संवेदनशीलता की मिसाल
गोविंद वल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। एक दिन वे अपने कार्यालय में बैठे थे, तभी उनके सचिव ने आकर बताया कि एक किसान उनसे मिलना चाहता है। पंत जी ने तुरंत किसान को अंदर बुलवाया। किसान ने अपनी व्यथा बताई कि उसकी फसल सूखे की वजह से बर्बाद हो गई है और वह अपने परिवार का पेट पालने में असमर्थ है। वह सरकार से मदद की गुहार लगाने आया था। पंत जी ने ध्यान से किसान की बात सुनी और फिर अपने सचिव को बुलाकर कहा, ‘इन्हें तत्काल राहत के रूप में 500 रुपये दिए जाएं।’ सचिव ने कहा कि इतनी बड़ी राशि देने के लिए कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी और इसमें कुछ दिन लग सकते हैं। यह सुनकर पंत जी ने अपनी जेब से 500 रुपये निकाले और किसान को देते हुए कहा, ‘भाई, यह लो। सरकारी मदद आने में समय लग सकता है, लेकिन तुम्हें जरूरत अभी है। यह मेरी तरफ से व्यक्तिगत मदद समझो।’ किसान आभार से भर गया और आंखों में आंसू लिए वहां से चला गया। बाद में जब सरकारी मदद मंजूर हुई, तो पंत जी ने वह राशि सरकारी खजाने में जमा करवा दी।
प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार