For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

तकनीक से पर्यावरण संग भविष्य संवारने का मौका

09:08 AM Sep 19, 2024 IST
तकनीक से पर्यावरण संग भविष्य संवारने का मौका
Advertisement

नरेंद्र कुमार
ग्रीन एनर्जी की ही तरह अब ग्रीन कॉलर जॉब भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा शब्द है। ग्रीन कॉलर जॉब रोजगार का एक ऐसा क्षेत्र है, जो पर्यावरण और संरक्षणीय परंपराओं व प्रौद्योगिकी को इंसान के अनुकूल बनाने या उसके इस्तेमाल में मदद करता है। ग्रीन कॉलर जॉब में कैरियर बनाने के लिए छात्रों को बीएससी/बीई/बीटेक तथा एनवायरमेंटल साइंस के विभिन्न पाठ्यक्रमों में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, पीजी डिप्लोमा या कई तरह के सर्टिफिकेट कोर्स मददगार हैं। हिंदुस्तान की करीब-करीब सभी बड़ी यूनिवर्सिटी जैसे जेएनयू, डीयू, बीएचयू, एएमयू, जाधवपुर यूनिवर्सिटी आदि। विभिन्न तरह के ग्रीन कॉलर जॉब्स के लिए डिग्री और डिप्लोमा कोर्स कराते हैं।
हालांकि ग्रीन कॉलर जॉब अचानक चलन में आया शब्द नहीं है, पिछले एक-डेढ़ दशक से इस शब्द को लेकर कम से कम रोजगार के क्षेत्र में घूम-फिर रहे लोग परिचित हैं। लेकिन 15 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर संबोधन में न सिर्फ ग्रीन जॉब शब्द का दो-तीन बार इस्तेमाल किया बल्कि उन्होंने आने वाले दिनों में इस सेक्टर में जबरदस्त रोजगार संभावनाओं की बात भी कही।

Advertisement


रोजगार संभावनाएं
इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी और इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2020-21 में कुल 8,63,000 लोगों को ग्रीन जॉब सेक्टर में नौकरी मिली। इनमें 2,17,000 सौर फोटो वर्टिकल में और 4,14,000 नौकरियां जलविद्युत सेक्टर में मिली थीं। साल 2021 में भी इस क्षेत्र में नौकरियां बढ़ीं और एक अनुमान के मुताबिक साल 2030 तक सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों में एक ग्रीन जॉब्स क्षेत्र भी होगा। अगर भविष्य के रोजगारों पर नजर रखने वाली एजेंसियों के अनुमानों की मानें तो आने वाले दिनों में सबसे ज्यादा जिन कुछ पेशेवरों की मांग होने वाली है, उनमें शामिल हैं- नवीकरणीय ऊर्जा इंजीनियर, पर्यावरण नीति विश्लेषक, वायु गुणवत्ता इंजीनियर, कृषि उपकरण तकनीशियन, निर्माण निरीक्षक, हरित भवन आर्किटेक्ट, पर्यावरण संरक्षण वैज्ञानिक, पर्यावरण सलाहकार। ये वे सारे क्षेत्र हैं, जिन्हें ग्रीन जॉब्स के दायरे में माना जाता है।


रिन्यूएबल एनर्जी व कृषि तकनीकीकरण
दुनियाभर में पर्यावरण संबंधी मुद्दा लगातार न सिर्फ गहरे विमर्श का विषय है बल्कि लगातार इस क्षेत्र में नये नये नीतिगत निर्णय होने के कारण यह बहुत सारी गतिविधियों के केंद्र में भी है। मसलन पूरी दुनिया में जीवाश्म ऊर्जा की जगह रिन्यूएबल एनर्जी पर जोर दिया जा रहा है, इस कारण बड़े पैमाने पर रिन्यूएबल एनर्जी इंजीनियरों की जरूरत दुनिया को है। कृषि क्षेत्र का भी नई तरह से तकनीकीकरण हो रहा है और भवन निर्माण से लेकर अपशिष्ट प्रबंधन तक ग्रीन जॉब्स के दायरे में आये ऐसे क्षेत्र हैं, जहां विशेषज्ञों को शुरुआती 8 से 10 लाख रुपये सालाना पैकेज से शुरू होकर, अगले कुछ ही सालों में 40 लाख रुपये तक सालाना पैकेज के जॉब्स उपलब्ध हैं। ग्रीन जॉब्स सीधे पर्यावरण और पारिस्थितिकी से संबंधित विभिन्न प्रौद्योगिकी संबंधी जॉब हैं वहीं इन क्षेत्रों के सहायक जॉब भी तेजी उभर रहे हैं मसलन कृषि उपकरण तकनीशियन, सौर पैनल इंस्टॉलर, हरित आईटी तकनीशियन, पवन टरबाइन तकनीशियन, जल संसाधन इंजीनियर और टिकाऊ सॉफ्टवेयर डेवलपर।

Advertisement


ग्रीन स्किल्स की मांग में वृद्धि
आंकड़ों के आईने में देखें तो ग्रीन स्किल्स की मांग में साल 2022 में जहां 12.3 फीसदी थी, वहीं 2023 में यह 22.4 फीसदी हो गई। वास्तव ग्रीन स्किल्स में हाल के सालों में बहुत सारे क्षेत्र शामिल हो गये हैं जैसे- क्लाइमेट एक्शन प्लानिंग, सस्टेनेब्लिटी एजुकेशन, कॉर्बन एमिशन, कॉर्बन एकाउंटिंग, हाइड्रोजन स्टोरेज, हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स, कॉर्बन कैपचर, ग्रीन आईटी, सोलर सिस्टम डिजाइन, इको सिस्टम मैनेजमेंट, इंपैक्ट एसेसमेंट, सस्टनेबल ट्रांसपोर्ट, सोलर इंडस्ट्री, बायो गैस, सस्टेनेबल प्रोक्योरमेंट, स्वॉयल सैम्पलिंग, परमा कल्चर। ये सब हाल के दिनों में तेजी से विकसित हुए ग्रीन जॉब्स के क्षेत्र हैं। एक आकलन के मुताबिक ग्रीन टैंलेंट पूल में पूरी दुनिया में वर्तमान में 66 फीसदी से ज्यादा स्किल्ड एक्सपर्ट की कमी है।
ग्रीन जॉब के उभरेंगे सैकड़ों क्षेत्र
आने वाले सालों में ग्रीन जॉब्स क्षेत्र बहुत बड़े रोजगार दायरे के रूप में उभरने वाला है। पर्यावरण इंजीनियरिंग व मौसम विज्ञान के अलावा ग्रीन जॉब्स के पांच दर्जन से ज्यादा क्षेत्र तो ऐसे उभरकर सामने आ चुके हैं, जहां लाखों की तादाद में कुशल लोग काम कर रहे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि कम से कम 100 ऐसे क्षेत्र और सामने आएंगे, जहां ग्रीन स्किल्स में दक्ष लोगों की मांग होगी। हाल के कुछ सालों में जिन यूनिवर्सिटी ने ग्रीन जॉब्स को ध्यान में रखकर अपने यहां डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की शुरुआत की है, उनमें प्रमुख हैं- देश के सभी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, त्रिची, आंध्र यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, विशाखापत्तनम, केआईटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोल्हापुर, जाधवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता
ये सभी विश्वविद्यालय और तकनीकी शिक्षण संस्थान, ग्रीन जॉब्स के लिए जरूरी डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। यहां उपलब्ध दर्जनों पाठ्यक्रमों में से अपनी पसंद का चुनकर आप पर्यावरण इंजीनियर से लेकर फ्रीलांस कंसल्टेंट तक बनकर साल में 8-10 लाख रुपये से लेकर 30-40 लाख रुपये तक आसानी से कमा सकते हैं। -इ.रि.सें.

Advertisement
Advertisement