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एक लाख में होता था निजी अस्पतालों में 25 हजार में होने वाला ऑपरेशन

07:55 AM Aug 05, 2024 IST
एक लाख में होता था निजी अस्पतालों में 25 हजार में होने वाला ऑपरेशन

शिमला, 4 अगस्त (हप्र)
हिमाचल प्रदेश के निजी अस्पतालों में हिमकेयर योजना के तहत इलाज बंद करने पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सफाई दी है। मुख्यमंत्री ने आज शिमला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जांच में खुलासा हुआ है कि निजी अस्पतालों में हर्निया का ऑपरेशन करने पर एक लाख रुपये के बिल बन रहे थे, जबकि हर्निया का उपचार 25 हजार रुपये में होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने हिमकेयर योजना को बिना विचार किए निजी अस्पतालों में शुरू कर दिया था। मरीजों के उपचार में अधिक बिल बनाए जाने की शिकायतें सामने आने के बाद सरकार ने योजना को निजी क्षेत्र के अस्पतालों में बंद करने का निर्णय लिया है। प्रदेश के जोनल स्तर के सभी सरकारी अस्पतालों में हिम केयर योजना को यथावत जारी रखा है। प्रदेश सरकार ने इस योजना में कुछ सुधार करते हुए सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को चिकित्सा बिलों की सुविधा को देखते हुए हिम केयर योजना से अगल कर दिया है। सुक्खू ने इस बात पर हैरानी जताई कि हिमकेयर योजना के तहत निजी क्षेत्र के अस्पतालों में मरीजों के उपचार की सुविधा प्रदान की गई थी, जिसे देखते हुए प्रदेश में सभी स्थानों पर निजी अस्पताल बड़ी संख्या में खुलते चले गए। इसका परिणाम यह है कि हिमकेयर की कुल एक हजार करोड़ की देनदारी मेंं से 450 करोड़ रुपये का भुगतान निजी अस्पतालों का करना है।

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एसीआर अब परफॉर्मेंस के आधार पर

मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जबाब में कहा कि सरकारी क्षेत्र में कार्य संस्कृति में सुधार लाने के लिए सरकार ने कर्मचारियों की एसीआर को परफार्मेंस आधार पर भरने का निर्णय लिया है। इसी तरह का मापदंड अधिकारियों के लिए भी निर्धारित होगा। अब लक्ष्य प्राप्त करने वाले ही अधिकारी व कर्मचारी बढ़िया एसीआर के हकदार होंगे।

भाजपा लुटा रही थी खजाना

मुख्यमंत्री सुक्खू ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि उसने सत्ता में रहते हुए खजाने को लुटाने का काम किया। कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद सरकारी खजाने को बचाने का प्रयास किया है। भाजपा सरकार के समय में स्कूल खोलना ही प्राथमिकता थी, गुणात्मक शिक्षा को लेकर कोई योजना नहीं थी। इसलिए आज सरकार को अनावश्यक तौर पर खोले गए स्कूलों को बंद करना पड़ रहा है।

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