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अकाली नेता बयानबाजी तुरंत बंद करें : ज्ञानी रघबीर सिंह

08:02 AM Sep 04, 2024 IST
अकाली नेता बयानबाजी तुरंत बंद करें   ज्ञानी रघबीर सिंह

संगरूर, 3 सितंबर (निस)
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के विभिन्न गुटों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर लगाये जा रहे आरोप-प्रत्यारोप पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा है कि जब तक शिरोमणि अकाली दल का मामला श्री अकाल तख्त साहिब में विचाराधीन है, तब तक एक-दूसरे के खिलाफ किसी भी तरह की टिप्पणी करना अनुचित है। उन्होंने सिख राजनीति से जुड़े नेताओं को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब की सर्वोच्चता, सम्मान और सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी तुरंत बंद की जाए।
गौरतलब है कि शुक्रवार को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को तनखाइया घोषित कर दिया था। शिरोमणि अकाली दल ने श्री अकाल तख्त साहिब के फैसले का स्वागत किया है। इस मामले के बाद अकाली नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है, लेकिन अब जत्थेदार ने सिख राजनीति से जुड़े नेताओं को एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करना पूरी तरह से बंद करने का आदेश दिया है।
अकाली सरकार के 17 पूर्व मंत्रियों से स्पष्टीकरण मांगा
श्री अकाल तख्त साहिब ने अकाली सरकार के 17 पूर्व मंत्रियों से स्पष्टीकरण मांगा है। इस संबंध में अकाल तख्त सचिवालय की ओर से एक पत्र सार्वजनिक किया गया है जिसमें 2007 से 2017 तक बादल सरकार के कार्यकाल में मंत्री रहे 17 मंत्रियों से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। जानकारी के मुताबिक, अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह के निजी सहायक प्रो. सुखदेव के हस्ताक्षर से 2007 से 2017 तक अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार में बीबी उपिंदरजीत कौर, आदेश प्रताप सिंह कैरों, गुलजार सिंह रणीके, परमिंदर सिंह ढींडसा, सुच्चा सिंह लंगाह, जनमेजा सिंह सेखों, हीरा सिंह गाबड़िया, सरवन सिंह फिल्लौर,सोहन सिंह ठंडल, दलजीत सिंह चीमा, सिकंदर सिंह मलूका, बीबी जगीर कौर, बिक्रम सिंह मजीठिया, मनप्रीत सिंह बादल, शरणजीत सिंह ढिल्लों, सुरजीत सिंह, महेशिंदर सिंह ग्रेवाल भी मंत्री रहे हैं। तख्तों के जत्थेदारों को अकाली दल के साथ बराबर का जिम्मेदार ठहराया गया है। इन सभी से 15 दिन के भीतर स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।

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