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बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगे के संदर्भ में संशोधन

07:14 AM Apr 06, 2024 IST
बाबरी मस्जिद  गुजरात दंगे के संदर्भ में संशोधन
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नयी दिल्ली, 5 अप्रैल (एजेंसी)
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अपनी पाठ्यपुस्तकों में बदलाव करते हुए अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने, गुजरात दंगों में मुसलमानों के मारे जाने, हिंदुत्व और मणिपुर के भारत में विलय के संदर्भ में संशोधन किया है। एनसीईआरटी ने हालांकि संशोधित गए विषयों पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि बदलाव नियमित रूप से पाठ्यक्रम को अपडेट करने का हिस्सा हैं। इसका संबंध नये पाठ्यक्रम ढांचे (एनसीएफ) के अनुसार नयी पुस्तकों के विकास से नहीं है।
यह संशोधन कक्षा 11 और 12 तथा अन्य की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में किया गया है। एनसीईआरटी की पाठ्यक्रम मसौदा समिति के एक दस्तावेज के अनुसार, राम जन्मभूमि आंदोलन के संदर्भों को राजनीति में नवीनतम घटनाक्रम के अनुसार संशोधित कर दिया गया है। कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तक में धर्मनिरपेक्षता से जुड़े अध्याय-8 में पूर्व में कहा गया था, ‘2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे।’ संशोधन के बाद इस वाक्य को अब ‘2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए’ कर दिया गया है। बदलाव के पीछे एनसीईआरटी का तर्क है कि किसी भी दंगे में सभी समुदायों के लोगों का नुकसान होता है। यह सिर्फ एक समुदाय नहीं  हो सकता।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुद्दे पर पहले की पाठ्यपुस्तक में कहा गया था, ‘भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को आज़ाद कश्मीर के रूप में वर्णित करता है।’ बदले हुए संस्करण में कहा गया है, ‘हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है तथा इसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है।’ मणिपुर पर, पहले की पाठ्यपुस्तक में कहा गया था, ‘भारत सरकार मणिपुर की लोकप्रिय निर्वाचित विधानसभा से परामर्श किए बिना, सितंबर 1949 में विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए महाराजा पर दबाव डालने में सफल रही। इससे मणिपुर में बहुत गुस्सा और आक्रोश पैदा हुआ, जिसके परिणाम का अहसास अभी भी किया जा रहा है।’ संशोधित संस्करण में कहा गया है, ‘भारत सरकार सितंबर 1949 में महाराजा को विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने में सफल रही।’

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