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Ambala News-खास खबर : भाजपा का ध्यान फिर से संगठनात्मक चुनावों पर

04:29 AM Mar 10, 2025 IST
गृह जिला होने के कारण अम्बाला जिलाध्यक्ष के लिए मुख्यमंत्री की सहमति अहम

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जितेंद्र अग्रवाल/हप्र

अम्बाला शहर, 9 मार्च

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अम्बाला सहित हरिणाणा में भाजपा के जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की घोषणा शीघ्र होने की संभावनाएं हैं। 15 मार्च के बाद कभी भी जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा हो सकती है क्योंकि उसके बाद ही प्रदेशाध्यक्ष और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संभव हो पाएगा। नगर निकाय चुनाव परिणामों के बाद बनने वाले समीकरणों को ध्यान में रखते हुए जिलाध्यक्षों की घोषणा की जानी है। ज्यादातर उन्हीं नामों पर विचार होगा जिन पर जनवरी में विचार कर लिया गया है। अम्बाला जिलाध्यक्ष पद के लिए मुख्यमंत्री की सहमति सर्वोपरि मानी जा रही है क्योंकि यह उनका गृह जिला भी है।

दरअसल जनवरी में होने वाली घोषणाएं दिल्ली विधानसभा और फिर नगर निकाय चुनावों की व्यस्तताओं के कारण आगे खिसक गई थी। अब चूंकि दिल्ली के चुनाव के बाद 12 मार्च को नगर निकाय चुनावों के परिणाम भी आ जाएंगे, ऐसे में भाजपा संगठनात्मक चुनाव पूरा करवाने के लिए फिर से सक्रिय हो चुकी है।

जानकारी के अनुसार कुछ अपवादों को छोड़कर हरियाणा में वर्तमान जिलाध्यक्ष को एक बार फिर से रिपीट करवाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। पार्टी द्वारा निर्धारित आयु सीमा नए व्यक्ति के लिए आ सकती है लेकिन जो पहले से ही संबंधित पदों पर कार्यरत हैं और जिनके कामकाज में संगठन को कोई दिक्कत नहीं है उन्हें पुन: पदस्थापित किया जा सकता है।

जिला अम्बाला से वर्तमान जिलाध्यक्ष मनदीप सिंह राणा और पूर्व जिलाध्यक्ष जगमोहन लाल कुमार के नाम सबसे आगे चल रहे हैं। पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश बतौरा, जिला कोषाध्यक्ष रहे अनुभव अग्रवाल के अलावा मुलाना से कृष्ण राणा व महासचिव विवेक गुप्ता व रमेश पाल नोहनी के नाम की भी चर्चाएं हैं। यदि चर्चित नामों पर सहमति नहीं बनी तो कोई नया चेहरा सामने आ सकता है। किसी महिला को भी यह पद दिया जा सकता है।

जनवरी में तैयार सूचियों के आधार पर नामों की घोषणा का दावा

एक कद्दावर नेता की माने तो जो सूचियां जनवरी में बन चुकी हैं, उसी के आधार पर घोषणाएं की जानी है। इसमें जिन जिला प्रधानों का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है उन्हें आयु सीमा से छूट भी दी जा सकती है और पुराने को भी मौका दिया जा सकता है।

संगठन का उद्देश्य सबको साथ लेकर चलने वाले कार्यकर्ता को प्रधान बनाना है ताकि वह तेजी से पार्टी कार्यक्रमों को सफलता पूर्वक आगे बढ़ा सके। नए नाम शामिल किए जाने की चर्चाओं को उस नेता ने मात्र अफवाह बताया, लेकिन साथ ही कहा कि संगठन हित में ही निर्णय लिया जाएगा। मालूम हो कि पार्टी हरियाणा में संगठनात्मक चुनावों को शीघ्रता से पूरा करवाना चाहती है ताकि आगे प्रदेशाध्यक्ष और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में हरियाणा की भागेदारी हो सके। पार्टी संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए पार्टी संगठन की दृष्टि से कम से कम आधे यानी 19 प्रदेशों में अध्यक्ष बनने के बाद ही राष्ट्रीय चुनाव संभव है।

चहेतों को बनाया मंडल अध्यक्ष

नियमानुसार मंडल अध्यक्ष ही मिलकर जिलाध्यक्ष का चुनाव करेंगे। नियुक्त पर्यवेक्षक सभी मंडल अध्यक्षों और नामित वरिष्ठ नेताओं से रायशुमारी करते हैं। ऐसे में कई मंडलों में विधानसाभा के कद्दावर नेता ने अपना जिलाध्यक्ष बनवाने के लिए चहेतों को मंडल अध्यक्ष बनवा लिया है ताकि जिलाध्यक्ष बनने में कोई परेशानी न हो। कार्यकर्ताओं की माने तो यह लाॅबिंग संगठन पर भारी पड़ सकती है क्योंकि संबंधित प्रतिनिधि अपने नेता की परिक्रमा तक ही सीमित रहता है और संगठन पीछे छूट जाता है, ऐसे में जिलाध्यक्ष किसी उपयुक्त कार्यकर्ता को ही बनाया जाना चाहिए।

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