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एआई : नौकरी आएगी भी

11:43 AM Jan 04, 2024 IST
एआई   नौकरी आएगी भी
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डॉ. संजय वर्मा/लेखक एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
कोई तकनीक या मशीन इंसानी हाथों से कामकाज छीन ले, तो इसे एक अरसे तक उपलब्धि माना जाता है। कामकाज ऐसा जिससे इंसानों को आराम मिले, जोखिम वाली जगहों पर उन्हें नहीं जाना पड़े और भारी मेहनत वाले कार्य मशीनों के हवाले हों तो यह एक राहत की बात है। लेकिन जब नौबत यह आ जाए कि इस कारण नौकरियों का संकट पैदा हो जाए, तब हर कोई तकनीकों और मशीनों का विरोधी हो जाता है। यह बहस औद्योगिकीकरण के आरंभ से चल रही है कि अगर मशीनी इंतजाम हमारे हाथ से काम छीन लेंगे, तो क्या होगा। अठारहवीं सदी में स्वेटर बुनने की मशीनें आईं, तो यही सवाल उठे थे। फिर कंप्यूटर आए तो पूरी दुनिया इसे लेकर चिंतित थी कि दस लोगों के बराबर का काम यदि ये कंप्यूटर करने लगे तो नौकरियों का क्या होगा। यही बहस अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के आगमन के साथ पिछले एक-सवा साल से तब उठी है, जब नवंबर 2022 में चैटजीपीटी जैसे प्रबंध ने पूरी दुनिया में तूफान ही उठा दिया है। चैटजीपीटी के अलावा मिडजर्नी, डाल-ई जैसे इंतजामों ने सृजनात्मक सामग्री (कंटेंट) या लेख, कला या टीवी एंकर्स रूप में अद्भुत-उम्दा डिजिटल रचनाएं हमारे सामने उपस्थित कर दी हैं। आशंका फैल गई है कि एआई ने जो तूफान उठाया है, वह जल्दी ही हर कामकाज को अपने हाथ में लेते हुए इंसानी बुद्धि को हाशिये पर डालकर रोजगारों का अकाल पैदा कर सकती है।
लेकिन यह तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है। इसके दूसरे पहलू को समझना चाहें तो उस दौर पर नजर डाल सकते हैं, जब दुनिया में कैल्कुलेटर और कंप्यूटरों के आने पर नौकरियों के खात्मे की आशंकाएं थीं। लेकिन हुआ क्या। कंप्यूटर की वजह से नए रोजगार पैदा हुए। इसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल बढ़ने से कामकाज में तेजी और विविधता आ सकती है। दूर बैठे चिकित्सा सलाह मिलने, ऑनलाइन ट्रेनिंग देने से लेकर कई किस्म के कामकाज चुटकियों में हल हो सकते हैं। यह जरूर हो सकता है कि क्लर्की से जुड़े काम एआई से लैस मशीनों के हवाले हो जाएं, लेकिन एआई और ऑटोमेशन से जुड़े नए रोजगार पैदा होंगे- इसमें संदेह नहीं।

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बढ़ते दखल संग होती तैयारी

चूंकि विभिन्न क्षेत्रों में एआई का दखल बढ़ रहा है, इसलिए सरकार के स्तर पर भी इसके सार्थक इस्तेमाल के प्रयास काफी पहले शुरू हो चुके हैं। जैसे,भारत का वाणिज्य मंत्रालय इस संबंध में वर्ष 2017 में एक टास्क फोर्स गठित कर चुका है जो सरकार को सलाह देगी कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का भारतीय अर्थव्यवस्था में समावेश कैसे किया जाए। भारत में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर चल रहे कई प्रयोगों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इसे लेकर काफी जागरूकता आई है। अगर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का सजगता से इस्तेमाल किया जाए, तो अंततः फायदेमंद और समृद्धि की सर्जक साबित होगी। यहां सवाल है कि हमारे नौजवान खुद को एआई से संबंधित तकनीकों के लिए कैसे तैयार करें, ताकि वे किसी भी रोजगार के लिए उपयोगी साबित हों और बेहतर नौकरियां हासिल करें। सरकारों को बदलती तकनीक के साथ तालमेल बिठाने और नए उभरते क्षेत्रों में युवाओं को योग्य बनाने संबधी कई योजनाओं को लागू करने के लिए प्रेरित किया है। वर्ष 2019 में अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने भी कहा था कि सरकार जल्दी ही नेशनल सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस खोलेगी और एआई पोर्टल लॉन्च किया जाएगा। एआई और इससे जुड़ी नेशनल सेंटर को हब बनाकर कुल नौ क्षेत्रों के चुनाव का दावा भी किया गया था। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश बजट में वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि देश में सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए तीन बड़े रिसर्च सेंटर बनाए जाएंगे। इन केंद्रों में मुख्यतः आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस संबंधी शोध को बढ़ावा दिए जाने की योजना है। साथ ही प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 के तहत युवाओं को कोडिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स , थ्रीडी प्रिंटिंग और ड्रोन तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। युवा एआई संबंधी कौशल सीख खुद नई चुनौतियों के हिसाब से तैयार करें।

जब एआई मुकाबिल हो...

यह तैयारी कैसे हो, इसके तीन तरह के विकल्प हो सकते हैं। इनमें पहला है इंटरनेट पर उपलब्ध एआई के मुफ्त शॉर्ट टर्म कोर्स। जैसे गूगल पर एक कोर्स Large Language Models नाम से उपलब्ध है। इस पाठ्यक्रम में यह सिखाया जाता है कि चैटजीपीटी जैसे टूल पर किस तरह कंटेंट और तस्वीरें बनाई जाती है। इससे लेख लिखने, अनुवाद करने, बड़े और लंबे प्रोजेक्ट या असाइनमेंट तैयार करने में मदद मिलती है। गूगल पर ही Image Generator नामक कोर्स एआई के जरिये फोटो सृजित करने, खराब गुणवत्ता वाली फोटो को अच्छी क्वॉलिटी में बदलने, चेहरों की डिजाइनिंग करने, स्केच, इमेज और कार्टून बनाने की ट्रेनिंग लेने में मदद करता है। गूगल के ये कोर्स इसकी आधिकारिक वेबसाइट cloudskillsboost.google पर उपलब्ध हैं। गूगल की तरह अमेजन भी मुफ्त में एआई लर्निंग कोर्स की सहूलियत देती है। इसके कार्यक्रम अमेजन वेब पर जेनरेटिव एआई से संबंधित छात्रवृत्ति भी दी जा रही है, जिसे इससे संबंधित आधिकारिक वेबसाइट explore.skillbuilder.aws पर जाकर हासिल किया जा सकता है। इनके अलावा माइक्रोसॉफ्ट ने माइक्रो ब्लॉगिंग मंच लिंक्डइन के साथ मिलकर जेनरेटिव आर्टिफिशल इंटेलिजेंस नामक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की शुरुआत की है।

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एआई की डिग्री-डिप्लोमा

ध्यान रहे कि उपरोक्त सभी कम अवधि के कोर्स हैं, जिनकी सहायता से युवा एआई से संबंधित स्किल में इजाफा कर सकते हैं। पर इनके अतिरिक्त युवा चाहें तो अच्छे शिक्षण संस्थान जैसे कि सीडैक, आईआईटी आदि से एआई में पीजी डिप्लोमा से लेकर ग्रेजुएशन और मास्टर्स डिग्री भी कर सकते हैं। आजकल बीबीए और एमबीए आदि पाठ्यक्रमों में भी एआई से संबंधित पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने लगे हैं। युवा अपनी डिग्री में उन पाठ्यक्रमों को जोड़कर खुद को एआई से संबंधित चुनौतियों के लिए तैयार कर सकते हैं। यदि पहले से किसी नौकरी में हैं, तो भी वे एआई के कम अवधि वाले कोर्स करके योग्यता बढ़ा सकते हैं। ऐसे कई कोर्स राज्य और केंद्र सरकार के अलावा गूगल, आईबीएम और रॉयटर्स जैसी कंपनियां भी कराती हैं। इनमें से कुछ मुफ्त होते हैं, लेकिन सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए पांच सौ से 15 हजार रुपये तक की फीस चुकानी पड़ सकती है।

पाठ्यक्रमों में समावेश

शिक्षा के पाठ्यक्रमों में एआई शामिल किये जा रहे हैं। एनसीईआरटी, सीबीएसई और यूजीसी ने अपने-अपने स्तर पर इसके प्रबंध किए हैं। शिक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी है कि सीबीएसई से संबद्ध 28,720 स्कूलों में से करीब 98 प्रतिशत यानी 28,427 स्कूलों में आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है। इससे इन स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, थ्री डी प्रिंटिंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि नई प्रौद्योगिकी का शिक्षण-प्रशिक्षण छात्रों को दिया जा सकेगा। इसी तरह एनसीईआरटी ने ग्यारहवीं की कंप्यूटर संबंधी किताबों में एआई और मशीन लर्निंग जैसे अध्याय शामिल किए हैं। यूजीसी ने स्नातक स्तर के कार्यक्रमों में एआई के साथ-साथ थ्री डी प्रिंटिंग, मशीन लर्निंग, ड्रोन तकनीक और बिग डाटा विश्लेषण जैसे नए पाठ्यक्रमों का समावेश किया है, ताकि हमारे युवा रोजगार के मामले में नए किस्म की चुनौतियों का आसानी से सामना कर सकें।

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