For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

दूसरा चेहरा

10:39 AM Sep 03, 2023 IST
दूसरा चेहरा
Advertisement

लघुकथाएं

Advertisement

सुकेश साहनी

मिक्की की आंखों में नींद नहीं थी। वह पिल्ले को अपने पास नहीं रख पाएगा, यह सोच कर उसका मन बहुत उदास था। पिल्ले को लेकर ढेरों सपने बुने थे; पर घर आते ही सब कुछ खत्म हो गया था। मां ने पिल्ले को देखते ही चिल्लाकर कहा था, ‘अरे, यह क्या उठा लाया तू? तेरे पिता जी ने देख लिया तो किसी की भी खैर नहीं। उन्हें नफरत है इनसे। जा, इसे वापस छोड़ आ।’
दादी मां ने बुरा-सा मुंह बनाया था, ‘राम–राम! कुत्ता सोई जो कुत्ता पाले। बाहर फेंक इसे।’ यह सब सुनकर उसे रोना आ गया था। कितनी खुशामद करने पर दोस्त पिल्ला देने को राजी हुआ था। चूंकि दोस्त का घर दूर था; इसलिए एक रात के लिए उसे पिल्ले को घर में रखने की इजाजत मिली थी।
पिता जी के आने से पहले ही उसने बरामदे के कोने में टाट बिछाकर उसे सुला दिया था।
कूं... कूं की आवाज से वह चौंक पड़ा। बरामदे में स्ट्रीट लाइट की वजह से हल्की रोशनी थी। पिल्ले को ठंड लग रही थी और वह बरामदे में सो रही दादी की चारपाई पर चढ़ने का प्रयास कर रहा था। वह घबरा गया... सोना तो दूर दादी अपना बिस्तर किसी को छूने भी नहीं देतीं... उनकी नींद खुल गई तो वे बहुत शोर करेंगी... पिता जी जाग गए तो पिल्ले को तिमंजिले से उठाकर नीचे फेंक देंगे... वह रजाई में पसीने-पसीने हो गया। मां ने सोते हुए, एक हाथ उस पर रखा हुआ था,वह चाहकर भी उठ नहीं सकता था। पिल्ले की कूं–कूं और पंजों से चारपाई को खरोंचने की आवाज रात के सन्नाटे में बहुत तेज मालूम दे रही थी।
दादी की नींद उचट गई थी,वह करवटें बदल रही थीं। आखिर वह उठ कर बैठ गई।
आने वाली भयावह स्थिति की कल्पना से ही उसके रोंगटे खड़े हो गए। उसे लगा दादी पिल्ले को घूरे जा रही हैं।
दादी ने दाएं-बाएं देखा... पिल्ले को उठाया और पायताने लिटा कर रजाई ओढ़ा दी।

Advertisement

Advertisement
Advertisement