अम्बेडकर से प्रेरणा लें सभी नागरिक नागरिक : स्पीकर
05:23 AM Dec 07, 2024 IST
चंडीगढ़ स्थित विधानसभा परिसर में डॉ़ भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते विस अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण।
चंडीगढ़, 6 दिसंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण ने बाबा साहेब डॉ़ भीमराव अंबेडकर के 69वें महापरिनिर्वाण दिवस पर विधानसभा परिसर में स्थापित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर विधानसभा सचिवालय के अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहे। विधानसभा अध्यक्ष कल्याण ने इस अवसर पर बाबा साहेब के अनेक जीवन प्रसंगों को स्टाफ के साथ साझा करते हुए कहा कि उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा रहा है। मुंबई के एलफिंस्टन हाई स्कूल में पढ़ाई के वक्त उनका परिवार मजदूरों की परेल बस्ती में एक छोटे से कमरे में रहता था। वहां किसी भी प्रकार से रोशनी तक का प्रबंध नहीं था। दीये की टिमटिमाती रोशनी में भी वे लगातार पढ़ते रहते थे। कल्याण ने बाबा साहेब के अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स के दिनों की यादें ताजा करते हुए कहा कि कई बार ऐसा भी होता था कि उनके पास खाने के लिए भी रुपये नहीं होते थे। डॉ़ अम्बेडकर ने उस समय की विकट सामाजिक परिस्थितियों में अपनी प्रतिभा के बल पर बड़ा मुकाम हासिल किया। कल्याण ने कहा कि हमें बाबा साहेब के जीवन से प्रेरणा लेकर बड़ा सोचना चाहिए और अपने आप को राष्ट्र के लिए उपयोगी बनाना चाहिए। इसके लिए अपनी प्रतिभा को पहचानकर उसे तराशना जरूरी है। जैसा कि डॉ़ साहब ने भी कहा है -‘चिंतन-मनन मानव अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।’
हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण ने बाबा साहेब डॉ़ भीमराव अंबेडकर के 69वें महापरिनिर्वाण दिवस पर विधानसभा परिसर में स्थापित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर विधानसभा सचिवालय के अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहे। विधानसभा अध्यक्ष कल्याण ने इस अवसर पर बाबा साहेब के अनेक जीवन प्रसंगों को स्टाफ के साथ साझा करते हुए कहा कि उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा रहा है। मुंबई के एलफिंस्टन हाई स्कूल में पढ़ाई के वक्त उनका परिवार मजदूरों की परेल बस्ती में एक छोटे से कमरे में रहता था। वहां किसी भी प्रकार से रोशनी तक का प्रबंध नहीं था। दीये की टिमटिमाती रोशनी में भी वे लगातार पढ़ते रहते थे। कल्याण ने बाबा साहेब के अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स के दिनों की यादें ताजा करते हुए कहा कि कई बार ऐसा भी होता था कि उनके पास खाने के लिए भी रुपये नहीं होते थे। डॉ़ अम्बेडकर ने उस समय की विकट सामाजिक परिस्थितियों में अपनी प्रतिभा के बल पर बड़ा मुकाम हासिल किया। कल्याण ने कहा कि हमें बाबा साहेब के जीवन से प्रेरणा लेकर बड़ा सोचना चाहिए और अपने आप को राष्ट्र के लिए उपयोगी बनाना चाहिए। इसके लिए अपनी प्रतिभा को पहचानकर उसे तराशना जरूरी है। जैसा कि डॉ़ साहब ने भी कहा है -‘चिंतन-मनन मानव अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।’
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