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ऑडियोबुक्स के जरिये क्षेत्रीय भाषाओं को सहेजे रखने की कवायद

04:36 AM Jun 21, 2023 IST

नयी दिल्ली : भाषायी ज्ञान प्राप्त करने, भाषा को सहेजने को लेकर तमाम कवायदों के बीच अब ‘ऑडियोबुक्स’ के जरिये भाषा सीखने और समझने का दौर शुरू हुआ है। भाषायी स्वयंसेवकों द्वारा ऐसी ही एक कोशिश हुई है पंजाबी विकीपीडिया ऑडियोबुक्स के जरिये। ताकि विरासत का डिजिटल संरक्षण हो। दावा किया गया है कि पॉडकास्ट और ऑडियो शिक्षा के युग में, पंजाब के एक समूह ने ऑडियोबुक्स बनाकर और उन्हें इंटरनेट पर सभी के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराकर, भारतीय विरासत को संरक्षित करने का काम किया है। यहां गौर हो कि ऑडियो पुस्तकें नियमित ऑडियो फ़ाइलें होती हैं जिन्हें आप अपने फ़ोन या टैबलेट सहित किसी भी मल्टीमीडिया प्लेयर पर आम रूप से चला सकते हैं। इस तेजी से बढ़ती जिंदगी में, ऑडियोबुक्स उन लोगों के लिए एक वरदान हैं जो पढ़ना पसंद करते हैं लेकिन समय नहीं निकाल पाते या ऐसे लोगों के लिए भी जो जो सीखने की इच्छा रखते हैं लेकिन पढ़ने में असमर्थ हैं।

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इस संबंध में काम कर रहे विकिमीडिया फ़ाउंडेशन के कार्यक्रम अधिकारी सतदीप गिल बताते हैं कि पंजाबी ऑडियोबुक का विचार गुजराती विकिस्रोत समुदाय के ऑडियोबुक प्रोजेक्ट की सफलता के बाद आया, जो 2019 से चल रहा है। 15 मई 2023 तक गुजराती विकिसोर्स के पास 43 किताबें हैं। उन्होंने बताया कि पंजाबी विकिस्रोत के रिपॉजिटरी में लगभग 200 टेक्स्ट हैं, और समुदाय ने अपने साल भर के ऑडियोबुक पायलट प्रोजेक्ट के लिए 10 टेक्स्ट को शॉर्टलिस्ट किया है। ग्रंथों में उपन्यास, लघु कथाएं और बच्चों की कविताएं भी हैं। उनका दावा है परियोजना से नित नये लोग जुड़ रहे हैं। महिलाओं के बारे में 1000 से अधिक लेख लिखने एवं संपादित करने वाले नितेश गिल ने कहा, ‘इस परियोजना का उल्लेखनीय और प्रमुख प्रभाव हरप्रीत कौर नाम की एक स्वयंसेविका का है। वह विकिमीडिया परियोजनाओं में एक सक्रिय योगदानकर्ता हैं और उन्होंने इस परियोजना के तहत सबसे अधिक संख्या में ऑडियो फ़ाइलें बनाई हैं।’ बताया गया कि नितेश गिल खुद दिल्ली विश्वविद्यालय से पंजाबी साहित्य में पीएचडी कर रहे हैं। इसी क्रम में ऑडियोबुक्स परियोजना का नेतृत्व करने वाले जगसीर सिंह ने बताया कि समुदाय ने कुल नौ ऑडियोबुक्स का निर्माण किया है, जिसमें सात पुस्तकें पंजाबी विकिमीडिया समुदाय के स्वयंसेवकों द्वारा और दो, पेशेवर वॉयस-ओवर कलाकारों द्वारा रिकॉर्ड की गई हैं। पेशेवर कलाकारों को चुनने का कारण स्वयंसेवक और पेशेवर कलाकारों दोनों की तुलना करना था।

जानकारी के मुताबिक 100 मिलियन से अधिक पंजाबी बोलने वालों के साथ, पंजाबी, भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। पंजाबी की एक अनूठी विशेषता यह है कि यह दो भिन्न लिपियों – गुरुमुखी और शाहमुखी में लिखी जाती है। दुनिया भर में कई पंजाबी भाषी, खासकर नयी पीढ़ी. सक्रिय रूप से दोनों लिपियों का उपयोग नहीं कर रही है, जिसके कारण पंजाबी समुदाय के बीच सूचना का आदान-प्रदान कम है। इस परियोजना का उद्देश्य उस अंतर को कम करना और पारस्परिक रूप से बोली जाने वाली भाषा के प्रेम को बढ़ावा देना है।

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कहा जा रहा है कि यह परियोजना लिपियों की बाधाओं को तोड़ रही है और भारतीय पंजाबी साहित्य को विदेशों में रह रहे पंजाबी लोगों को अपनी भाषा से जोड़ने में मदद कर रही है। कई स्वयंसेवकों को लगता है कि भारतीय भाषाओं को उनके प्रामाणिक रूप में बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए ऑडियो पुस्तकों का उपयोग उल्लेखनीय है, क्योंकि कई क्षेत्रीय भाषाएं अपने सीमित प्रभाव और अंग्रेजी के बढ़ते चलन के कारण विलुप्त होने की कगार पर हैं।

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