13 वर्षीय बच्चे की मौत के 30 वर्ष पुराने मामले में तीनों हिटलर भाई बरी
डबवाली, 9 जुलाई (निस)
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 1995 में शादी समारोह में कथित दुर्घटनावश गोली लगने से 13 वर्षीय बच्चे जीत राम की मौत मामले में गांव चौटाला के हिटलर परिवार के 3 भाइयों संजय हिटलर, मनोज हिटलर व संदीप हिटलर को बरी कर दिया है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में जिला सत्र अदालत बठिंडा के 4 फरवरी 2004 को सुनाये 20-20 वर्ष सजा के फैसले को रद्द कर दिया। मामले में नामजद रहे ओम प्रकाश हिटलर व उनके अंगरक्षक दरबारा सिंह का पूर्व में देहांत हो चुका है। मामला 26 फरवरी 1995 रात्रि को गांव चौटाला में कांग्रेस नेता ओम प्रकाश हिटलर के पुत्र का शादी समारोह से जुड़ा है। वहां गाने-बजाने का प्रबंध था व कुछ मेहमान गोलियां भी चला रहे थे, उस दौरान एक गोली वहां कुर्सी पर बैठे 13-14 वर्षीय किशोर जीत राम के कंधे में लग गयी थी। वह 8वीं कक्षा में पढ़ता था। संदीप और दरबारा सिंह द्वारा घायल अवस्था में अस्पताल ले जाते समय जीत राम की मौत हो गयी थी।
हरियाणा में जब सत्तारूढ़ चौटाला सरकार तत्कालीन सरकार बनीं तो उस समय हिटलर परिवार ने निष्पक्ष न्याय हेतु मुकद्दमे को बठिंडा (पंजाब) में तब्दील करवा लिया था। जिला सत्र अदालत बठिंडा द्वारा सज़ा सुनाने के बाद अभियुक्तों को जमानत मिलने तक कई माह जेल में रहना पड़ा था। घटना में जीतराम को 12 बोर हथियार से गोली लगी थी। अदालती फैसले में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने तर्क को खारिज कर दिया कि बंदूक ओम प्रकाश के लाइसेंस में घटना के पश्चात 19 दिसंबर 1995 को दर्ज की गई थी। अभियोजन पक्ष ने यह पता लगाने की कोशिश नहीं की है कि घटना में किसी अन्य हथियार, लाइसेंसी या गैर-लाइसेंसी का इस्तेमाल किया गया था या नहीं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साक्ष्यों की कमी के चलते अभियुक्तों को उन पर लगाये आरोपों से बरी कर दिया।
कांग्रेस नेता संजय बोले- दुर्घटना मामले में हत्या की झूठी धाराएं लगाई गयी थी
कांग्रेस नेता संजय हिटलर ने कहा कि शादी समारोह में दुर्घटनावश गोली से बालक की मौत के धारा 304-ए के मामले को चौटाला सरकार के समय सियासी रंजिश के चलते हत्या की धारायों में तब्दील कर दिया था। जबकि मृतक बालक जीत राम के पिता मदन लाल के बयान पर धारा 304-ए के मुकद्दमे में बकायदा क्लोजर रिपोर्ट डाली जा चुकी थी। संजय हिटलर ने कहा कि उसके पश्चात सियासी रंजिश के चलते झूठे गवाहों के आधार पर उनके परिवार पर हत्या का बेबुनियाद मुकद्दमा दर्ज किया गया था। करीब 3 दशक लंबी कानूनी चाराजोई के बाद उन्हें हाईकोर्ट से इंसाफ मिला है।