जानकारियों का खुला खजाना
घमंडीलाल अग्रवाल
अनेक पुरस्कारों से सम्मानित साहित्यकार गोविंद शर्मा ने प्रौढ़-साहित्य के साथ-साथ विपुल बाल-साहित्य का भी सृजन किया है। ‘सूरज का बिल’ उनकी नवीनतम बालकृति है जो आठ से दस वर्ष के बच्चों के लिए लिखी गयी है।
कृति के प्रारंभ में चांद को सूरज के बिल को प्राप्त होने की चर्चा मिलती है। बताया गया है कि चांद की अपनी रोशनी नहीं होती है और वह सूरज का प्रकाश लेकर दुनिया में अपनी कीर्ति फैलाता है। लिहाजा इस रोशनी के बदले उसे बिल भरना होगा वरना उसको रोशनी मिलनी बंद हो जाएगी।
आगे यह दर्शाया गया है काग़ज़ बनाने के लिए पेड़-पौधों का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही साथ यह जानकारी भी दी गयी है कि धरती के इंसान सौर ऊर्जा का भरपूर उपयोग करते हैं। पृथ्वी एवं अन्य ग्रह सूरज का दिन-रात चक्कर काटते रहते हैं क्योंकि वह सौरमंडल का मुखिया है। पुस्तक से ‘ओजोन परत’ का भी बाल पाठकों को ज्ञान मिलता है तथा पैराबैंगनी किरणों की ओर भी हल्का-सा इशारा मिलता है। ओजोन परत की रक्षा करनी निहायत जरूरी है तभी सूरज के प्रकाश का आनंद उठाया जा सकेगा।
छोटी-सी इस पुस्तक को एक रोचक व संक्षिप्त-सी कहानी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसमें कई जानकारियों का खुला खजाना है। भाषा सरल, सरस एवं बोधगम्य है।
पुस्तक : सूरज का बिल लेखक : गोविंद शर्मा प्रकाशक : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत पृष्ठ : 20 मूल्य : रु 60.