जुड़ेंगे सभी राडार, हवाई खतरे पर होगा ऑटाेमेटिक वार
मुख्य अंश
- दुश्मन के खिलाफ वायुसेना की नयी प्रणाली
मिलीसेकंड में सॉफ्टवेयर चुन लेगा हथियार
अजय बनर्जी/ ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 17 जून
दुश्मन की मिसाइलों, लड़ाकू विमानों या यूएवी (मानव रहित विमानों) को पलक झपकते ही जमीन से ऑटोमेटिक पलटवार के जरिये मार गिराने के लिए भारतीय वायुसेना न सिर्फ अपने, बल्कि सेना और सिविलियंस राडारों को एकसाथ जोड़ने जा रही है। नतीजतन, पश्चिमी मोर्चे और चीन के साथ सीमा की एक एकीकृत तस्वीर सामने आएगी। एक ऐसी प्रणाली तैयार होगी, जिसमें एक सॉफ्टवेयर खतरे को मिलीसेकंड में भांप लेगा और तय करेगा कि इससे निपटने के लिए कौन सा वायु रक्षा हथियार सबसे अच्छा होगा। सभी वायु रक्षा हथियार मूल रूप से कम दूरी, मध्यम दूरी और परिष्कृत मिसाइलें हैं, जो कई लक्ष्यों को मार सकती हैं।
वायुसेना के एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) के तहत बनाए जा रहे केंद्रीकृत नियंत्रण केंद्र के एक हिस्से के रूप में राडारों का देशव्यापी एकीकरण किया जा रहा है। आईएसीसीएस के विभिन्न नोड्स को एयरफोर्स नेटवर्क (एएफनेट) का एक सुरक्षित ऑप्टिक फाइबर जोड़ता है। प्रत्येक नोड आगे दूरसंचार विभाग और रक्षा मंत्रालय द्वारा निर्धारित ऑप्टिक फाइबर के माध्यम से जुड़ा हुआ है। आईएसीसीएस अंतरिक्ष-आधारित प्लेटफार्म, लड़ाकू विमान सेंसर, यूएवी से प्राप्त वीडियो, हवाई चेतावनी व नियंत्रण प्रणाली से डेटा का उपयोग करने में भी सक्षम है। डीजी एयर ऑपरेशंस एयर मार्शल सूरत सिंह ने शुक्रवार को थिंक-टैंक सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज (सीएपीएस) द्वारा आयोजित वायु-रक्षा पर एक सेमिनार में नयी प्रणाली के बारे में संक्षेप में उल्लेख किया।