सुक्खू सरकार का एक और बड़ा फैसला
शिमला, 29 मार्च (हप्र)
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए स्वास्थ्य विभाग में पैरामेडिकल, नर्सिंग और अन्य स्टाफ के मौजूदा कैडर को दो भागों में विभाजित कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग में अब चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का अलग काॅडर हाेगा। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना में दावा किया गया है कि यह विभाजन जनहित को ध्यान में रखते हुए किया गया है। संबंधित श्रेणियों के लिए अब अलग-अलग कैडर तैयार किए जाएंगे, जो संबंधित कर्मचारियों द्वारा दोनों विभागों के लिए दिए गए विकल्पों के आधार पर निर्धारित किए जाएंगे। यह प्रक्रिया सभी आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद ही लागू होगी। इस अधिसूचना के अनुसार किसी भी कर्मचारी की वरिष्ठता प्रभावित नहीं होगी। सभी पदोन्नतियां, भर्ती, पेंशन और अन्य सेवा लाभ पहले की तरह ही सुनिश्चित किए जाएंगे।
कर्मचारियों का विभाजन विकल्प के आधार पर
विभाग ने कर्मचारियों का विभाजन उनके द्वारा दिए गए विकल्पों के आधार पर किया है। जारी अधिसूचना के तह प्रत्येक निदेशालय में स्वीकृत पदों से अधिक कर्मचारियों को दूसरे निदेशालय में समायोजित किया गया है। ताकि जहां पर स्टाफ की कमी है वहां पर स्टाफ की पूर्ति करके लाेगाें काे राहत दी जा सके। इसके अलावा अगर किसी विशेष कैडर में पदों की संख्या से अधिक कर्मचारियों ने विकल्प दिया है, तो वरिष्ठता और आयु के आधार पर आवंटन किया जाएगा। जारी अधिसूचना के तहत अगर किसी कैडर में कम कर्मचारियों ने विकल्प दिया है, तो अन्य कैडर के सबसे छाेटे कर्मचारियों को स्थानांतरित किया जाएगा। वहीं जिन कर्मचारियों ने विकल्प नहीं दिया है, उन्हें जारी अधिसूचना से 15 दिनों के भीतर फिर से विकल्प देने का अवसर मिलेगा। यदि वे विकल्प नहीं देते हैं, तो उन्हें विभाग की आवश्यकताओं के अनुसार किसी भी निदेशालय में नियुक्त किया जाएगा। विभाजन के बाद नई भर्तियों और पदोन्नतियों का प्रबंधन संबंधित विभागों के प्रमुख द्वारा किया जाएगा।
शिकायत निवारण समिति का गठन
अधिसूचना के अनुसार, इस आदेश से जुड़े किसी भी कर्मचारी की आपत्तियों या शिकायतों को छह महीने तक स्वीकार किया जाएगा। इसके लिए “शिकायत निवारण समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें डीएमई और डीएचएस निदेशालयों के अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।