एक अनसुलझी गुत्थी के सामाजिक प्रश्न
यश गोयल
क्राइम और इन्वेस्टिगेटिंग लेखन और पत्रकारिता के हस्ताक्षर संजय सिंह ने बंबई के चर्चित ‘शीना बोरा मर्डर’ में एक सनसनीखेज कत्ल की प्रामाणिक पड़ताल पर अपनी ही रिपोर्टिंग के अनुभव पर इसे उपन्यास का रूप दिया है।
व्यापक प्रक्रिया के मद्देनजर संजय ने बहुत संभल कर, सोच कर, और अनुसंधान कर इस किताब के 372 पृष्ठों में वो सब कुछ लिखा है, जो इंसानी रिश्तों में घुले ज़हर को हत्या में तब्दील होते देखता है। और उस पर तारीख पर तारीख और लंबी चार्ज शीट पर बहस, सबूत और मीडिया ट्रायल चलती है।
संजय कहते हैं कि यह लालच, झूठ और महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़े रिश्तों की कहानी है—शीना बोरा कांड। इसे किताब की जगह उपन्यास कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। लेखक-पत्रकार संजय ने इस चर्चित मर्डर पर अब तक हुए खुलासों को एक क्रम के साथ प्रस्तुत किया है ताकि पाठक शीना बोरा नाम की युवती की उसकी अपनी ही मां की नृशंसता के केस के पीछे की पूरी कहानी को समझ सके।
संजय ने इस विषय का समाजशास्त्रीय महत्व बताते हुए महानगरीय जीवन की आर्थिक-सामाजिक पेचीदगियों की एक नाटकीय ढंग से मगर गंभीर तस्वीर को उजागर किया है। लेखक ने इस किताब को सात प्रमुख चेप्टर्स मे बांधा है : रिश्तों का मकड़जाल, शीना-राहुल की लव स्टोरी, जवाब भी सवाल हैं, कुछ भी भुलाया नहीं जा सकता, मुकम्मल इश्क की अधूरी दास्तान, साल 2015 : शीना की हत्या के तीन साल बाद, और मीडिया मुग़ल का पतन। उल्लेखनीय है कि शीना की हत्या 24 अप्रैल, 2012 को हुई थी।
किताब के उपसंहार में संजय ने मीडिया ट्रायल का उल्लेख बखूबी किया है। साथ ही ये बताया है कि शीना की मां इंद्राणी मुखर्जी को किस तरह से जमानत नहीं मिली और अंत में उसे साढ़े छह साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी।
उपसंहार पढ़ते वक्त लगा कि मीडिया ट्रायल कानूनी सवाल-जवाब से कठिन होती है। कई सवाल शेष रह जाते हैं, क्या वाकई इंद्राणी की शीना कांड में मुख्य भूमिका है? शीना के कत्ल के पीछे की असल वजह क्या थी? क्या इंद्राणी को शीना के कत्ल पर अफसोस था? और अनेक निजी सवाल जो पत्रकार पूछने से रह गये।
जब तक अदालती प्रक्रिया इस पर निर्णय नहीं दे देती तब तक इस केस के निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता और कोई समीक्षात्मक टिप्पणी भी नहीं की जानी चाहिये। संजय ने वास्तव में इसे घटना आधारित उपन्यास बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, और न ही अपनी पत्रकारिता करने में।
पुस्तक : एक थी शीना बोरा लेखक : संजय सिंह प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली पृष्ठ : 372 मूल्य : रु. 399.