कांग्रेस व ताऊ के परिवार के साथ-साथ अब भाजपा में भी ‘मैं और मेरा’
मार्च-2005 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा की राजनीति में पहला मौका था जब सत्ता ने ‘लाल परिवारों’ की ‘दहलीज’ को लांघा था। इससे पहले प्रदेश की सत्ता कभी चौ. देवीलाल के परिवार, कभी चौ. बंसीलाल और कभी चौ. भजनलाल के इर्द-गिर्द ही घूमती रही। बेशक, लाल परिवारों की राजनीति आज भी जारी है, लेकिन अब दूसरे राजनीतिक दलों में भी ‘मैं और मेरा’ यानी परिवारवाद हावी है। आमतौर पर परिवारवाद के खिलाफ रही सत्तारूढ़ भाजपा भी इस बार अपने आप को इससे दूर नहीं रख पायी है।
कांग्रेस और देवीलाल परिवार के बाद इस बार भाजपा में भी परिवारवाद का बोलबाला
राव की बेटी को टिकट, गुर्जर इस बार भी हुए ‘फेल’
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 12 सितंबर
परिवारवाद के खिलाफ होने का दम भरती आई भाजपा भी इस बार अपने आप को इससे दूर नहीं रख पाई। विधानसभा के चुनावों में बदले हुए राजनीतिक समीकरणों और हालातों को भांपते हुए भाजपा ने नेताओं के परिजनों को टिकट देने में जरा भी कंजूसी नहीं बरती। बेशक, भाजपा के ही कई बड़े नेताओं की डिमांड पार्टी ने पूरी नहीं की। फरीदाबाद के सांसद व केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर की अपने बेटे देवेंद्र चौधरी को राजनीति में स्थापित करने की कोशिशें इस बार भी सिरे नहीं चढ़ सकीं।
केंद्रीय मंत्री व गुरुग्राम सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने पिछले चुनावों में भी अपनी बेटी आरती सिंह राव को राजनीति में प्रवेश करवाने की कोशिश की थी लेकिन भाजपा ने ‘एक परिवार से एक टिकट’ के सिद्धांत का हवाला देते हुए टिकट नहीं दिया। हालांकि भाजपा अपने इस सिद्धांत को 2019 में तोड़ भी चुकी थी। उस समय हिसार से भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह की माता प्रेमलता को उचाना कलां से विधानसभा चुनाव लड़वाया गया और बृजेंद्र सिंह के पिता चौ. बीरेंद्र सिंह राज्यसभा में थे।
इस बार राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह राव को अटेली से विधानसभा टिकट भाजपा ने दिया है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई पूर्व मंत्री किरण चौधरी को भाजपा ने राज्यसभा भेजा है और उनकी बेटी व पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को तोशाम से प्रत्याशी बनाया है। सोनीपत के पूर्व सांसद रमेश चंद्र कौशिक के भाई देवेंद्र कौशिक को गन्नौर से टिकट दिया है। वहीं बहादुरगढ़ से पूर्व विधायक नरेश कौशिक के भाई दिनेश कौशिक को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी शक्ति रानी शर्मा कालका से चुनाव लड़ रही हैं। शक्ति रानी शर्मा के पुत्र कार्तिकेय शर्मा भाजपा के समर्थन से राज्यसभा में हैं। पूर्व मंत्री करतार सिंह भड़ाना के बेटे मनमोहन सिंह भड़ाना को भाजपा ने समालखा से टिकट दिया है।
पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई के बेटे और भूतपूर्व सीएम चौ. भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई आदमपुर से चुनावी रण में उतरे हैं। भाजपा के सोनीपत से भूतपूर्व सांसद किशन सिंह सांगवान के बेटे प्रदीप सांगवान पर पार्टी ने बरोदा सीट से भरोसा जताया है।
राजनीतिक बैकग्राउंड वालों को भी तरजीह
होडल से विधायक रहे रामरतन के बेटे हरिंदर सिंह रामरतन को इस बार भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। नूंह से चुनाव लड़े रहे राज्य मंत्री संजय सिंह, कलायत से प्रत्याशी व पूर्व मंत्री कमलेश ढांडा, पानीपत प्रत्याशी प्रमोद कुमार विज, जींद उम्मीदवार व मौजूदा विधायक डॉ़ कृष्ण मिढ्ढा तथा बादहशापुर से उम्मीदवार व पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह को भी फेमिली बैकग्राउंड भी राजनीतिक है। पूर्व सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान को भाजपा ने चरखी दादरी से टिकट दिया है। सुनील ने जेल अधीक्षक पद से वीआरएस ली थी।
देवीलाल परिवार के आठ सदस्य लड़ेंगे चुनाव
दूसरी ओर, भूतपूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल के परिवार के आठ सदस्य इस बार चुनावी मैदान में उतरेंगे। देवीलाल पुत्र और पूर्व मंत्री चौ. रणजीत सिंह पिछली बार की तरह इस बार भी रानियां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 में कांग्रेस ने उनकी टिकट काट दी थी। इस बार भाजपा द्वारा टिकट काटने की वजह से उन्हें निर्दलीय मैदान में आना पड़ा। रणजीत सिंह प्रदेश की मौजूदा सरकार में बिजली व जेल मंत्री रहे। देवीलाल के पोते और इनेलो प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला इस बार भी ऐलनाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं। अभय सिंह चौटाला ने अपने बेटे अर्जुन चौटाला को रानियां हलके से अपने ही चाचा – रणजीत सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं अपने चचेरे भाई आदित्य देवीलाल चौटाला को अभय ने डबवाली से अपनी पार्टी का टिकट दिया है। आदित्य देवीलाल भाजपा छोड़कर इनेलो में आए है। आदित्य का मुकाबला यहां देवीलाल परिवार के ही डॉ़ केवी सिंह के बेटे और कांग्रेस के मौजूदा विधायक अमित सिहाग से होगा। वहीं पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे व जजपा सुप्रीमो डॉ़ अजय सिंह चौटाला के छोटे बेटे दिग्विजय सिंह चौटाला भी डबवाली से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनता दिख रहा है। वहीं अजय के बड़े बेटे व पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला उचाना कलां से चुनावी रण में उतरे हैं। देवीलाल पुत्र व भूतपूर्व विधायक प्रताप सिंह चौटाला की पुत्रवधू सुनैना सिंह चौटाला इनेलो टिकट पर फतेहाबाद से चुनाव लड़ रही हैं।
2019 में पांच सदस्य बने विधायक
2019 के विधानसभा चुनावों में देवीलाल परिवार के पांच सदस्य चुनकर विधानसभा पहुंचे। इस चुनाव में पंजाब के भूतपूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के दखल की वजह से देवीलाल परिवार के सदस्यों ने एक-दूसरे की खिलाफत नहीं करने का फैसला अंदरखाने ले लिया था। इसका नतीजा यह हुआ कि अभय चौटाला ऐलनाबाद, रणजीत सिंह रानियां, दुष्यंत चौटाला उचाना कलां, नैना सिंह चौटाला बाढ़डा और अमित सिहाग डबवाली से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे।
कांग्रेस में दो सांसदों के बेटों व एक की पत्नी को टिकट
बंसीलाल और भजनलाल ने बनायी थी अपनी पार्टियां
कांग्रेस में परिवारवाद नया नहीं है। तीनों ही लाल – चौ. देवीलाल, चौ. बंसीलाल और चौ. भजनलाल कांग्रेस से ही निकले हैं। हालांकि कांग्रेस से बाहर आने के बाद चौ. देवीलाल ने फिर वापसी नहीं की, लेकिन बंसीलाल और भजनलाल के परिवार अपनी अलग पार्टियां बनाने के बाद वापस कांग्रेस में भी लौट आए। अब बंसीलाल और भजनलाल के परिवार में विभाजन हो चुका है। कुछ लोग भाजपा में हैं तो कुछ कांग्रेस में।
कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला को कैथल और हिसार सांसद जयप्रकाश ‘जेपी’ के बेटे विकास सहारण को कलायत से प्रत्याशी बनाया है। अम्बाला के सांसद वरुण चौधरी की पत्नी की पूजा चौधरी मुलाना हलके से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। पूर्व वित्त मंत्री हरमोहिंद्र सिंह चट्ठा के बेटे मनजीत सिंह चट्ठा को पिहोवा से टिकट मिला है। वहीं पूर्व विधायक और कांग्रेस अध्यक्ष रहे बलबीर पाल शाह के भाई वीरेंद्र कुमार शाह ‘बुल्ले शाह’ को पानीपत सिटी से टिकट मिला है।
पूर्व सांसद रामजीलाल के भतीजे चंद्रप्रकाश को आदमपुर, पूर्व मुख्य संसदीय सचिव अमीरचंद मक्कड़ के पोते राहुल मक्कड़ को कांग्रेस ने हांसी से टिकट दिया है। वहीं चौ. बंसीलाल के दामाद सोमबीर सिंह श्योराण को इस बार लोहारू की जगह बाढ़डा से कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। बंसीलाल के पोते व रणबीर सिंह महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी को कांग्रेस ने उनकी चचेरी बहन श्रुति चौधरी के मुकाबले तोशाम से उम्मीदवार बनाया है। पूर्व मुख्य संसदीय सचिव जलेब खान के बेटे मोहम्मद इजराइल को कांग्रेस ने हथीन से टिकट दिया है।
फरीदाबाद से हालिया लोकसभा चुनाव लड़ने वाले पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह के बेटे विजय प्रताप सिंह को कांग्रेस ने बड़खल से टिकट दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह इस बार कांग्रेस टिकट पर उचाना कलां से चुनावी रण में उतरे हैं। 2019 में बृजेंद्र सिंह हिसार से भाजपा टिकट पर सांसद बने थे। पूर्व मंत्री आनंद सिंह दांगी भी अपने बेटे बलराम दांगी को इस बार महम से विधानसभा का टिकट दिलवाने में कामयाब रहे।
इन्हें भी मिला फायदा
इसी तरह पूर्व सीपीएम रामकिशन गुर्जर की पत्नी शैली चौधरी नारायणगढ़ से, हुड्डा के पूर्व ओएसडी डॉ़ केवी सिंह के बेटे अमित सिहाग डबवाली से, पूर्व मंत्री पंडित चिरंजी लाल शर्मा के बेटे नीरज शर्मा को फरीदाबाद एनआईटी से, भूतपूर्व मंत्री हरपाल सिंह के बेटे व पूर्व मंत्री परमवीर सिंह को टोहाना से, पूर्व सांसद पंडित चिरंजी लाल शर्मा के बेटे कुलदीप शर्मा को गन्नौर से और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव के बेटे चिरंजीव राव को रेवाड़ी से टिकट मिला है। हालांकि ये सभी पहले से ही राजनीति में एक्टिव हैं।