Alimony: मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां बोलीं, महीने में सिर्फ 4 लाख रुपये से क्या होगा
चंडीगढ़, 3 जुलाई (वेब डेस्क)
Alimony: भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी और उनकी पत्नी हसीन जहां एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट ने हाल ही में सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि मोहम्मद शमी अपनी पत्नी और बेटी को प्रति माह 4 लाख रुपये बतौर गुजारा भत्ता दें। कोर्ट के इस फैसले के बाद हसीन जहां की प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें उन्होंने यह राशि अपर्याप्त बताते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की है।
हसीन जहां ने बयान में कहा, “शमी जिस तरह की जिंदगी जीते हैं, मुझे और बेटी को भी वैसी ही जिंदगी मिलनी चाहिए। मुझे लगता है कि मेंटेनेंस और ज्यादा होना चाहिए था। हमने याचिका में भी 4 लाख से अधिक राशि की मांग की थी। मैं फैसले से खुश हूं, लेकिन यह रकम कम है।”
उन्होंने मोहम्मद शमी के रवैये पर भी नाराजगी जताई। कहा, “जो इंसान कभी कुछ नहीं था, वह जब अचानक कुछ बन गया, तो उसमें घमंड आ गया। अब उन्हें अपने बीवी-बच्चों की परवाह नहीं रही। उन्होंने हमसे कोई संपर्क नहीं किया है। पिछली बार भी वह बेटी से सिर्फ कोर्ट के डर से मिले थे।”
VIDEO | Kolkata: Calcutta High Court orders Indian cricketer Mohammed Shami to pay ₹4 lakh monthly alimony to his estranged wife Hasin Jahan and daughter.
Hasin Jahan says, “The maintenance amount is decided based on the husband’s income and social status. As per a strict… pic.twitter.com/q9Qbjha3w1
— Press Trust of India (@PTI_News) July 2, 2025
गौरतलब है कि हसीन जहां और मोहम्मद शमी के बीच काफी समय से पारिवारिक विवाद चल रहा है और मामला अदालत में विचाराधीन है। हसीन जहां पहले भी शमी पर घरेलू हिंसा, बेवफाई और मानसिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगा चुकी हैं।
बता दें, कलकत्ता हाई कोर्ट ने मोहम्मद शमी को मंगलवार को निर्देश दिया कि वह अपनी अलग रह रही पत्नी हसीन जहां और बेटी को कानूनी लड़ाई के दौरान हर महीने चार लाख रुपये गुजारा भत्ता दें। जहां ने जिला सत्र अदालत के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसमें क्रिकेटर को 2023 में अपनी पत्नी को 50,000 रुपये और अपनी बेटी को 80,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।
न्यायमूर्ति अजय कुमार मुखर्जी ने आदेश में कहा, "मेरे विचार से, मुख्य आवेदन के निपटारे तक याचिकाकर्ता संख्या 1 (पत्नी) को 1,50,000 रुपये प्रति माह और उनकी बेटी को 2,50,000 रुपये की राशि देना दोनों याचिकाकर्ताओं की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उचित और तर्कसंगत होगा।"
आदेश में कहा गया है, "हालांकि, याचिकाकर्ता के बच्ची के संबंध में पति/प्रतिवादी संख्या 2 को हमेशा उपरोक्त राशि के अतिरिक्त उसकी शिक्षा और/या अन्य उचित खर्चों में स्वेच्छा से सहायता करने की छूट होगी।" (एजेंसी के इनपुट के साथ)