जीवन की कई सीख भी देता है अमेरिका
डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
अमेरिका में अपने लगभग डेढ़ माह के प्रवास में विश्व के सबसे पुराने और समृद्धिशाली इस गणतंत्र में जो देखा है, उसने बेहद प्रभावित किया है। वह मूल्यवान चीज़ है ‘आत्मानुशासन’, जो इस राष्ट्र की सर्वाधिक मूल्यवान धरोहर कही जा सकती है। अमेरिका में समृद्धि है, इसीलिए यहां प्रत्येक परिवार में कम से कम एक कार अवश्य है। सड़क पर केवल कार, मोटर-साइकिल,बस और ट्रक ही मिलते हैं। स्कूटर या ट्रैक्टर-ट्रॉली या रिक्शा, ई-रिक्शा, तांगा, बैलगाड़ी और साइकिल जैसे वाहन सड़क पर दिखाई ही नहीं देते।
हॉर्न बजाने का मतलब ही क्या
अमेरिका प्रवास के दौरान कहीं भी किसी कार, किसी बस, मोटर साइकिल या ट्रक के हॉर्न की आवाज़ नहीं सुनाई दी। हाईवे हो या सब-वे हो या फिर छोटी कॉलोनियों को जोड़ने वाली कोई सड़क, कोई भी वाहन-चालक हॉर्न कभी बजाता ही नहीं। दिन हो या रात, यहां वाहन चलाने वाला अपने वाहन की लाइट से ही दूसरे वाहन के चालक को संकेत देता-लेता है।
हॉर्न केवल तभी बजाया जाता है, जब कोई वाहन चालक ट्रैफिक नियम को भूल से या जानबूझ कर तोड़ता है। ऐसा व्यक्ति हॉर्न सुनकर रुक जाता है और सॉरी कह कर आगे बढ़ जाता है। सड़क पर अगर लाल बत्ती है, तो हर वाहन चालक अवश्य रुकता है। यहां भी सबसे अधिक प्रभावित किया है आत्मानुशासन की उस भावना ने, जो यहां की आदत बन गई है। रात हो या दिन, अगर सड़क पर लाल बत्ती है और कहीं से कोई और वाहन नहीं आ रहा है, तब भी कार चालक रुकेगा जरूर।
नियम पालन से दुर्घटना को ना
यहां हर सड़क पर रफ्तार के लिए चेतावनी के संकेत लिखे होते हैं। अगर कोई स्कूल है, तो उसके बहुत पहले ही ‘रफ्तार कम रखने’के संकेत मिलेंगे। जहां कोई छोटी सड़क किसी बड़ी सड़क से मिलती हो, वहां बड़ी सड़क पर जाने से पहले ‘STOP’ का चिह्न अनिवार्य रूप से लगाया जाता है और जब भी कोई व्यक्ति छोटी सड़क से बड़ी सड़क पर आता है, तो इस ‘STOP’ से पहले कुछ सेकेंड के लिए जरूर रुकता है। ऐसे में यहां सड़क दुर्घटनाएं या तो होती नहीं या बहुत कम होती हैं।
स्वच्छता नागरिकों का धर्म
भारत में जब स्वच्छता और घर-घर शौचालय की बात हुई, तो कइयों ने मज़ाक भी उड़ाया था। उस दूरदृष्टि की महत्ता अमेरिका में समझ में आई। यहां किसी भी सड़क पर या किसी भी घर के आगे आपको कूड़ा या गंदगी नहीं दिखेगी। यहां सबसे बड़ी बात है, स्वच्छता के प्रति जागरूकता और लगन।
यहां अगर कुत्ता सड़क पर गंदगी कर देता है, तो उसे पालने वाला उस गंदगी को स्वयं उठाकर सड़क के किनारे रखे हुए कूड़े के डिब्बे में डालता है। यहां मेरे बेटे के घर के सामने एक महिला अपने पालतू कुत्ते को जब घुमाने के लिए चली, तो उसने अपने हाथों में दस्ताने पहन रखे थे। मैंने बेटे से पूछा कि यह महिला दस्ताने पहन कर कुत्ते को क्यों घुमा रही है? मेरे बेटे ने बताया कि यह महिला आंखों से देख नहीं सकती और उसका यह कुत्ता इतना ट्रेंड है कि प्रतिदिन इसे इसके ऑफिस ले जाता है और वापस लाता है। अब यह इसे घुमाने ले जा रही है, जहां भी यह गंदगी करेगा, उसे यह महिला उठाकर डस्टबिन में डालेगी। इस घटना ने बेहद प्रभावित किया।
अपना काम स्वयं ही
यहां के पैट्रोल पम्प पर कोई आदमी आपको पैट्रोल देने के लिए नहीं होता। जिसे भी पैट्रोल या डीज़ल आदि लेना होता है, वह अपने क्रेडिट कार्ड को मशीन में डालकर जितना पैट्रोल या डीज़ल लेना होता है, अपनी कार में डाल लेता है। केवल एक आदमी ही ऐसे कार चालक के लिए खड़ा रहता है, जो नया है या जो नकद ही भुगतान करना चाहता है। यह व्यक्ति जो पेट्रोल या डीज़ल देता है, उसकी कीमत ज़रा सी
अधिक होती है।
समृद्ध मॉल की व्यवस्था
अमेरिका में समृद्धि है, इसलिए यहां सामान भी बहुतायत में है। मुझे मेरे बेटे-बहू जब एक मॉल में ले गए और दूध लेने के लिए वहां रखे दूध के डिब्बों को देखा तो मैं चकरा गया था। वहां कम से कम पंद्रह तरह के दूध रखे थे, जिनके ऊपर कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम जैसे तत्वों की मात्रा कितनी है, लिखा हुआ था। जिसे जिस तरह का दूध चाहिए, वह अपनी पसंद के हिसाब से उठा लेता है। यही हाल सब्जियों और फलों का भी है। जिस भी वस्तु की लिखित एक्सपायरी डेट पूरी हो जाये, उसे एक दिन पूर्व हटा दिया जाता है, बेचा नहीं जा सकता।
ग्राहक के पास कई विकल्प
हर मॉल में एक काउंटर ऐसा होता है, जहां पर आप खरीदा हुआ सामान सहर्ष लौटा सकते हैं। एक महीने के भीतर अगर खरीदा हुआ सामान आपको पसंद नहीं है, तो तीन विकल्प आपके पास होते हैं, पहला यह कि अगर आपके पास रसीद है, तो उसे दिखा कर पूरे पैसे वापस ले लें। दूसरा विकल्प है कि अगर रसीद नहीं है, तो उस सामान के बदले कोई और सामान ले लें। तीसरा विकल्प आपके पास है कि , उस सामान को आप नष्ट किए जाने वाले सामान के ढेर में फेंक आइए और उतने मूल्य का कोई दूसरा सामान ले लीजिए।
समय की पाबंदी सबसे ज्यादा
जिस अन्य बात ने बेहद प्रभावित किया है, वह है समय की पाबंदी, जिसने इस राष्ट्र को विश्व का सर्वश्रेष्ठ गणतंत्र बनाया है। बॉस्टन से ‘हिन्दी राइटर्स गिल्ड, कनाडा’ के एक कार्यक्रम में टोरंटो गया, तोे देखा कि जो ‘समय’ आयोजकों ने निमंत्रण पत्र में लिखा था, उसी निर्धारित समय पर कार्यक्रम आरम्भ और समाप्त किया गया। अगर किसी के घर कार्यक्रम में जाना होता है तो तय समय पर सब पहुंच जाते हैं।
तुलना नहीं वाजिब
अमेरिका सैकड़ों वर्षों का गणतंत्र है, जबकि हमारा भारत अभी मात्र 75 वर्षों का गणतंत्र है। यहां जनसंख्या बहुत कम है और साधन असीमित, जबकि भारत में जनसंख्या बहुत ज्यादा और संसाधन सीमित हैं। आज के अमेरिका में दो दलीय लोकतंत्र है, जबकि भारत में तो हर कोई अपनी पार्टी बनाकर बैठ जाता है। सच मानिए, हम अपने भारत पर गर्व करते हैं, क्योंकि मुसीबतों के बाद भी हमारा लोकतंत्र पूरे संसार को स्वतंत्र होने की राह दिखाता है।