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अबू धाबी में जबरन उतारी अमृतधारी सिख की पगड़ी और किरपान, 20 दिन हिरासत में रखने का आरोप

04:48 PM Jun 03, 2025 IST
अबू धाबी में जबरन उतारी अमृतधारी सिख की पगड़ी और किरपान  20 दिन हिरासत में रखने का आरोप
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जुपिंदरजीत सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 3 जून
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अबू धाबी में एक अमृतधारी सिख व्यक्ति के साथ कथित धार्मिक अपमान और अमानवीय व्यवहार का मामला सामने आया है। दलविंदर सिंह, निवासी कैथल (हरियाणा), को अबू धाबी पुलिस ने किरपान पहनने के कारण हिरासत में ले लिया और उन्हें लगभग 20 दिन तक जेल में रखा गया, इस दौरान उनसे पगड़ी, किरपान, कड़ा और कंघा जबरन हटवाए गए।
उनके बेटे मनप्रीत सिंह, निवासी दिल्ली, ने भारत सरकार से मामले में दखल देने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने की मांग की है।

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धार्मिक प्रतीकों पर आपत्ति, पुलिस ने हिरासत में लिया

21 अप्रैल को दलविंदर सिंह एक पर्यटक समूह के साथ अबू धाबी पहुंचे थे। यात्रा के दौरान वे बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण मंदिर देखने गए, जहां अबू धाबी पुलिस ने उनके किरपान पर आपत्ति जताते हुए उन्हें हिरासत में ले लिया।
टूर गाइड और मंदिर प्रशासन द्वारा बार-बार धार्मिक महत्व समझाने के बावजूद, पुलिस ने उन्हें जाने नहीं दिया। इसके बाद उन्हें हिरासत में भेज दिया गया।

गिरफ्तारी को दबाया गया, अपमानजनक बर्ताव

मनप्रीत सिंह ने बताया कि उनके पिता को पहले बनियास जेल, फिर अल रबा, और अंत में अल वथबा सेंट्रल जेल में रखा गया। सीआईडी और जेल प्रशासन ने पहले उनकी गिरफ्तारी को नकारा, जिससे परिजनों की चिंता और बढ़ गई। बाद में गिरफ्तारी की पुष्टि हुई, लेकिन पुलिस ने आरोप लगाया कि दलविंदर ने ‘बहस’ की थी—जबकि वे ना अंग्रेज़ी जानते हैं, ना अरबी।
मनप्रीत के मुताबिक, हिरासत के दौरान उनके पिता से पगड़ी, किरपान, कड़ा और कंघा छीन लिए गए और उन्हें मांसाहारी भोजन परोसा गया, जबकि वे पूरी तरह शाकाहारी हैं। अंतिम दिनों में उन्हें बिना पगड़ी के ही भारत डिपोर्ट कर दिया गया, जो कि उनके लिए अत्यंत अपमानजनक और मानसिक रूप से पीड़ादायक अनुभव रहा।

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भारत सरकार से कार्रवाई की मांग

मनप्रीत सिंह ने भारत सरकार से मांग की है कि वह यूएई सरकार से इस घटना पर कड़ा विरोध दर्ज कराए और सुनिश्चित करे कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए। मनप्रीत ने कहा कि उनके पिता को केवल इसलिए अपमानित किया गया क्योंकि वह सिख हैं। सरकार को ऐसे मामलों पर चुप नहीं रहना चाहिए।

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