12 साल के लंबे संघर्ष के बाद आनंद घणघस को मिला न्याय
भिवानी, 3 दिसंबर (हप्र)
गांव धनाना निवासी पात्र अध्यापक संघ के संस्थापक एवं प्रदेश अध्यक्ष मा. आनंद घणघस को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का खमियाजा 12 वर्षों तक भुगतना पड़ा तथा लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद उन्हें अब न्याय मिला है। पूरा मामला वर्ष वर्ष 2012-13 का है, जब मा. आनंद घणघस ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी। जिस भ्रष्टाचार में तत्कालीन सरकार के छोटे से बड़े नेता संलिप्त थे। जिसका खुलासा मा. आनंद घणघस ने एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल के माध्यम से भी किया था।
राजानीतिक षड़यंत्र के तहत लगाये गये केस
घणघस के अनुसार भ्रष्टाचार में शामिल तत्कालीन सरकार के बड़े नेताओं ने स्वयं को भ्रष्टाचार के आरोपों से बचाने के लिए उनके खिलाफ झूठे राजनीतिक षड़यंत्र रचे तथा उन पर स्कूली रिकॉर्ड जलाने व चोरी करने, प्राचार्य व स्टाफ सदस्यों के दुर्व्यहार, राष्ट्रीय झंडा न फरहाने देने, सरकारी कार्य में बाधा डालने सहित अन्य गंभीर आरोप लगाने के साथ- साथ मीडिया के माध्यम से उनके चरित्र पर दाग लगाने का कार्य किया।
उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ आरोप लगाते हुए एक झूठी एफआईआर भी दर्ज करवाई गई। इन आरोपों के बाद सत्ता का दुरूपयोग करते हुए झूठे सबूत बनाते हुए उनके खिलाफ विभागीय जांच करवाई गई तथा उनकी सेवाएं समाप्त करवा दी गई तथा दूसरी तरफ पुलिस विभाग ने तत्कालीन सरकार के दबाव में काम करते हुए झूठी एफआईआर को बेस बनाते हुए न्यायालय में एक क्रिमिनल केस भी उनके खिलाफ दायर करवाया गया।
उन्होंने बताया कि एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस द्वारा भिवानी से अपराधी की तरफ गिरफ्तार कर उन्हें बुरी तरह से टॉर्चर किया गया।
उन्होंने आरोप बताया कि पुलिस के टॉर्चर के बाद उनकी रीढ़ की हड्डी में दर्द है, कानों से अच्छे से सुन नहीं सकते, पैरों में हमेशा सूजन रहती है। इसके अलावा उनका शरीर मल्टीपल डिसेबलिटी का शिकार हैं। उन्होंने बताया कि यह सिलसिला 12 वर्षों तक चलता रहा तथा मामला विचाराधीन रहा। जिसके 12 वर्षो बाद लोवर कोर्ट यमुनानगर ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए मा. आनंद के पूरी मामले को आधारहीन करार दिया तथा आनंद को चार्ज पर ही डिस्चार्ज कर इस झूठ के षड़यंत्र को साबित किया। जिसके बाद शिक्षा विभाग ने अपनी गलती सुधारते हुए 11 मार्च 2024 को मा. आनंद घणघस को अध्यापक पद पर बहाल किया।