विजय मोहन/ट्रिन्यूचंडीगढ़, 29 अप्रैलपिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान से पंजाब में नशीले पदार्थों की तस्करी का सबसे बड़ा जरिया ड्रोन बन गए हैं। अब पंजाब पुलिस इस खतरे से निपटने के लिए एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात करने जा रही है।28 अप्रैल को पंजाब के पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने घोषणा की कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर ड्रोन से हो रही घुसपैठ को रोकने के लिए एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किए जाएंगे। इन सिस्टम्स के ट्रायल पूरे हो चुके हैं और इन्हें बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) के साथ समन्वय में दूसरी सुरक्षा पंक्ति के रूप में तैनात किया जाएगा। पंजाब में भारत-पाक सीमा की 553 किमी लंबी पट्टी है, जिसकी शांति काल में निगरानी बीएसएफ करती है।मार्च में पंजाब पुलिस ने मोहाली जिले के मुल्लांपुर में एंटी-ड्रोन सिस्टम का प्रदर्शन किया था, जिसमें पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा और अमन अरोड़ा भी मौजूद थे। इस मौके पर तीन सरकारी और निजी कंपनियों ने आधुनिक एंटी-ड्रोन तकनीकों का प्रदर्शन किया।2018-19 से पाकिस्तान की ओर से ड्रोन के जरिए नशीले पदार्थ और हथियार भेजे जाने की घटनाएं शुरू हुई थीं। शुरू में बड़े हेक्साकॉप्टर इस्तेमाल होते थे, लेकिन अब छोटे, सस्ते और कम आवाज वाले ड्रोन का उपयोग बढ़ गया है। ये ड्रोन आमतौर पर आधा किलो तक का सामान टेप या रस्सियों से बांधकर गिराते हैं। बड़े ड्रोन की बरामदगी अब कम हो गई है।अमृतसर-तरनतारन बेल्ट में सबसे ज्यादा गतिविधियांबीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन अब तस्करी का पसंदीदा जरिया बन गए हैं क्योंकि इससे तस्करों को सीमा के पास आने का खतरा नहीं उठाना पड़ता। ड्रोन कहीं दूर से भी माल गिरा सकते हैं और इनसे ड्रॉप प्वाइंट चुनने में लचीलापन मिलता है। पंजाब में अमृतसर-तरनतारन बेल्ट सबसे ज्यादा ड्रोन गतिविधियों वाला क्षेत्र है।अप्रैल 2025 में अब तक बीएसएफ ने 35 ड्रोन मार गिराए हैं, जिनसे 40 किलो से अधिक नशीले पदार्थ और 25 पिस्तौलें जब्त की गई हैं। 2025 की पहली तिमाही में 55 ड्रोन गिराए गए थे, जिनसे 62 किलो नशीला सामान मिला था।तकनीकी समाधान और सिस्टम की क्षमताछोटे ड्रोन की कम आवाज और दृश्य पहचान उन्हें पकड़ना मुश्किल बनाती है। इन्हें पकड़ने और निष्क्रिय करने के लिए विभिन्न एंटी-ड्रोन सिस्टम मौजूद हैं, जिनमें सॉफ्ट किल (जैसे जामिंग) और हार्ड किल (जैसे गोली, मिसाइल या लेजर से मार गिराना) विकल्प शामिल हैं। ये सिस्टम पोर्टेबल भी हो सकते हैं और बड़े व्हीकल-माउंटेड भी, जो कई ड्रोन को एक साथ ट्रैक और निष्क्रिय कर सकते हैं।चीन निर्मित हैं ज्यादातर ड्रोनबीएसएफ अधिकारियों के अनुसार, जब्त ड्रोन में से अधिकांश चीन की कंपनी डीजेआई के माविक सीरीज़ से हैं। कुछ स्थानीय रूप से तैयार ड्रोन भी मिले हैं। सभी ड्रोन का फोरेंसिक विश्लेषण होता है ताकि उनके रूट, स्रोत और मकसद का पता चल सके। अगस्त, 2024 में अमृतसर में स्थापित बीएसएफ के ड्रोन वर्कशॉप ने अब तक 200 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोन का विश्लेषण कर रणनीति तैयार करने में मदद की है।बीएसएफ ने सीमा क्षेत्रों में ड्रोन और तस्करों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अपनी इंटेलिजेंस विंग भी विकसित की है और कई ऑपरेशन इन्हीं इनपुट पर आधारित होते हैं।