मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

भाखड़ा, पौंग के साथ ‘मिनी डैम’ भी बनाएंगे बिजली!

06:56 AM Jul 29, 2024 IST

विजय मोहन/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 28 जुलाई
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) भाखड़ा और पौंग बांधों के जलाशयों की परिधि पर कई 'मिनी डैम' बनाने की संभावना तलाश रहा है, जिनसे कई हजार मेगावाट अतिरिक्त हरित ऊर्जा का उत्पादन संभव हो सकेगा।
बीबीएमबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने इस संबंध में फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की है और चार-पांच स्थानों की पहचान की गई है, जहां ऐसे बांध बनाए जा सकते हैं। इन्हें पंप पावर स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) कहा जाता है।' उन्होंने बताया कि बिजली मंत्रालय और राज्य सरकारों समेत सभी हितधारकों के साथ इस पर चर्चा की जाएगी।
पीएसपी को मुख्य जलाशय से ऊंचाई पर बनाया जाता है और पानी को पंप किया जाता है, जो टर्बाइनों के जरिये वापस प्रवाहित होता है। छोटे बांधों की ऊंचाई 100 फीट और लंबाई 400 फीट तक हो सकती है। ऐसा एक बांध 1500 मेगावाट तक बिजली उत्पादन कर सकता सकता है। इसकी तुलना में, 741 फीट ऊंचे और 1700 फीट लंबे भाखड़ा बांध की स्थापित क्षमता 1325 मेगावाट है।
बीबीएमबी अधिकारियों के अनुसार, ऐसे समय में जब बिजली की मांग कम होती है, तब सरप्लस बिजली का उपयोग ऊंचाई पर स्थित जलाशयों में पानी पंप करने के लिए किया जा सकता है। इससे 'एक विशाल बैटरी की तरह एनर्जी स्टोरेज' बनाया जा सकता है। मांग बढ़ने पर यह संगृहीत ऊर्जा तुरंत बिजली उत्पन्न कर सकती है। एक थर्मल प्लांट के लिए 6-10 घंटे की तुलना में पीएसपी के लिए स्टार्ट-अप समय महज 75-120 सेकंड होता है।
अधिकारी ने कहा, 'परंपरागत रूप से पीएसपी बिजली की खपत ज्यादा करते हैं। ऊंचाई पर जलाशय तक पानी पंप करने के लिए बिजली की खपत होती है, लेकिन सौर ऊर्जा का उपयोग इस लागत को कम कर सकता है।' बीबीएमबी ने हाल ही में सौर ऊर्जा उत्पादन में प्रवेश किया है और अपने जलाशयों, परियोजना कार्यालयों में फ्लोटिंग व ग्राउंड माउंटेड सौर संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया में है।
बीबीएमबी के अधिकारियों ने कहा कि पीएसपी तकनीकी रूप से व्यवहार्य हैं, लेकिन संबंधित राज्य सरकारों की इच्छा, भूमि आवंटन, अन्य तकनीकी और वाणिज्यिक संस्थाओं की भागीदारी, पर्यावरणीय कारक तथा फंडिंग जैसे अन्य कई मुद्दे इनसे जुड़े हैं। बीबीएमबी का अनुमान है कि भाखड़ा और पौंग के आसपास पीएसपी के लिए लगभग 6,000 करोड़ रुपये खर्च आएगा।

Advertisement

मध्य व दक्षिण भारत में ऐसी आठ परियोजनाएं

पीएसपी भारत के लिए नयी बात नहीं हैं और ऐसी आठ परियोजनाएं मध्य व दक्षिणी भारत में 4745 मेगावाट की संयुक्त स्थापित क्षमता के साथ चल रही हैं। बिजली मंत्रालय ने देश में पीएसपी के विकास को बढ़ावा देने के लिए 2023 में दिशानिर्देश जारी किए थे। दुनिया भर में स्थापित पीएसपी क्षमता लगभग 175 गीगावाट है। शीर्ष तीन देशों में चीन, जापान और अमेरिका शामिल हैं।

Advertisement
Advertisement