For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

कमजोर पुल के गिरने से पहले बजेगा अलार्म

07:29 AM Sep 13, 2024 IST
कमजोर पुल के गिरने से पहले बजेगा अलार्म
आईआईटी मंडी की शोधकर्ता टीम। -निस
Advertisement

पुरुषोतम शर्मा/निस
मंडी, 12 सितंबर
देश में कमजोर पुलों के गिरने से पहले अब एक यंत्र से चेतावनी मिलेगी। आईआईटी मंडी के वैज्ञानिकों की डिजिटल मॉडलिंग की तकनीक से यह संभव होगा। इस तकनीक में पुलों की स्थिति की निगरानी रखने के लिए सेंसर लगेंगे। यातायात डेटा का उपयोग कर पुराने पुलों की स्थिति भी जांची जा सकेगी। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस शोध से जानी नुकसान से बचा जा सकेगा। प्रतिक्षित पत्रिका, स्ट्रक्चरल हेल्प मॉनिटरिंग में इसका शोधपत्र प्रकाशित हुआ है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी की वैज्ञानिक डॉ. सुभामोय सेन ने यह दावा किया है। उन्होंने बताया कि यह मॉडल भविष्यवाणी करता है कि समय के साथ विभिन्न यातायात पैटर्न पुल के विभिन्न हिस्सों को कैसे प्रभावित करते हैं। साथ ही विशेषज्ञों को क्षति के लिए सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करते हैं। इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों का पता लगाने के बाद, तनाव और कंपन की निगरानी के लिए प्रमुख स्थानों पर थकान-संवेदनशील सेंसर स्थापित किए जाने हैं। डिजिटल मॉडल से यातायात पैटर्न के साथ यह वास्तविक समय डेटा, विशेषज्ञों को ट्रैक करने की क्षमता प्रदान करता है कि समय के साथ यातायात पुल को कैसे प्रभावित करता है। यदि आवश्यक हो, तो पुल की सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षति को रोकने के लिए यातायात प्रवाह और गति में समायोजन किया जा सकता है।
पुल अपने पूरे जीवनकाल के दौरान विभिन्न चक्रीय भारों का सामना करते हैं, जिनमें यातायात, हवा और पर्यावरणीय स्थितियां शामिल हैं। समय के साथ, ये बार-बार होने वाले तनाव पूर्ति की संरचनाओं को कमजोर कर सकते हैं, जिससे दुर्घटना हो सकती है। इसलिए समय के साथ कमजोर हुए पुलों के ढांचे का समाधान आवश्यक है। ऐसी दुर्घटनाओं की भविष्यवाणी और रोकथाम के लिए इस इंजीनियरिंग अनुसंधान में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। यह विधि भूकंप या बाढ़ जैसी घटनाओं के बाद भी तेजी से स्थिति का आकलन करने की क्षमता प्रदान करती है जिससे अधिकारियों को तेजी से सुरक्षा संबंधी निर्णय लेने में सहायता होती है। एक बार प्रारंभिक सेटअप पूरा हो जाने के बाद, नियमित निगरानी कम विशेषज्ञ कर्मियों द्वारा की जा सकती है, जिससे लागत में और कमी आती है और इसे कई पुलों पर लागू करना आसान हो जाता है।
सरकारी एजेंसियों और परिवहन विभागों के लिए यह दृष्टिकोण पुराने बुनियादी ढांचे के प्रबंधन के लिए एक व्यवहारिक और कुशल समाधान प्रदान करता है। यह पूरे पुल के बजाय उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर अधिक प्रभावी बजट आवंटन को सक्षम बनाता है और आपात स्थितियों में तेजी से निर्णय लेने में सहयोग करता है, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा बढ़ती है। इसके अतिरिक्त, यह निरीक्षण के दौरान व्यापक और बाधित यातायात प्रबंधन की आवश्यकता को कम करता है।

Advertisement

Advertisement
Advertisement