All India Chess Federation: डी़ गुकेश की तरह अब हर गली से निकलेंगे शतरंज के खिलाड़ी
चंडीगढ़, 20 दिसंबर (दिनेश भारद्वाज, ट्रिब्यून न्यूज सर्विस): पिछले दिनों सिंगापुर में हुई शतरंज चैम्पियनशिप में चेन्नई के डी़ गुकेश ने (All India Chess Federation) वर्ल्ड चैम्पियनशिप में जीत हासिल की। गुकेश ने न केवल खुद का बल्कि देश का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करवा दिया है। विश्वनाथन आनंद के बाद वे दूसरे लेकिन सबसे कम उम्र में वर्ल्ड चैम्पियन बनने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। उनकी इस कामयाबी से ऑल इंडिया चेस फेडरेशन के इरादों को और मजबूती दे दी है।
'गली-गली से निकलेंगे गुकेश'
फेडरेशन ने डी़ गुकेश की तर्ज पर हर गली से शतरंज के खिलाड़ी निकालने की ठानी है। इसके लिए कैश अवार्ड योजना (Cash Award Scheme) और मासिक आर्थिक मदद की शुरूआत की है। अंडर-7 से अंडर-19 आयु वर्ग के खिलाड़ियों को शतरंज में माहिर बनाने के लिए 20 हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक सालाना मदद की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, इस योजना के लिए बाकायदा कॉम्पीटिशन होंगे और इनमें जीत हासिल करने वाले खिलाड़ियों को और बेहतर तरीके से तराशा जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी के पसंदीदा खेलों में शामिल रहा शतरंज, डी़ गुकेश की थपथपाई पीठ
35 वर्षीय नितिन नारंग ऑल इंडिया चेस फेडरेशन के सबसे युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। कुछ माह पूर्व ही उन्होंने फेडरेशन का तीन साल का बजट भी मंजूर करवाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेस के प्रति पुराना और गहरा लगाव है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी ने 2009 में अहमदाबाद के स्कूलों में शतरंज को एक अनिवार्य विषय के रूप में लागू करने की शुरूआत की। इसकी कामयाबी के बाद इसे पूरे प्रदेश के स्कूलों में लागू किया गया।
मोदी की शतरंज के प्रति रुचि का ही परिणाम रहा कि डी़ गुकेश की कामयाबी पर उन्होंने ना केवल एक्स पर सेलिब्रेट किया बल्कि शतरंज खिलाड़ी और फेडेरशन की पीठ भी थपथपाई। मोदी सरकार ने पिछले सालाना बजट में खेल का बजट भी बढ़ाकर 3442 करोड़ रुपये कर दिया है। इस बार के ओलंपिक खेलों में भी खिलाड़ियों का अच्छा प्रदर्शन रहा। माना जा रहा है कि इस बार के केंद्रीय बजट में खेल मंत्रालय के बजट में और भी बढ़ोतरी संभव है।
ट्रिब्यून के दफ्तर पहुंचे All India Chess Federation के अध्यक्ष नितिन नारंग
डी़ गुकेश के वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीतने के बाद सिंगापुर से लौटे फेडेरेशन के अध्यक्ष नितिन नारंग चंडीगढ़ स्थित ट्रिब्यून कार्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने फेडेरशन की भविष्य की प्लानिंग को लेकर खुलकर बातचीत की। ओलंपियाड में डी. गुकेश और भारत के प्रदर्शन को भारतीय शतरंज के भविष्य की झलक मात्र बताते हुए नितिन नारंग ने कहा कि यह साल यानी 2024 भाग्यशाली साल या एक भारतीय शतरंज का एतिहासिक मोड़ मात्र नहीं है। यह भाग्यशाली और एतिहासिक से कहीं अधिक युगांतकारी है। भारतीय शतरंज के नए युग की शुरूआत वे इसे मानते हैं।
चेस को घर-घर पहुंचाने की प्लानिंग
ऑल इंडिया चेस फेडरेशन ने चेस को घर-घर पहुंचाने की प्लानिंग (Planning to deliver Chase to every home)बनाई है। इसके लिए नई आइडिया और इंस्टीट्यूशनल रिफॉर्म पर काम हो रहा है। फेडरेशन शतरंज को लेकर नये तरीके से सोच रही है। इसी कड़ी में खिलाड़ियों को वित्तीय व संस्थागत मदद की योजनाओं पर काम चल रहा है। अंडर-7 से अंडर-19 तक आयु वर्ग खिलाड़ियों की कुल सात कैटेगरी चिह्नित की हैं। ऐसे खिलाड़ियों के लिए नेशनल्स में तीन शीर्ष खिलाड़ियों को सालाना 20 से हजार हजार रुपये तक मासिक प्लेयर कांट्रेक्ट मनी मिलेगी।
यह योजना इसलिए शुरू की है ताकि खिलाड़ी बीच में खेल को ना रोकें। प्रत्येक खिलाड़ी को दो वर्षों के लिए यह सुविधा मिलेगी। इतना ही नहीं, एफआईडीई (फेडरेशन इंटरनेशनल डेश चेस) में शीर्ष 5 रेटेड (रैंक) खिलाड़ियों को सालाना 25 लाख रुपये की मदद दी जाएगी। वहीं छठी से 10वीं रैंक हासिल करने वाले खिलाड़ियों को 1 लाख 25 हजार रुपये सालाना दिए जाएंगे।
All India Chess Federation में भी रेटिंग सिस्टम
ऑल इंडिया चेस फेडरेशन ने भी अब इंटरनेशनल मानकों की तर्ज पर अपने यहां िखलाड़ियों के लिए रेटिंग सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है। फेडरेशन अध्यक्ष का कहना है कि खिलाड़ियों को तराशने के लिए फेडरेशन की खुद की एक राष्ट्रीय रेटिंग प्रणाली होनी चाहिए। ऐसा होने से शौकिया और पेशेवर दोनों तरह के खिलाड़ियों को रेटिंग प्रणाली में शामिल किया जा सकता है। खिलाड़ियों को अपनी क्षमताओं की तुलना दूसरों से करने और अपनी पहचान स्थापित करने में मदद मिलेगी। साथ ही, फेडरेशन के पास खिलाड़ियों का पूरा रिकॉर्ड भी रहेगा।
कॉरपोरेट घरानों की लेंगे मदद
खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए अब कॉरपोरेट घरानों की भी मदद ली जाएगी। उन्होंने कहा कि कई ऐसे मुल्क हैं, जहां खिलाड़ियों को तैयार करने का पूरा खर्चा कॉरपोरेट उठाते हैं। अपने यहां भी अब कॉरपोरेट आगे आ रहे हैं। उन्हें इसके लिए और जागरूक किया जाएगा ताकि अच्छे खिलाड़ी तैयार हो सकें। नितिन ने कहा कि हमारा काम चुनौतियों के बीच अवसर पैदा करना है। गुकेश ने परिवर्तन की एक लहर पैदा की है। जिस तरीके से गुकेश और उनके जैसे युवा विश्व स्तर पर प्रदर्शन कर रहे हैं, उससे कॉरपोरेट जगत ने भी इस खेल के लिए उत्साह दिखाना शुरू किया है।
गुजरात ने बनाया गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड
मोदी के शतरंज के प्रति लगाव का इससे भी पता लगता है कि पूरे गुजरात के स्कूलों में शतरंज शुरू करवाने के बाद उन्होंने 2010 में ‘स्वर्णिम शतरंज महोत्सव’ की शुरूआत की। इसमें 20 हजार से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लेकर गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बनाया। इसके बाद 2012 में मोदी सरकार ने गुजरात में ‘स्वामी विवेकानंद महिला शतरंज महोत्सव’ का आगाज किया। इसमें 3500 महिलाएं और 1250 दिव्यांग खिलाड़ी शामिल हुए।
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यंग माइंड लिखेंगे नई इबारत
भारतीय शतरंज में अदभूत संयोग यह भी है कि सबसे कम उम्र में डी़ गुकेश वर्ल्ड चैम्पियन बने हैं। वहीं ऑल इंडिया चेस फेडरेशन को भी सबसे युवा अध्यक्ष मिला है। मूल रूप से करनाल के रहने वाले नितिन नारंग महज 35 वर्ष के हैं और अब उनके हाथों में फेडरेशन की कमान है। वे मानते हैं कि ‘यंग माइंड’ मिलकर अब नई इबारत लिखेंगे। उन्होंने कहा – मैं राज्य के उस क्षेत्र से आता हूं, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्मवाद का रहस्य समझाया था। गुकेश को उनके श्रम और साधना का फल मिला है। फेडरेशन का अध्यक्ष होने के नाते मैं अपना बेहतर देने का प्रयास कर रहा हूं।
ये भारतीय शतरंज का अमृतकाल
डी़ गुकेश की जीत के बाद नितिन नारंग ने इसे ‘भारतीय शतरंज 2.0’ की शुरूआत बताया था। इससे जुड़े सवाल पर नितिन नारंग ने कहा - भारतीय शतरंज का पहला पक्ष विश्वनाथन आनंद जैसे दिग्गजों का रहा है। पांच बार विश्व चैम्पियन रहे विश्वनाथन आनंद ने तो अकेले ही कई दशकों तक भारत का झंडा बुलंद किया। आज दूसरी पीढ़ी ने फिर से भारत का झंडा बुलंद किया है। यह भारत के लिए गर्व करने का विषय है कि आज गुकेश से लेकर अर्जुन एरिगैसी तक विश्वनाथन आनंद की एक बड़ी फौज तैयार हो रही है। अब यह मानकर चलिए कि भारतीय शतरंज का अमृतकाल आ चुका है।
‘कीर्ति’ भी बनेगी मददगार
फेडरेशन ने खेलो इंडिया राइजिंग टैलेंट आइडेंटिफिकेशन (कीर्ति) (Khelo India Rising Talent Identification) योजना का लाभ भी शतरंज खिलाड़ियों के लिए उठाने का प्लान बनाया है। यह योजना सुदूर प्रतिभाशाली ग्रामीण बच्चों को खेल के क्षेत्र में आगे लाने के लिए बनाई है। इसी तर्ज पर ओलंपिक और पैरालिंपिक में भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए सितंबर-2014 में टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉपस) शुरू की गई। नितिन नारंग का कहना है कि सरकार ने विलुप्त हो रहे पारंपरिक खेलों के संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
मोदी को याद रहते हैं बर्थडे
नितिन नारंग ( NITIN NARANG) का कहना है कि भारत की खेल निति के अंतर्गत शतरंज को काफी अहमियत मिली है। उनका कहना है कि आज भारत खेल के क्षेत्र में विश्व पटल पर जो झंडा बुलंद कर रहा है, वह इसी सरकार की नीतियों की वजह से संभव हो पाया है। एक प्रसंग याद करते हुए नारंग ने कहा - जब हमारी टीम पहली बार ओलंपियाड में किला फतह कर आई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खिलाड़ियों से मुलाकात कर उनकी हौसला अफजाई की। एक खिलाड़ी वंतिका अग्रवाल को पीएम ने एडवांस जन्मदिन की बधाई दी तो वे हैरान हो गईं। वंतिका का जन्मदिन इस मुलाकात के कुछ दिन बाद ही आने वाला था।
दयाल सिंह स्कूल से की 12वीं
ऑल इंडिया चेस फेडरेशन के अध्यक्ष नितिन नारंग का ट्रिब्यून ग्रुप के साथ पुराना रिश्ता भी रहा है। वे मूल रूप से करनाल के रहने वाले हैं। करनाल के सेक्टर-7 स्थित सरदार दया सिंह पब्लिक स्कूल से उन्होंने पढ़ाई की। नितिन नारंग पेशे से पॉलिटिक्ल स्ट्रेटजी से लेकर इन्वेस्टमेंट, मीडिया, इंटरटेनमेंट और इनोवेशन से जुड़े हैं। इसके बावजूद वे फेडरेशन व खिलाड़ियों के लिए समय निकालते हैं। उनका कहना है कि शतरंज में आप एक साथ चौंसठ घर और बत्तीस गोटियों पर नजर रखते हैं। जीवन भी एक शतरंज ही है। जीवन में हम सबों को मल्टीटास्किंग होना चाहिए। शायद, इसलिए मैं एक साथ बहुत सारे कंसर्न को सफलतापूर्वक साथ लेकर चल पा रहा हूं। मैं टीम वर्क में विश्वास करता हूं।