मनमर्जी की अर्जी
रेखा मोहन
एयरपोर्ट से राकेश सीधे होटल पहुंचा। कमरे में जा कर उसने इंटरकॉम से कुछ खाने का आर्डर दिया। हाथ-मुंह धो कर बिस्तर पर लेट गया। हवाई जहाज का शोर अभी तक कानों में गूंज रहा था। पंखे के शोर में और भी आवाज आ रही थी... उफ्फ! ये गीला तौलिया तुमने फिर बिस्तर पर रख दिया, बाथरूम में नल अभी तक टपक रहा है। अपने स्लीपर शू रैक पर रख कर जाना, ये क्या तुमने जग जूठे हाथ से छू दिया, हाथ से क्यों खा रहे हो।... उफ्फ ये आवाजें यहां तक आ गयीं।
अभी दो महीने पहले उसकी शादी हुई थी। बड़े शौक से उसने गृहस्थी की शुरुआत की थी। कई वर्ष हॉस्टल और पीजी में गुजरने बाद घर का सुख मिला। अपनी नई-नवेली दुल्हन की सुघड़ता की उसने बड़ी तारीफ सुनी थी, वाकई वो एक कुशल और सुघड़ गृहिणी थी। पर जल्द ही राकेश को महसूस होने लगा कि उसकी सुघड़ता कुछ अधिक ही बंदिशें लगाने लगी हैं। उसे लगता ही नहीं कि वो अपने घर में अपनी मर्जी से कुछ कर सकता है। दिनभर अनुशासन का चाबुक चलता रहता। लजाती शर्मीली-सी लड़की, बीवी बनते ही डिक्टेटर हो गयी थी। उसके उलाहने और टोका-टोकी उसके बर्दाश्त के बाहर होने लगी। वह ऑफिस के काम का झूठा बहाना बना दिल्ली चला गया।
कुछ देर में कमरे की हालत देखने लायक थी। सारा सामान बिखर चुका था। बिस्तर पर बर्तन पड़े थे। खुद वहीं थोड़ी-सी जगह बना एक कोने में लेटा टीवी देख रहा था। दो दिन राकेश यूं ही अपनी आजादी का जश्न मनाता रहा।
तीसरे दिन उसे खुद लगा कि वह क्या कर रहा है। अब उसे एक खालीपन महसूस होने लगा, सच अब उसे पत्नी कि याद सताने लगी थी। बेचारी दिन भर घर के ही काम में ही तो लगी रहती है। शादी से पहले वह एक अच्छी विदेशी फर्म में दो साल नौकरी कर चुकी थी, पर नौकरी न करने के राकेश के आदेश को मान खुद को घर में झोंक दिया था। तुरंत वापसी का टिकट ले राकेश होटल से निकल गया। बीवी को सरप्राइज देने के ख्याल से उसने बताया भी नहीं। कॉल बेल बजने पर थोड़ी देर में दरवाजा खुला। आंखें मलती हुई बीवी उनींदी-सी सामने थी, ‘अरे वाह! बताया नहीं तुमने कि आ रहे हो।’ पर सबसे चौंकाने वाली बात थी घर की हालत, पूरा घर उल्टा पड़ा था, अस्त-व्यस्त और बेतरतीब। थोड़ी देर में दोनों जोरों से हंस रहे थे। उसे बीवी ने बताया कि वह भी उसकी ही तरह बेपरवाह और मस्त थी। जिंदगी को खुला छोड़ खुश रहने वाली। शादी के वक्त उसकी बुआ ने उसे समझा दिया था कि पति को और घर को बिल्कुल कस कर अनुशासन के चाबुक से बांध कर रखनी चाहिए।