायर अवमानना याचिका में आरोप लगाया है कि राज्य प्राधिकारियों ने हाई कोर्ट द्वारा जारी सामान्य निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना करते हुए यह नियुक्ति की हैं। याचिका में ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव और एचकेआरएनएल के सह अध्यक्ष विवेक जोशी तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमित खत्री को जवाब दाखिल करने को कहा है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि हाई कोर्ट के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय बार-बार सार्वजनिक रोजगार में तदर्थवाद को रोकने के लिए निर्देश जारी कर रहा है, ताकि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सार्वजनिक पदों को भरा जा सके। हाई कोर्ट को बताया गया कि 13 अगस्त 2004 को सज्जन सिंह बनाम हरियाणा राज्य और अन्य नामक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एक सामान्य निर्देश जारी किया था। इसके तहत हरियाणा सरकार और उसके सभी विभागों के पदाधिकारियों को परियोजना कार्यों या निर्दिष्ट अवधि के कार्यों को छोड़कर अनुबंध के आधार पर या दैनिक वेतन के आधार पर नियुक्ति करने से रोक दिया गया था। याचिका के अनुसार प्रदेश सरकार ने एचकेआरएन के माध्यम से लाखों स्वीकृत पदों को भरने का निर्णय लिया है और प्राथमिक शिक्षकों (पीआरटी), प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों (टीजीटी), स्नातकोत्तर शिक्षकों (पीजीटी), जूनियर इंजीनियरों (जेई), फोरमैन, लैब तकनीशियन, रेडियोग्राफर और स्टाफ नर्स आदि सहित विभिन्न पदों के लिए पात्र उम्मीदवारों से आॅनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं। एचकेआरएन भर्ती के लिए आॅनलाइन आवेदन लिंक 15 नवंबर को शुरू किया गया है। याची पक्ष की तरफ से दलील दी गई कि हाई कोर्ट के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णयों को ताक पर रखते हुए अनुबंध के आधार पर लाखों स्वीकृत पदों पर विज्ञापन दिया है।
खाद्य औषधि विभाग में 56 फीसदी कर्मियों की कमी
खाद्य औषधि विभाग कर्मचारियों की भारी कमी झेल रहा है, जिसके चलते विभाग में खाद्य पदार्थों की जांच तक प्रभावित हो चुकी है। यूं कि हरियाणा में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता राम भरोसे चल रही है। प्रयोगशाला में भेजे जाने वाले सैंपल को जांचने के लिए भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। प्रदेश के 22 जिलों में से मात्र सात जिलों में ही जिला खाद्य अधिकारी हैं और सभी के पास दो से तीन तीन जिलों के चार्ज है। अभी हाल ही हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कैग रिपोर्ट सदन पटल पर रखी गई। रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग में 583 पद स्वीकृत हैं, जबकि इनमें से 326 पद खाली पड़े हैं, यानी 56 फीसदी पदों पर कर्मचारी नहीं हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति ड्रग नियंत्रक अधिकारी और खाद्य सुरक्षा अधिकारी के पदों की हैं। इन पदों पर 80 फीसदी से ज्यादा कर्मियों की कमी है। अहम पहलू यह है कि विभाग में रीडर के लिए 23 पद स्वीकृत हैं और सभी पद खाली हैं। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कैग रिपोर्ट सदन पटल पर रखी गई, जिसमें यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।