सारे दावे हवा, न सुविधाएं न ही दवा
दलेर सिंह/हप्र
जींद (जुलाना), 4 जुलाई
रेफरल अस्पताल के नाम से मशहूर जींद के नागरिक अस्पताल में दावों और हकीकत का कोई मेल नहीं। यहां न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं, न दवा मिलती है और तो और ज्यादातर मरीजों को रेफर करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर दी जाती है।
अस्पताल में रोजाना ओपीडी में करीब दो हजार मरीज आते हैं। ज्यादातर मौसमी बीमारियों से ग्रस्त या सामान्य रोगी होते हैं। कुछ ही लोग होते हैं जिन्हें घंटों लाइन में लगने के बाद इलाज या दवा मिल पाती है। बताया जाता है कि यहां चिकित्सकों के 55 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 19 पद ही भरे हुए हैं। चिकित्सकों की यह कमी लंबे समय से है। प्रसूति विभाग में कोई सरकारी डॉक्टर नहीं है, एक निजी गायनोकॉलोजिस्ट को हायर किया गया है, लेकिन नागरिक अस्पताल में आने वाली ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को पीजीआई रेफर कर दिया जाता है। नागरिक अस्पताल में सामान्य दवाइयां मसलन, ओमिप्रॉजोल, एंटासिट, एलर्जी लोशन, नोरफ्लोक्स भी उपलब्ध नहीं होतीं। डीजी हेल्थ ने करीब 15 दिन पहले जींद नागरिक अस्पताल का निरीक्षण किया था। उन्हें एमरजेेंसी विभाग, ब्ल्ाड 8बैंक, आईसीयू व सीटी स्कैन विभाग में कई प्रकार की खामियां मिलीं। सीएम फ्लाइंग को भी एंबुलेंस बेड़े में कुछ खामियां नजर आईं।
अल्ट्रासाउंड मशीन है, रेडियोलोजिस्ट नहीं
नागरिक अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की मशीन तो है, लेकिन करीब 8 वर्षों से रेडियोलोजिस्ट का पद रिक्त है। इस अस्पताल में त्वचा रोग विशेषज्ञ भी नहीं हैं। आपातकालीन विभाग में पांच स्वीकृत पदों में से सिर्फ दो चिकित्सक ही जैसे-तैसे काम चला रहे हैं। सीटी स्कैन सेंटर निजी कंपनी चला रही है, जहां मरीजों को मोटी रकम देनी पड़ती है।
जरा सी बारिश में भर जाता है पानी
इस अस्पताल का आलम यह है कि जरा सी बारिश हुई नहीं कि पूरा परिसर लबालब हो जाता है। इससे अस्पताल आने वाले मरीजों, तीमारदारों व स्वास्थ्य कर्मियों को परेशानी होती है। डिप्टी एमएस डाॅ. राजेश भोला के अनुसार करीब छह माह पहले ही लोक निर्माण विभाग द्वारा 17 लाख रुपये की लागत से इसकी मरम्मत कराई गयी, लेकिन लेवल सही नहीं हो पाया। अस्पताल प्रशासन ने लोक निर्माण विभाग को लिखा है।
मरीजों के बिस्तर तक पहुंच रहे बंदर अस्पताल में बंदरों का आतंक है। यहां बंदरों के झुंड उछलकूद करते दिख जाते हैं। स्वास्थ्य सुपरवाइजर संघ के प्रदेश अध्यक्ष राममेहर वर्मा ने बताया कि कई बार तो बंदर अस्पताल में मरीज के बिस्तर तक पहुंचकर उस पर हमला कर देते हैं। वर्मा ने बताया कि बंदरों की समस्या पर आलाधिकारियों को 27 चिट्ठियां लिखी जा चुकी हैं। एक बार नगर परिषद की टीम आई, दस बंदर पकड़े भी, लेकिन फिर मुड़कर नहीं आए।
''जींद नागरिक अस्पताल में चिकित्सकों के कुछ पद रिक्त हैं। इसकी सूचना और डिमांड समय-समय पर मुख्यालय को भेजी जाती रही है। डीजी हेल्थ को भी अवगत करवाया है। चिकित्सकों की भर्ती जल्दी होने की उम्मीद है। अस्पताल में बेसिक दवाओं की कमी नहीं है। बजट भी है। लेकिन वेयर हाउस से जो दवाएं मिलती हैं, वो करीब 6 माह से नहीं मिल रही हैं। टेंडर के बाद ही ये दवाइयां उपलब्ध हो पाएंगी। ''
डाॅ. गोपाल गोयल, सिविल सर्जन- जींद